आरती करने का सही तरीका क्या है? जगद्गुरु रामभद्राचार्य से जानें भगवान के सामने कितनी बार दिखाएं दीपक

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हिंदू धर्म में देवी और देवताओं की पूजा के बाद आरती करने का विधान है. आरती करने से पूजा की कमियां दूर होती हैं और उसके बाद समापन होता है. देवी और देवताओं की आरती घी के दीपक या कपूर से करते हैं. इस दौरान संबंधित देवी और देवता की आरती भी गाते हैं. लोग आरती के समय यह भूल जाते हैं या उनको पता नहीं होता है कि देवी या देवता के समक्ष दीपक कितनी बार घुमाना है, किस स्थान पर या कहां-कहां दीपक दिखाना है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आरती करने का सही तरीका बताया है.
आरती करने का सही तरीका

तुलसी पीठ के संस्थापक और जगद्गुरु रामभद्राचार्य के अनुसार, किसी भी देवी या देवता की आरती करते हैं तो उनकी आरती 14 बार उतारनी चाहिए. इसके बारे में शास्त्रों में भी बताया गया है.

रामभद्राचार्य बताते हैं कि भगवान के चरण के 4 बार आरती उतारनी चाहिए, ऐसे ही उनके नाभि की दो बार आरती उतारें. उसके बाद भगवान के मुख पर एक बार आरती उतारें. फिर उस देवी और देवता के सभी अंगों में मिलाकर 7 बार आरती उतारनी चाहिए. इस प्रकार से आप देखें तो आरती 14 बार उतारते हैं.
आरती क्यों करते हैं?
आरती ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति, आस्था, समर्पण आदि का प्रतीक माना जाता है. आरती से ईश्वर की पूजा को पूर्णता प्राप्त होती है. सामान्य लोगों को देवी और देवता के पूजा की सही​ विधि नहीं पता होती है, वे अपनी इच्छानुसार पूजा करते हैं और अंत में आरती करते हैं. आरती पूजा की कमियों को दूर करने का काम करती है.

आरती उतारते समय हम जो आरती गाते हैं, उसमें उनकी महिमा का गुणगान होता है. जो लोग मंत्र आदि नहीं जानते हैं, वे सामान्य पूजा करते आरती कर लेते हैं. आरती का दीपक घर और मन की नकारात्मकता को दूर करता है. घर और परिवार में सुख और शांति आती है. सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.