चुनावी चटखारे/कीर्ति राणा
कांग्रेस में जितने नेता उतने गुट वाली आम बात है लेकिन इन ढाई सालों में भाजपा भी अब पुरानी और नई में बंटी नजर आती है। इस हकीकत से भाजपा के राष्ट्रीय नेता भी चिंतित हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्रों में। ग्वालियर चंबल संभाग की 34 में से भाजपा ने 26 सीटें जीती थी लेकिन सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा 17 पर सिमट गई और कांग्रेस की सीटें बढ़ कर 17 हो गई।अब दोनों पार्टियां अपना दबदबा बनाने के लिए संघर्षरत हैं। समन्वय का अभाव या सर्वाधिक असंतोष इन्हीं क्षेत्रों में फैला हुआ है।
प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर जिलों की कोर कमेटी के नेताओं से चर्चा भी की। ग्वालियर-चंबल संभाग के विभिन्न जिलों की कोर कमेटी के सदस्यों से वन टू वन चर्चा में संदेश भी दे रहे हैं कि जब सरकार ही नहीं रहेगी तो किसे नाराजी दिखाओगे। चुनाव नजदीक हैं, शिकायतें छोड़ो, समन्वय रखो, मिल कर काम करो। इन जिलों के नेताओं को दिए समन्वय के संदेश वाली चर्चा में यह भी संयोग रहा कि सिंधिया किसी एक दिन भी शामिल नहीं हो सके।
बैठक में इस सीख पर गर्दन हिलाने वाले कोर कमेटी के पदाधिकारी बाहर निकले तो उनकी जबान भी चल पड़ी कि पहले आपस में दोनों तो समन्वय कर लें, फिर हमें समझाएं।गौरतलब है कि बीते लंबे समय से शिवराज-वीडी के बीच अबोले जैसी स्थिति बनी हुई है।किसी आयोजन में साथ दिख भी जाएं तो बॉडी लैंग्वेज दूरी का अहसास कराती है।’वीडी भाईसाब कुछ दिन के मेहमान हैं’ इसे हवा देने में कौन लोग सक्रिय हैं इसकी जानकारी भी प्रदेश अध्यक्ष तक उनके जासूस निरंतर भेज रहे हैं।
दिग्विजय की रिपोर्ट, 66 सीटों पर 198 नाम
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिन 66 सीटों पर पराजय मिली थी। उन सीटों की ग्राउंड रिपोर्ट दिग्विजय सिंह और रामेश्वर नीखरा की जोड़ी ने प्रदेश कांग्रेस को सौंप दी है।इस रिपोर्ट में कांग्रेस की मैदानी कमजोरी के साथ ही हर सीट से कम से कम तीन दावेदारों के क्रमवार नाम सुझाए हैं।अब इन सीटों पर हर दस दिन में समन्वय समिति चर्चा करेगी।कमलनाथ भी अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं। उनके सर्वे में भी ये नाम आते हैं तो तीन महीने पहले इन 66 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी जाएगी।
भविष्य के महापुरुष ….!
बुधनी विधानसभा के भाजपा कार्यकर्ताओं को भविष्यदृष्टा मान लेना चाहिए। इस विधानसभा क्षेत्र में पहले प्रधानमंत्री नेहरु के नाम से दो उद्यान थे।इन दोनों उद्यानों के नाम अब मुख्यमंत्री के दोनों पुत्र कार्तिकेय और कुणाल के नाम कर दिए गए हैं। नगर पालिका की चुप्पी को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने चापलूसी का सर्टिफिकेट तो दे दिया है लेकिन अजय सिंह भी जानते हैं जब अभी तक मुख्यमंत्री ने इस नामकरण पर आपत्ति दर्ज नहीं की तो पालिका अधिकारी कैसे दुस्साहस कर सकते हैं इस मौन स्वीकृति के खिलाफ जाने की।
इलाज करने चले थे, सर्जरी करा बैठे ..!
कर्नाटक में मिली सफलता के बाद मप्र में कांग्रेस जब सॉफ्ट हिंदुत्व वाले एजेंडे पर चल रही हो तब उज्जैन शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया ने वॉयरल ऑडियो में वह सब कह दिया जो बड़े नेता भी आजकल कहने से कतराते तो हैं पर शहर अध्यक्ष के ऐसे दंभ को बर्दाश्त भी नहीं कर सकते।
टिकट मिले ना मिले लेकिन शहर अध्यक्ष यह कैसे भूल गए कि दावेदारी करने का हक तो सभी का है।प्रदेश कांग्रेस ने तो तय किया नहीं लेकिन उज्जैन शहर की दो सीटों (उत्तर और दक्षिण) से राजेंद्र वशिष्ठ और माया त्रिवेदी के नाम तय कर उन्होंने इन दोनों के विरोधियों को भी जगा दिया है।हाथोंहाथ उनका इलाज करना प्रदेश संगठन ने इसलिए भी जरूरी समझा क्योंकि सोमवार को कमलनाथ महिदपुर पहुंचने वाले हैं।
अब कांग्रेस में चमकेंगे ध्रुव?
विजय राघवगढ़ से भाजपा विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने अंतत: भाजपा छोड़ ही दी। हाल के दिनों में ये पहले विधायक हैं जिन्होंने घोषित तौर पर पार्टी छोड़ने का कारण वीडी शर्मा को बताया है।अब ध्रुव कांग्रेस में अपनी चमक दिखा सकते हैं ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।कटनी क्षेत्र के जिन चार नेताओं ने अपनी उपेक्षा को लेकर संगठन के खिलाफ अपनी नाराजी जाहिर की थी उनमें से एक महिला नैत्री को तो प्रदेश अध्यक्ष ने अपने हाथों से भोजन परोस कर मना लिया था।बाकी दो के मन में क्या चल रहा है, थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।