समस्तीपुरः समस्तीपुर जिले में स्थित राजकीय पर्यटक स्थल बाबा अमर सिंह स्थान, जिसे निषादों के राष्ट्रीय तीर्थस्थल के रूप में भी जाना जाता है, वहां सावन महीने में लगने वाला मेला इन दिनों देशभर के श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है. यह पावन स्थल न केवल समस्तीपुर या इसके आसपास के जिलों से, बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और यहां तक कि नेपाल से भी हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यहां साल में दो बार मेला आयोजित होता है. पहला चैत्र माह में रामनवमी के अवसर पर और दूसरा सावन माह में, जो पूरे एक महीने तक चलता है और सावन पूर्णिमा को समापन होता है. इस दौरान, श्रद्धालु नदी तट पर पूजा-अर्चना, हवन, और भजन-कीर्तन करते हैं. लेकिन इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां आग में पेट्रोल या डीजल नहीं, बल्कि दूध और पानी की कुछ बूंदें डालते ही लपटें पेट्रोल जैसी उठती हैं, जो लोगों में गहरी आस्था और रहस्यमय आकर्षण पैदा करती है.
मंत्रोच्चार के साथ दूध-पानी डालते ही उठती हैं चिंगारियां
पूजा स्थल पर भक्त हवन कुण्ड तैयार करते हैं और मंत्रोच्चार के साथ अग्नि प्रज्वलित करते हैं. इसके बाद वे अग्नि में दूध और पानी की बूंदें डालते हैं, जिससे आश्चर्यजनक रूप से तेज़ चिंगारी और लपटें उठती हैं, ठीक वैसे ही जैसे पेट्रोल या कोई ज्वलनशील पदार्थ डालने पर होता है. उत्तर प्रदेश के मऊ जिला से आए श्रद्धालु रामनरेश बताते हैं, मैं पिछले 15 वर्षों से बाबा के दरबार में आता रहा हूँ. यहां की आग में जो ताकत है, वो मंत्रों और श्रद्धा की है. हम लोग हवन के बाद पंचमेवा का प्रसाद भी तैयार करते हैं और कई बार 15-20 बार तक अग्नि प्रज्वलन की प्रक्रिया करते हैं. उनका कहना है कि यहां की चिंगारी श्रद्धा का प्रमाण है, इसमें कोई पेट्रोल या डीजल नहीं होता. केवल आस्था, मंत्र और अग्नि की पवित्रता होती है.
यहां सच्चे मन से आने वालों की मनोकामना होती है पूरी
मेले में उत्तर प्रदेश के मधुबन से आईं 70 वर्षीय छठिया देवी कहती हैं, मैं वर्षों से बाबा के स्थान पर आ रही हूं. यहां आने से मन को शांति मिलती है और जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा बाबा ज़रूर पूरी करते हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश की एक अन्य महिला चुनौती देवी बताती हैं, जिस तरह लोग देवघर बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं, वैसे ही हम हर साल समस्तीपुर बाबा अमर सिंह स्थान आते हैं. हमारे कुल देवता हैं बाबा अमर सिंह, इसलिए आना अनिवार्य है. यहां आने वाले ज़्यादातर श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हैं, रास्ते में भजन-कीर्तन, झंडा यात्रा, और पूजन सामग्री लेकर पहुंचते हैं. बाबा के दरबार में पहुंचकर वे नदी किनारे बैठकर पूजा करते हैं और मन की बात बाबा के चरणों में समर्पित करते हैं.
आस्था और चमत्कार का अद्भुत संगम
श्रद्धालु इस स्थान को निषादों का काशी भी कहते हैं प्रभानश साहनी, जो मऊ से 19 वर्षों से आ रहे हैं, कहते हैं, हमारे पूर्वजों से यह स्थल जुड़ा है, इसलिए हम हर साल आते हैं. यह केवल पूजा का स्थान नहीं, एक ऊर्जा का केंद्र है. गाजीपुर से आए गुलाब साहनी कहते हैं, यहां आने पर आत्मिक शांति मिलती है. जो आग में दूध और पानी डालने से उठने वाली लपटें हैं, वो आम नहीं होतीं ये बाबा की शक्ति है. यह स्थल अब केवल एक धार्मिक स्थान नहीं रह गया है, बल्कि धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र बन चुका है. प्रशासन की ओर से प्रशासनिक सुविधा, सुरक्षा व्यवस्था, और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.