Shiv Tandav Stotra: शिव तांडव स्तोत्र को बहुत चमत्कारी माना जाता है। इसकी रचना रावण द्वारा की गई है। कहा जाता है कि एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने की कोशिश की तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा की गई यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इसका पाठ करने से शिव जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र के लाभ और पाठ करने की विधि…
शिव तांडव स्तोत्र पाठ के लाभ
- नियमित रूप से शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
- इसका पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है।
- शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है और आत्मबल मजबूत होता है।
- शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
- शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कुडंली में शनि का कुप्रभाव कम होता है।
- जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष हो उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
शिव तांडव स्तोत्र की विधि
- शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम को प्रदोष काल में करना चाहिए।
- इसके लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, फिर भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें और धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें।
- मान्यता है कि रावण ने पीड़ा के कारण इस स्तोत्र को बहुत तेज स्वर में गाया था, इसलिए आप भी गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें।