Saturday, November 9, 2024
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क्यों पहने जाते हैं होली में सफ़ेद कपड़े? जानिए कनेक्शन

होली : हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। वैसे माना जाये तो सफ़ेद रंग को शांति का प्रतीक होता है, लेकिन होली जैसे धूम-धड़ाका मचाने वाले त्यौहार पर पुरुषों से लेकर महिलाओं तक का होली का ड्रेस कोड सफेद होता है, होली का पर्व इस साल 8 मार्च यानी बुधवार को मनाया जाएगा। गिले-शिकवों को दूर कर एक साथ लोग होली के रंग में सरोबार होकर इस त्योहार की खुशियां मनाते हैं। भांग, ठंडाई, गुजिया और मालपुए तो होली पर बनाए-खाए जाने का ट्रेंड है ही लेकिन एक और ट्रेंड है, जो होली के मौके पर बहुत फॉलो किया जाता है वो है सफेद कलर के कपड़े पहनना। आखिर क्यों पहनें जाते हैं सफ़ेद कपड़े तो आइये जानते हैं होली पर सफ़ेद कपड़े पहनने का क्या है राज़?

शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है सफेद रंग

होली के दिन सारी बुरी यादों को भुलाकर लोग एक-साथ मिलकर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं। सफेद कपड़े पहनना ये दर्शाता है कि आप अंदर से कूल एंड कॉम हैं तो इस वजह से भी लोग सफेद कपड़े पहनते हैं।

सफेद पर बाकी रंगों बहुत अच्छे से चढ़ते हैं

सफेद कपड़े पहनने का सबसे बड़ा कारण है कि इस पर बाकी रंगों बहुत अच्छे से चढ़ते हैं जिस वजह से फोटोज़ बहुत अच्छी आती है। नीला, पीला, गुलाबी, बैंगनी, हरा, नारंगी…ये सब रंग सफेद कलर पर उभरकर नजर आते हैं बाकी दूसरे रंगों की तुलना में।

गर्मी में ठंडक का एहसास कराता है सफेद रंग

होली में सफेद रंग के कपड‍़े पहनने से गर्मी कम लगती है। सफेद कपड़े पहनने से व्यक्ति कंफर्टेबल महसूस करता है।

अच्छाई और सच्चाई का प्रतीक है सफेद रंग

हिरण्यकशिपु का ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहा। दैत्य पुत्र होने के बावजूद नारद मुनि की शिक्षा के परिणामस्वरूप प्रह्लाद महान नारायण भक्त बना। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की परन्तु भगवान नारायण स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। असुर राजा की बहन होलिका को भगवान शंकर से ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई। । दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई। इस प्रकार हिन्दुओं के कई अन्य पर्वों की भाँति होलिका-दहन भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। ऐसे में सफेद रंग सच्चाई, सत्य का प्रतीक माना जाता है।

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