धन, वैभव, सुख और शांति प्राप्त करने के लिए लोग धन की देवी मां लक्ष्मी एवं गणेशजी की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जिस किसी व्यक्ति के ऊपर धन की देवी मां की कृपा होती है तो उसके जीवन में धन-समृद्धि संपदा और वैभव की कभी कमी नहीं होती। सनातन धर्म में जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं का वाहन कोई न कोई पशु-पक्षी होता है। उसी प्रकार मां लक्ष्मी ने अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुना। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी द्वारा अपना वाहन उल्लू को चुनने के पीछे की पौराणिक कथा।
कैसे उल्लू बना मां लक्ष्मी की सवारी
उल्लू क्रियाशील प्रवृत्ति का पक्षी है। वह अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में निरंतर कार्य करता रहता है। इस कार्य को वह पूरी लगन के साथ करता है। लक्ष्मी के वाहन उल्लू से यही सीखने को मिलता है कि जो व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है। मां लक्ष्मी की सदैव उन पर कृपा होती है जो स्थाई रूप से मेहनती लोगों के घर में निवास करती हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे, तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आई। तभी सभी पशु पक्षियों ने मां लक्ष्मी के सामने प्रस्तुत होकर खुद को अपना वाहन चुनने का आग्रह किया। तब लक्ष्मी जी ने सभी पशु पक्षियों से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या को धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। अमावस्या की रात अत्यंत काली होती है इसलिए इस रात को सभी पशु पक्षियों को दिखाई कम का देता है। कार्तिक मास के अमावस्या की रात को जब मां लक्ष्मी धरती पर आई तब उल्लू ने सबसे पहले मां लक्ष्मी को देख लिया और वह सभी पशु पक्षियों से पहले माता लक्ष्मी के पास पहुंच गया क्योंकि उल्लू को रात में भी दिखाई देता है। उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उसे अपनी सवारी के रूप में चुन लिया। तब से माता लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
उल्लू का पौराणिक महत्व
माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को भारतीय संस्कृति में शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचारी प्राणी होता है। उल्लू को भूत और भविष्य का ज्ञान पहले से ही हो जाता है। दीपावली की रात में उल्लू को देखना लक्ष्मी के आगमन की सूचना माना जाता है।
उल्लू से जुड़ी मान्यताएं
- यदि उल्लू सिर के ऊपर उड़ रहा हो या आवाज देकर पीछा कर रहा हो तो यात्रा शुभ होती है।
- पूर्व दिशा में बैठे उल्लू की आवाज सुनने या दर्शन को प्रचण्ड आर्थिक लाभ का सूचक माना गया है।
- दक्षिण दिशा में विराजे उल्लू की आवाज शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करती है। सुबह उल्लू की आवाज सुनना सौभाग्य कारक और लाभदायक माना गया है।
- धार्मिक मान्यता है कि यदि गर्भवती स्त्री उल्लू को स्पर्श कर लें तो उसकी होने वाली संतान श्रेष्ठ होती है।
- उल्लू से यदि किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का अकस्मात स्पर्श कर ले तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है।
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