बीमारियों और समस्याओं से हर कोई मुक्ति पाना चाहता है. इन सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए लोग अलग-अलग मंदिरों की चौखट पर हाजिरी लगाते हैं. आंध्र प्रदेश में एक ऐसा ही शिव मंदिर मौजूद है, जो इन सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाने में मदद करता था. श्री बालकोटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्त ऐसी ही परेशानियों के निवारण के लिए आते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और अधूरे कार्य पूरे हो जाते हैं. साथ ही सभी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत भी मिल जाती है. बताया जाता है कि भगवान शिव ने स्वंय इस मंदिर को बनाने का आदेश दिया था. आइए जानते हैं भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में खास बातें…
भगवान वाहन के साथ गर्भगृह में मौजूद
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के पास गोवाड़ा में भगवान शिव को समर्पित श्री बालकोटेश्वर स्वामी मंदिर है, जिसकी गिनती शैव तीर्थ स्थल में होती है. मंदिर में भगवान शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. तमिलनाडु में बहुत कम ही ऐसे मंदिर हैं, जहां भगवान अपने वाहन के साथ गर्भगृह में मौजूद हैं. मान्यता है कि मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयंभू हैं और एक भक्त को अपने विशाल रूप में दर्शन दिए थे.
मंदिर को लेकर प्रचलित लोककथा
मंदिर को लेकर प्रचलित लोककथा की मानें तो भगवान शिव को पूजने वाले एक भक्त को एक दिन अद्भुत प्रकाश दिखाई पड़ा था. इसके पास जाने पर पता चला कि एक शिवलिंग से दिव्य रोशनी निकल रही है. भगवान ने स्वयं आकर मंदिर को बनाने का आदेश दिया था. पहले मंदिर छोटे स्तर पर स्थापित किया गया था, लेकिन फिर 1947 में मंदिर को दोबारा बनाया गया. मंदिर में पारंपरिक वास्तुकला की झलक दिखती है. श्री बालकोटेश्वर स्वामी मंदिर गांव गोवाड़ा में स्थापित है, जो इतिहास के पवित्र क्षेत्रों में से एक माना जाता है.
दर्शन मात्र से पुरानी बीमारियों से मुक्ति
चोल वंश के दौरान 12वीं सदी में बसे इस गांव पर कभी ब्राह्मणों का अधिपत्य हुआ था और वहां शिव और कृष्ण दोनों को समर्पित मंदिर हुआ करते थे. भक्तों का मानना है कि मंदिर में दर्शन मात्र से श्री बालकोटेश्वर स्वामी पुरानी बीमारियों और पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति दिलाते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में पूजा करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और इच्छाओं की पूर्ति होती है. शिवरात्रि के मौके पर मंदिर में भव्य आयोजन होता है और 10 दिन तक लगातार मंदिर में अनुष्ठान किए जाते हैं. 10 दिन मंदिर में भक्तों का मेला लगता है. दूध, दही, शहद और पानी जैसी पवित्र चीजों से भगवान का अभिषेक किया जाता है और रात भर भक्त जागरण करते हैं.









