अप्रैल में ज्योतिषी गणना के मुताबिक शनि, राहु – केतु समेत नौ ग्रहों ने अपनी चाल और घर बदले हैं। इन सब का असर सियासत और समाज दोनों पर पड़ने वाला है। कांग्रेस के साथ भाजपा भी इससे अछूती नही रहेगी। मध्य प्रदेश कांग्रेस पर सबसे पहले इसका प्रभाव पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के महाबली वयोवृद्ध नेता कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष में से फिलहाल नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ना पड़ा है। वरिष्ठ नेता डॉ गोविंद सिंह को नेताप्रतिपक्ष बनाया गया है। इसके बाद 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर जो चुनौतियां हैं उनके सामने कमलनाथ कितना टिक पाते हैं यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन अभी से कहा जाने लगा है कि कांग्रेस को 24 घंटे काम करने के लिए किसी युवा की जरूरत है ।
मैं ज्योतिष का जानकार तो नहीं हूं लेकिन कहा जाता है कि ग्रहों की चाल का असर समाज के साथ राजनीति करने वालों पर भी पड़ता है। साथ ही ग्रहों के परिवर्तन के पहले सही संकेत मिलना शुरू हो जाते हैं । ज्योतिष और ग्रहों की चाल के अतिरिक्त राजनीतिक रूप से भी हालात को समझने की कोशिश की जाए तो कांग्रेसमें लंबे समय से कमल नाथ की तुलना में युवा और सकरी सक्रिय नेता को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपने की बात होती रही है पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अजीज कुरैशी तो सार्वजनिक तौर पर कमलनाथ को नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष के पद से हटाने की बात कर चुके हैं। पार्टी नेतृत्व परिवर्तन की जो बात अजीज कुरैशी जैसे वरिष्ठ नेता ने की थी दरअसल वह कांग्रेस के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं की भावनाओं को व्यक्त करती है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष से कमलनाथ की विधायकों कांग्रेस के ही लोग पूर्ण परिवर्तन नहीं मानते उनका मानना है प्रदेश कांग्रेस को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए जो 24 घंटे कांग्रेस की नीति, कार्यकर्ता और जनता के लिए काम करें। प्रदेश की राजनीति में कभी छोटे भाई और बड़े भाई के रूप में काम करने वाले कमलनाथ व दिग्विजय सिंह के बीच पिछले दिनों जो मतभेद उभर कर आए थे उससे कमलनाथ काफी कमजोर हुए नतीजा यह हुआ की 2 महीने के भीतर कमलनाथ को नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ना पड़ा और अब संगठन को मजबूत करने के साथ भाजपा से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए मालवा या बिंद क्षेत्र से किसी जुझारू और संजीदा लीडर की जरूरत है जो प्रदेश कांग्रेश को संभाल सके इसी बीच कमलनाथ के कट्टर समर्थक सज्जन सिंह वर्मा ने संकेत दिया है कि कमलनाथ जी वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता हैं उनकी जरूरत पार्टी के लिए मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली और जिन राज्यों में चुनाव है वहां महसूस की जा रही है इसका मतलब अगर खोजा जाए तो आने वाले दिनों में संभवत वर्मा द्वारा बताई गई आवश्यकताओं के मुताबिक कमलनाथ को कांग्रेस कोई राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी भी सौंप सकती है इसका मतलब पहले नेता प्रतिपक्ष और बाद में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी कमलनाथ विदा हो सकते हैं असल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जनता और कार्यकर्ता से जुड़े किसी मजबूत नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपना चाहती हैं। पिछले चुनाव में समन्वयक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री नर्मदा यात्री दिग्विजय सिंह ने यह काम किया था। नतीजा सबके सामने है। पन्द्रह साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ और उनके सलाहकार सरकार को चला नहीं पाए। प्रशासक के रूप में तो कमलनाथ सफल रहे लेकिन सीएम के रूप में वे सरकार के शिल्पी बने दिग्विजय सिंह और मंत्री- विधायकों और ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ नही रख पाए। नतीजा सबके सामने हैं कांग्रेस की सरकार गिर गई बात यहीं नहीं रुके इसके बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह में भी मतभेद गहराने लगे। यह बात तब सबके सामने आई जब किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल को लेकर तयशुदा वक्त पर दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात करने वाले थे। मगर यह मुलाकात रद्द कर दी गई। उसके पीछे वजह यह बताई गई कि दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज से किसान प्रतिनिधि मंडल को मिलने का जो समय लिया था उसकी जानकारी या अनुमति पहले कमलनाथ क्यों नही ली गई ? यह बात दिग्विजय सिंह और उनके समर्थकों को नागवार गुजरी। इसके बाद ही कांग्रेस के इन दोनो दिग्गजों में दूरियां बढ़ने लगी । कांग्रेस हाईकमान के पास सभी जानकारियां पहुंची और इसी बीच राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर मैं अपने प्रेजेंटेशन में एक व्यक्ति एक पद के साथ युवाओं को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने की बात की तो उसे पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी समेत लगभग सभी लोगों का समर्थन मिला। ऐसा लगता है आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश कांग्रेस को लेकर जो बहुत से परिवर्तन हो गए उसमें दिग्विजय सिंह के सोच- चिंतन और उनकी टीम का अक्स जरूर नजर आएगा। साल के अंत तक बहुत संभव है प्रदेश कांग्रेस को नए अध्यक्ष भी मिल जाए। इसमें अर्जुन सिंह के पुत्र वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल के साथ अरुण यादव जीतू पटवारी के नाम भी चर्चाओं में है अजय सिंह राहुल को प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलती है तो एक तरह से विंध्य क्षेत्र जहां भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक तरफा प्रदर्शन किया था वहां भाजपा को रोकने में कांग्रेस को मदद मिल सकती है। महाकौशल में कमलनाथ का असर कांग्रेस के काम आ सकता है चंबल क्षेत्र में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह कांग्रेस को सिंधिया के सामने मजबूत कर सकते हैं मालवा में दिग्विजय सिंह और उनके समर्थक निमाड़ और आदिवासी बहुल क्षेत्र में में सहकारिता के कद्दावर नेता रहे सुभाष यादव के पुत्र अरुण यादव प्रभावी भूमिका अदा कर सकते हैं कांग्रेस हाईकमान इन सब को एकजुट कर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणामों की उम्मीद लगा सकता है ।
शिव के गणों विष्णु के पदाधिकारियों में बदलाव के संकेत…
मध्य प्रदेश भाजपा को लेकर पिछले दिनों दिल्ली में जो बैठक हुई वह अपने आप में ऐतिहासिक है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि भाजपा की बैठक में संघ की भी हिस्सेदारी रही हो। इसकी वजह यह बताई जाती है की पार्टी हाईकमान को उस फीडबैक मिला है वह बहुत चिंता में डालने वाला है। कांग्रेस को वेंटिलेटर पर बताने वाली भाजपा के पास ग्राउंड जीरो की जो रिपोर्ट है उसमें विधायक मंत्रियों के साथ संगठन भी कार्यकर्ता और जनता से कम कनेक्ट हो पा रहा है। इसमें सिंधिया समर्थक मंत्री भी निशाने पर है। सबको लगता है मोदी का मैजिक विधानसभा चुनाव में भी उनकी नैया पार करा देगा लेकिन संगठन के वरिष्ठ नेता शिव प्रकाश और मुरलीधर राव के साथ संघ ने जो जानकारी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को दिए वह निश्चित ही बहुत चौंकाने वाली है यही वजह है कि भाजपा की महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा प्रदेश प्रभारी शिव प्रकाश मुरलीधर राव के साथ संघ के वरिष्ठ नेता भी उसमें शामिल हुए बैठक के बाद संकेत मिले हैं की मंत्री जो काम नहीं कर रहे हैं उनकी विदाई हो सकती है कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं और संगठन में भी जो नेता चुनाव लड़ना चाहते हैं उनको भी समझाइश दी जा रही है कि वे संगठन के दायित्व पर ध्यान दें या अपने चुनाव क्षेत्र पर। दोनो में से किसी एक काम को चुनने के लिए कहा जा सकता है। इसका मतलब आने वाले कुछ महीने भाजपा नेताओं की धुक धुकी बढ़ाने वाले होंगे।
अनुराधा शंकर सिंह और आधी आबादी
मध्य प्रदेश की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराधा शंकर सिंह ने नौकरी पेशा महिलाओं की उपेक्षा और उनके लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर जो बात कही वह इन दिनों चर्चा में है। पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय में शताधिक महिला पुलिस अफसर और महिला पुलिस सिपाहियों के बीच शोषण और बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कुछ प्रश्न उठाए। इसमें मंत्रालय में वीआईपी फ्लोर पर महिलाओं के लिए वाशरूम का नही होना चिंता की बात है। महिलाओं की उपेक्षा की यह बात तब सुर्खियों में आई जब सीएम शिवराज सिंह चौहान 2 हजार 52 एम्बुलेंस का लोकार्पण कर रहे थे। इसमें इसमें महिलाओं के लिए जननी सुरक्षा योजना को महत्ता दी गई है। सीएम के पसंदीदा अफसरों में रही अनुराधा शंकर सिंह ने महिलाओं खास तौर पर महिला पुलिस को लेकर जो चिंता जताई है उस पर जरूर सरकार सकारत्मक निर्णय करेगी। वैसे भी सीएम बहनों और भांजियों के मुद्दे पर बेहद सतर्क और संवेदनशील रहते हैं।