Saturday, July 27, 2024
Homeधर्मPitru Paksha 2023: पिंड देने से पूर्वज होते हैं प्रसन्न, इस दिन...

Pitru Paksha 2023: पिंड देने से पूर्वज होते हैं प्रसन्न, इस दिन से हो रही है शुरुआत, ऐसे करें तर्पण

Pitru Paksha 2023 : हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध के हर साल आते है। इन दिनों में हिन्दू धर्म के लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पुरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध करते है। श्राद्ध में तर्पण, पिंड दान और ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व बताया जाता है। पूर्वजों को खुश रखना बेहद जरुरी है। हिंदी धर्म में ऐसी मान्यता है की पूर्वजों के नाराज होने से कारोबार, घर, ऑफिस आदि में समस्या आने लगती है। ऐसे में इन श्राद्ध के दिनों में अपने पूर्वजों का पूरे विधि-विधान के साथ श्राद्ध करें।

हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व

हिंदी कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष तिथी को पितृपक्ष कहा जाता है। अंतिम दिनों सें पितृपक्ष की शुरुआत होने जा रही है। हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व है। पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए बिहार के गया जिले में उनके नाम का पिंड दान दिया जाता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अगर आपके पितृ प्रशन्न होते हैं तभी भगवान भी प्रशन्न होते है। 30 तारीख से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है।

पिंडदान के लिए सबसे अच्छी तिथि अमावस्या

प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य बताया कि पितृपक्ष में अपने पितरो को पिंडदान देने या श्राद्धक्रम करने से उनकी आत्मा को शान्ति मिलती है। किसी व्यक्ति की मृर्त्यु होने पर परिवार के द्वारा श्राद्धक्रम किया जाता है। इसके बाद अगर पिंडदान नहीं किया जाता है तो आत्मा मिर्त्युलोक में भटकती रहती है। पितरों के पिंडदान के लिए सबसे अच्छी तिथि अमावस्या मानी गयी है। वहीं अगर किसी व्यक्ति की मौत उम्र से पहले हुई हो तो उसका पिंडदान चतुर्दशी को किया जाता है। पिंडदान करने के बाद ही आत्मा सीधेश्वर लोक जाती है, जहां से वह अपने परिवार की कल्याण के लिए आशीर्वाद देते हैं।

पितृपक्ष की शुरुआत

पितृपक्ष की शुरुआत भाद्र माह के पूर्णिमा के बाद आश्विन माह के प्रतिपदा तिथि में होती है। 29 सितंबर को दोपहर 3.26 बजे तक पूर्णिमा है। इसके बाद आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी, जो 30 सिंतबर को दोपहर 12.21 मिनट तक हैं उदयातिथि को मानते हुए 30 सितंबर सो पितृपक्ष की शुरुआत मानी जाएगी। जो अमावस्या तिथि यानि 14 अक्टूबर तक रहने वाली हैं यह पिंडदान कुल 15 दिनों तक चलता हैं इन 15 दिनों मे देश के कोने-कोने से लोग गया पहुंचकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान करते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments