इस मंदिर में धोक लगाने से मिलती है नौकरी, भक्त मां को अर्पित करते हैं पहला वेतन, 300 साल पुराना है इतिहास

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सीकर. राजस्थान के सीकर जिला स्थित खटूंदरा गांव में करणी माता का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर मौजूद है, जहां बेरोजगार अपनी नौकरी की अरदास लेकर पहुंचते हैं. इस मंदिर का इतिहास भी बेहद रोचक है. पुजारी वासुदेव सिंह पालावत के अनुसार, खटूंदरा राय माता के नाम से प्रसिद्ध करणी माता मंदिर की स्थापना लगभग 300 साल पूर्व हुई थी. उस समय खटूंदरा में चारणों की 18 बीघा जमीन पर जागीरदारी थी. देशनोक की करणी माता के निधन के बाद चारणों के बड़े ठिकानों में मूर्तियों की स्थापना की गई. इसमें से खटूंदरा ग्राम भी चारणों का बड़ा ठिकाना था.

 

उन्होंने बताया कि चारणों के स्वामी सांवलदास महाराज नाडा चारणवास (दांतारामगढ़) अपने पिता की अस्थियां लेकर लोहार्गल जा रहे थे. रात्रि विश्राम खटूंदरा में किया तब रात में दैवीय शक्ति का आभास हुआ. महाराज ने कई देवियों का आह्वान किया, उनमें से एक नाम खटु का लिया तब आवड़ माता प्रकट हुई. माताजी ने सांवरियाजी महाराज को एक शस्त्र फरसा भेंट किया और कहा कि इसकी पूजा करो, जब दूसरा अवतार होगा तब मूर्ति की स्थापना की जाएगी. उस फरसे की आज भी मंदिर में पूजा की जाती है.

मर्दाना भेष में ही रहती थी इंद्र कंवर बाईसा

87 वर्ष पूर्व आसोज सुदी चौदस संवत 1995 को चारण गोत्र की दैवीय शक्ति इंद्र कंवर बाइसा के कर कमलों से आवड़ माता की स्थापना की गई. इंद्र कंवर बाईसा हरदम मर्दाना भेष में ही रहती थी. इंद्र बाईसा ने जाते-जाते अमर रोटी का वरदान दिया था कि जो भी इस माता के स्थान पर शीश नवाएगा उसको अमर रोटी प्राप्त होगी. 2018 में माताजी के मंदिर का पुनः निर्माण शुरू किया गया. उस समय माताजी के दरबार में मनौती मांगने वाले लोगों की इच्छा पूर्ण होने पर अपनी पहली सैलरी से माताजी के मंदिर का निर्माण शुरू किया गया. यहां मन्नत मांगने पर कांस्टेबल छगन मीणा ने अमेरिका में पुलिस फायर गेम्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था.

बेरोजगाराें की अरदास होती है पूरी

बेरोजगार द्वारा नौकरी के लिए की गई मन्नत जरूर पूरी होती है. यही कारण है कि सरकारी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी इस मंदिर में अक्सर आते रहते हैं. सीकर शहर में रहकर एसएससी की तैयारी कर रहे कुलदीप सिंह ने बताया कि जब भी उनका मन करता है, वह यहां पर आ जाते हैं. इस मंदिर में आकर आत्मीय शांति मिलती है. यही कारण है कि इस मंदिर को नौकरी वाली करणी माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को रोटी दी जाती है. आटे से बनी रोटी को ही प्रसाद के रूप में यहां चढ़ाया जाता है.