Tuesday, December 24, 2024
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क्या होती है अकाल मृत्यु, गरुड़ पुराण में क्या है इसकी सजा

सनातन धर्म में कुल 18 महापुराण है जिनमें कई रहस्यमयी ज्ञान छिपा हुआ है इन्हीं महापुराणों में से एक है गरुड़ पुराण जिसमें भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ की वार्तालाप का वर्णन किया गया है गरुड़ पुराण को मानव की मृत्यु के पश्चात उसकी सद्गति प्रदान करने वाला पुराण बताया गया है

इस महापुराण में जातक के जीवन मृत्यु, स्वर्ग नरक और मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है आम धारणा है कि गरुड़ पुराण का पाठ तब किया जाता है जब किसी की मृत्यु हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है आप जानकारी पाने के लिए भी इसका पाठ कर सकते हैं गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़ी कई जानकारी बताई गई है तो आज हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्युकाल यानी जब मनुष्य की मृत्यु का समय निकट आता है तो जीवात्मा से प्राण और देह का वियोग होता है इसमें वर्णन किया गया है कि हर व्यक्ति के जन्म और उसकी मृत्यु का समय निश्चित है जिसे पूरा करने के बाद ही व्यक्ति को मोक्ष मिलता है ऐसे में अगर किसी की अचानक यानी अकाल मृत्यु हो जाती है तो उस जीवात्मा साथ क्या किया जाता है और अकाल मुत्यु की सजा क्या होती है यह सब गरुड़ पुराण में वर्णित है। गरुण पुराण की मानें तो मानव जीवन के सात चक्र निश्चित होते हैं इस चक्र को पूरा करने के बाद जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है वह मोक्ष पाता है लेकिन जो इस चक्र को पूर्ण नहीं कर पाता है वही अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है ऐसे लोगों की आत्मा को कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं

हमारे वेदों और पुराणों में वर्णित है कि मानव सौ वर्षों तक जीवित रह सकता है लेकिन जब वो निंदित कार्य करता है तो ऐसे लोग शीघ्र विनष्ट हो जाते हैं जीवन में किए गए कई महादोषों के कारण भी मनुष्य की आयु कम हो जाती है और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है ऐसे लोगों की आत्मा निश्चित समय से पहले यमलोक जाती है। गरुण पुराण के अनुसार जिनकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से होती है उनकी आत्मा तीन,दस , तेरह या फिर 40 दिनों के अंदर दूसरा शरीर प्राप्त करती है लेकिन आत्महत्या का अपराध करने वाले मनुष्य की आत्मा तब तक भटकती है जब तक उसका समय काल पूर्ण न हो जाएं मान्यता है कि ऐसी आत्माओं को न तो स्वर्ग की प्राप्ति होती है और ना ही नर्क, ये आत्माएं लोक परलोक के बीच में भी भटकती रहती है।
 

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