Monday, December 23, 2024
Homeधर्मदेवशयनी एकादशी से बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य, विष्णु भगवान रहेंगे योग...

देवशयनी एकादशी से बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य, विष्णु भगवान रहेंगे योग निद्रा में,जानें कब है

Devshayani Ekadashi: इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून को है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह तक योग निद्रा में रहेंगे। अब चार माह के लिए देवगण विश्राम करेंगे।

देवशयनी एकादशी तिथि

ज्योतिषाचार्य अशोक शास्त्री ने बताया कि चातुर्मास शुरू होते ही चार महीनों के लिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्य विवाह संस्कार और धार्मिक अनुष्ठान वर्जित रहेगा। भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करेंगे।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ईश्वर देवशयनी एकादशी ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाएगी। आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 29 जून की सुबह 3.18 बजे से हो जाएगी और देवशयनी एकादशी तिथि का समापन 30 जून की सुबह 2.42 बजे होगा।

इस विधि से करें भगवान विष्णु

इस विधि से पूजा पर मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद ज्योतिषाचार्य ने कहा विष्णु भगवान की आराधना के लिए एकादशी व्रत सेकोई भी प्रभावशाली व्रत नहीं है। दिन जप-तप, पूजा-पाठ, उपवास करने से मनुष्य श्री हरि की कृपा प्राप्त कर लेता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है। बिना तुलसी दल के भोग इनकी पूजा को अधूरा माना जाता है।

देवशयनी एकादशी पर तुलसी की मंजरी, पीला चंदन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल एवं धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान वामन की भक्ति-भाव से पूजा करनी चाहिए।

पदम्पुराण के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करने से तीनों लोकों के देवताओं का पूजन हो जाता है। रात के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य, भजन-कीर्तन और जागरण करना चाहिए। इस व्रत से प्राणी की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group