हिंदू धर्म में महाभारत और रामायण होने के साक्ष्य देश और देश की सीमा के बाहर भी मिल जाते हैं. दक्षिण भारत में महाभारत काल के कई साक्ष्य मिलते हैं, लेकिन क्या आप उस मंदिर के बारे में जानते हैं जिसे पांडवों ने एक रात में बनाया था और मंदिर के निर्माण को अधूरा भी छोड़ दिया था? हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र में मुंबई के पास बने अंबरनाथ मंदिर की, जो भगवान शिव को समर्पित है. मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और हर इच्छा पूरी होती है क्योंकि यहां देव को देव महादेव इच्छापूर्ति स्वरूप में विराजमान हैं. आइए जानते हैं महाभारत कालीन अंबरनाथ मंदिर के बारे में…
वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध अंबरनाथ मंदिर
महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में भगवान शिव को समर्पित मंदिर अंबरनाथ मंदिर है. अंबरनाथ मंदिर अपनी मान्यताओं के अलावा अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. मंदिर की बनावट बाकी मंदिरों से अलग है. मंदिर की बाहर की दीवारों पर मोटे पत्थर पर भगवान शिव के अनेक रूपों को उकेरा गया है और उनके साथ भगवान गणेश और कार्तिकेय भी बने हैं. मंदिर की दीवारों पर मां भवानी के राक्षस का संहार करते हुए भी मूर्तियां दीवार पर उकेरी गई हैं. मंदिर के गर्भगृह के पास एक कुंड भी बना है और कुंड से पहले पहरेदार के रूप में दो बड़ी नंदी महाराज विराजमान हैं.
हमेशा गर्म रहता है कुंड का पानी
कुंड की खासियत है कि कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है और किसी भी मौसम में पानी सूखता नहीं है. मंदिर के मुख्य गर्भगृह तक पहुंचने के लिए नौ सीढ़ियां उतरकर नीचे की तरफ जाना होता है, जहां भगवान शिव त्रैमस्ति रूप में विराजित हैं. इस रूप को मां पार्वती और भगवान शिव का एकल रूप माना जाता है. हजार साल पुराने इस मंदिर को यूनेस्को ने सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया है.
मंदिर के भीतर रहस्यमी गुफा
मंदिर के भीतर रहस्यमी गुफा भी है. माना जाता है कि इस गुफा का रास्ता पंचवटी जाता है. मंदिर की खास वास्तुकला को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. भगवान शिव के अंबरनाथ स्वरूप को इच्छापूर्ति स्वरूप माना जाता है. भक्तों का विश्वास है कि यहां आकर मांगी गई हर मुराद भगवान शंकर पूरी करते हैं और अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं.
पांडवों ने किया था स्थापित
माना जाता है कि यहां भगवान शिव को पांडवों ने स्थापित किया था. माना जाता है कि अज्ञातवास के समय पांडव इस स्थान पर कुछ समय के लिए रुके थे और एक ही रात में इस मंदिर को बना दिया था. मंदिर का कुछ हिस्सा अधूरा है, जिसे बनाया जाना था, लेकिन कौरवों द्वारा पकड़े जाने के डर से पांडवों को ये स्थान छोड़ना पड़ा. शिवरात्रि के मौके पर मंदिर के पास 4 दिन का मेला भी लगता है और दूर-दूर से भक्त अपनी इच्छाओं को लेकर मंदिर में आते हैं.









