Wednesday, October 23, 2024
Homeधर्मBaidyanath Jyotirlinga : वैद्यनाथ मंदिर में त्रिशूल की जगह क्यों लगा है...

Baidyanath Jyotirlinga : वैद्यनाथ मंदिर में त्रिशूल की जगह क्यों लगा है पंचशूल?जानें इससे जुड़ा चमत्कारी रहस्य..

Baidyanath Jyotirlinga : देश में शायद ही कोई ऐसा स्थान हो जहां पर देवों के देव महादेव की पूजा के लिए शिवालय न हो। सनातन परंपरा में सरल और शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले भगवान शिव का हर मंदिर अपने आप में किसी न किसी खासियत को लिए रहता है। एक ऐसा ही शिवालय झारखंड के देवघर में स्थित है, जिसे द्वादश ज्योतिलिंग में अत्यंत ही पूजनीय माना गया है। देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ मंदिर की जहां हर दिन हजारों की संख्या में शिव भक्त महादेव का दर्शन और पूजन करने के लिए पहुंचते हैं। ज्योतिर्लिंग के अलावा इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके शिखर पर त्रिशूल नहीं पंचशूल लगाया जाता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर एक रहस्य आज भी बरकरार है। जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर इस मंदिर में पहुंचता है, वह शिवलिंग को स्पर्श करते ही अपनी मनोकामना भूल जाता है।आपने हमेशा भगवान शिव के मंदिर में त्रिशूल लगा देखा होगा परंतु वैद्यनाथ धाम में पंचशूल लगा है। मान्यता है कि जब तक पंचशूल इस मंदिर में है, तब तक इस मंदिर का बाल भी बांका नहीं हो सकता। ये पंचशूल यहां सुरक्षा कवच के रूप में स्थापित है।

वैद्यनाथ धाम में माता सती का हृदय गिरा था। मान्यता के अनुसार इस जगह भगवान शिव माता सती के हृदय में विराजमान हैं। यही कारण है कि इस जगह को हृदयापीठ के नाम से भी जाना जाता है।रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लंका चलने का वरदान मांगा था। तब भगवान शिव ने कहा था यदि तुमने मुझे रास्ते में कहीं भी नीचे रखा तो मैं वहीं विराजमान हो जाऊंगा। वैद्यनाथ धाम में ही रावण ने भगवान शिव को नीचे रखा था और वे वहीं स्थापित हो गए थे। इस जगह को रावणेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।

क्या होता है पंचशूल ?

भगवान शिव के मंदिर में लगाए जाने वाले त्रिशूल में जहां तीन नुकीले चोंच वाला एक हथियार होता है। त्रिशूल को भगवान शिव का प्रिय अस्त्र माना जाता है। किसी भी शिवालय में शिवलिंग हो या फिर महादेव की मूर्ति, इसी त्रिशूल के साथ शोभायमान होती है। वहीं पंचशूल में पांच नुकीले चोंच बने होते हैं।

पंचशूल का धार्मिक महत्व

मान्यता है कि भगवान शिव को पांच की संख्या बहुत प्रिय है। यही कारण है कि देश के कई हिस्सों में पंचमुखी महादेव के मंदिर देखने को मिलते हैं। इसी प्रकार पंचमुखी रुद्राक्ष, शिव का पंचाक्षरी मंत्र आदि उनकी साधना के लिए सबसे ज्यादा शुभ और कल्याणकारी माने गए हैं। इसी प्रकार देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ मंदिर के शिखर में लगे पंचशूल के बारे में धार्मिक मान्यता है कि यह पंच विकार काम, क्रोध, मोह, लोभ और ईष्या से व्यक्ति की रक्षा करता है।

पंचशूल का रामकथा से क्या है संबंध?

धार्मिक मान्यता के अनुसार वैद्यनाथ मंदिर में लगे जिस पंचशूल के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सारे दु:ख दूर हो जाते हैं, उसका वास्तु और धार्मिक दृष्टि से बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि त्रेतायुग में लंका के राजा रावण ने भी अपनी स्वर्ण नगरी में पंचशूल लगवाया था क्योंकि इसके बारे में मान्यता है कि जहां पर यह लगा होता है, वहां इसका एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जिसे कोई भेद नही सकता था। मान्यता है कि पंचशूल के सुरक्षा कवचन को सिर्फ रावण को भेदना आता था। ऐसे में भगवान श्री राम और उनकी सेना का लंका में प्रवेश करना मुश्किल था, लेकिन विभीषण की मदद से उन्होंने इसे भेदने की अहम जानकारी प्राप्त कर लंका पति रावण वध किया था।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments