टैक्सपेयर्स के लिए अलर्ट: आईटीआर चूक गए हैं तो अभी भी है समय, तीन महीने तक भर सकते हैं रिटर्न

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व्यापार: आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तारीख 16 सितंबर निकल चुकी है। हालांकि, अब भी ऐसे करदाता हैं, जिन्हें आईटीआर भरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वे रिटर्न दाखिल करने से चूक गए हैं। अगर आप भी टैक्स के दायरे में आते हैं और किसी वजह से आयकर रिटर्न दाखिल करने से चूक गए हैं, तो घबराने की बात नहीं है। आपके पास एक और अवसर बचा है। वह है…बिलेटेड रिटर्न। इसे तय समयसीमा खत्म होने के बाद भी दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, इसके साथ लेट फीस और जुर्माने का भुगतान करना पड़ता है।

लेट फीस के साथ लगेगा जुर्माना
बिलेटेड रिटर्न भरते समय सबसे बड़ा फर्क लेट फीस का होता है। आयकर कानून की धारा 23एफ के तहत बिलेटेड रिटर्न दाखिल पर आपको 5,000 रुपये जुर्माना भरना होगा। हालांकि, अगर आपकी सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है, तो आपको 1,000 रुपये ही जुर्माना भरना होगा।

तीन माह पहले तक भर सकते हैं बिलेटेड रिटर्न
आयकर कानून के मुताबिक, कोई करदाता निर्धारित समय में आईटीआर नहीं भर पाता है, तो वह संबंधित आकलन वर्ष खत्म होने की अवधि से तीन महीने पहले तक बिलेटेड आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है। आकलन वर्ष 2025-26 के लिए बिलेटेड रिटर्न भरने की आखिरी तारीख इसके खत्म होने से तीन महीने पहले तक यानी 31 दिसंबर, 2025 है। यानी आप 31 दिसंबर तक बिलेटेड रिटर्न भर सकते हैं। यह अवधि भी चूक जाते हैं, तो आपको अपडेटेड रिटर्न भरना होगा।

कई अन्य नुकसान भी
देरी से आयकर रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना भरने के साथ कई अन्य नुकसान भी हो सकते हैं। आयकर कानून की धारा 234ए, 234बी और 234सी के तहत बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने पर आपको टैक्स के साथ ब्याज का भी भुगतान करना पड़ सकता है, जिसमें एडवांस टैक्स की कमी या देरी से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।

  • आयकर कानून के तहत, देरी से रिटर्न भरने पर अपने सभी नुकसान को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे। सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी लॉस और बिना इस्तेमाल डेप्रिसिएशन को ही कैरी फॉरवर्ड कर पाएंगे। समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करने से रिफंड मिलने में भी देरी होती है।

टैक्स रिजीम बदलने की नहीं होगी सुविधा

आप डेडलाइन के बाद बिलेटेड रिटर्न भरते हैं, तो पुरानी और नई कर व्यवस्था में बदलाव की छूट नहीं मिलेगी। यह सुविधा तभी मिलती है, जब तय समय में रिटर्न भरते हैं। ध्यान रखें कि नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट बनाया जा चुका है। यानी अगर आपने पहले से पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव नहीं किया है, तो आप खुद नए टैक्स रिजीम के दायरे में आ जाएंगे। -जनार्दन केशरी, वित्तीय सलाहकार