दीवाली पूजा के बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति के साथ क्या करें?

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दीवाली यानी रोशनी, खुशहाली और आस्था का सबसे बड़ा त्योहार. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि घर में धन, बुद्धि और समृद्धि का वास बना रहे. लेकिन पूजा के बाद अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है- अब इन मूर्तियों का क्या करें? क्या उन्हें घर में ही रखें या विसर्जित कर दें? दरअसल, इस सवाल का जवाब सिर्फ रीति-रिवाजों से नहीं बल्कि श्रद्धा और भावना से भी जुड़ा है. आइए जानते हैं कि दीवाली 2025 के बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों के साथ क्या करना शुभ माना गया है और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या कहती है.

दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व
दीवाली की रात को लक्ष्मी-गणेश पूजा इसलिए की जाती है ताकि घर में धन के साथ बुद्धि और सौभाग्य का आगमन हो. लक्ष्मी जी समृद्धि की प्रतीक हैं, जबकि गणेश जी शुभता और विवेक के प्रतीक. इसलिए इनकी एक साथ पूजा करने से जीवन में सुख, संतुलन और स्थिरता आती है.

दीवाली पूजा के बाद मूर्तियों के साथ क्या करें
1. अगर मूर्तियां टूटी या खराब नहीं हैं
ऐसी मूर्तियां घर के मंदिर में ही रखी जा सकती हैं. इन्हें किसी साफ और ऊंचे स्थान पर स्थापित करें और रोजाना या हर शुक्रवार पूजा करें.
2. अगर मूर्तियां मिट्टी या अस्थायी हैं
तो इन्हें बहते पानी में विसर्जित किया जा सकता है या घर के किसी पवित्र स्थान जैसे तुलसी के पास मिट्टी में दबा सकते हैं. विसर्जन हमेशा श्रद्धा और स्वच्छता के साथ करें.

3. अगर आप नई मूर्तियां लेना चाहते हैं
तो पुरानी मूर्तियों को कपड़े में लपेटकर मंदिर में सुरक्षित रखें. नई मूर्तियां लाने से पहले पुरानी मूर्तियों को प्रणाम करें और भगवान से अनुमति मांगें. विसर्जन के वक्त “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है.
मूर्तियों की देखभाल कैसे करें

    मूर्तियों को कभी जमीन पर न रखें, हमेशा किसी चौकी या आसन पर रखें.
    हल्के कपड़े से साफ करें और रोज दीपक जलाएं.
    अगर मूर्तियां धातु की हैं, तो उन्हें सूती कपड़े में लपेटकर रखें.
    मूर्तियों के आसपास हमेशा स्वच्छता और शांति बनाए रखें.

धार्मिक मान्यता और भावनात्मक जुड़ाव
हिंदू परंपरा के अनुसार, हर मूर्ति भगवान की उपस्थिति का प्रतीक होती है. पूजा के बाद मूर्तियों का सम्मानपूर्वक व्यवहार करना जरूरी है. नई मूर्तियां लाने से पहले पुरानी मूर्तियों को प्रणाम करना और धन्यवाद देना कृतज्ञता का प्रतीक है. यह हमें सिखाता है कि भक्ति केवल पूजा में नहीं, बल्कि आभार व्यक्त करने में भी होती है.
पर्यावरण का ध्यान रखें
अगर मूर्तियां मिट्टी या प्राकृतिक पदार्थों की बनी हैं, तो उनका विसर्जन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना करें. प्लास्टर ऑफ पेरिस या पेंटेड मूर्तियों को पानी में न बहाएं, बल्कि किसी मंदिर या धार्मिक संस्था को सौंप दें.