Wednesday, March 12, 2025
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पितृपक्ष में पृथ्वी पर हुआ पूर्वजों का आगमन, जानिए पिंडदान और तर्पण की सही विधि, श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां

Pitru Paksha Shradh : इस साल पितृपक्ष की शुरुआत शुक्रवार यानि आज 29 सितंबर से होने जा रहा है जो कि 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस समय के दौरान लोग अपने पूर्वजों का निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। शास्त्रों (shaastron) के अनुसार जिनका निधन हो चुका है, वे सभी पितृ पक्ष (pitrpaksh) के दिनों में अपने सूक्ष्म रूप के साथ धरती पर आते हैं तथा परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं, प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं । पितृपक्ष (pitrpaksh) 1में किये गए दान-धर्म के कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, साथ ही कर्ता को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार, गया में पिंडदान करने पर पूर्वज को मोक्ष मिल जाता है और वे सीधे स्वर्ग चले जाते है। माना जाता है कि गया में पितृ देवता के रूप में स्वयं भगवान विष्णु मौजूद है। इसलिए इस जगह को पितृ तीर्थ के नाम से जाना जाता है। गया को मोक्षस्थली भी कहा जाता है।

शास्त्रों (scriptures) में कहा गया है कि पितरों का पिंडदान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है। श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि पिंड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे, इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है।

पितृ पक्ष श्राद्ध सामग्री

पितृ पक्ष श्राद्ध सामग्री रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी के पत्ते, पान, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी दीया, कपास, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर। इसी सामग्री से श्राद्ध पूजा की जाती है।केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वंक चावल, मूंग, गन्ना का प्रयोग पितरों को प्रसन्न करता है। शास्त्रों के अनुसार पिंडदान और ब्राह्मण भोज का भोग लगाकर पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध में ब्राह्मणों को आदरपूर्वक आमंत्रित करना चाहिए और पैर धोकर आसन पर बिठाना चाहिए। पंचबली भोजन का ब्राह्मण भोजन के साथ विशेष महत्व है।

श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां

29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- पूर्णिमा श्राद्ध

29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- प्रतिपदा श्राद्ध

30 सितंबर 2023 दिन शनिवार- द्वितीया श्राद्ध

01 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- तृतीया श्राद्ध

02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- चतुर्थी श्राद्ध

03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार- पंचमी श्राद्ध

04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- षष्ठी श्राद्ध

05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- सप्तमी श्राद्ध

06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- अष्टमी श्राद्ध

07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- नवमी श्राद्ध

08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- दशमी श्राद्ध

09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- एकादशी श्राद्ध

11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- द्वादशी श्राद्ध

12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध

13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण

इस समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए। तर्पण करने के बाद पितरों से पूर्व में कर चुके गलतियों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे प्रसन्न हो जाए और आपको सुखी रहने का आशीर्वाद दें।

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