किसी नगर में में एक बनिया रहता था।वो एक ढाबा चलता था।वहां वह भर पेट भोजन की थाली 30 रूपये में देता था।भोजन बड़ा स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के कारण उसका ढाबा बहुत चलता था। दूर दूर से लोग उसके ढाबे में भोजन करने आते थे। धीरे धीरे चीजों और खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ने से अब उसे एक थाली 30 रूपये में देना असंभव सा लगने लगा। वह सोचने लगा कि अगर थाली के दाम नही बढ़ाए तो ढाबा नुकसान में चलने लगेगा।वह एक थाली 40 रूपये में बेचना चाह रहा था।परंतु उस नगर के राजा की आज्ञा बिना कोई भी व्यापारी अपनी वस्तुओं की कीमत नही बढ़ा सकता था। इस लिए वो एक दिन समय निकाल कर राजा से इस बाबत मिलने गया।उसने राज दरबार में राजा से मिलने की अनुमति मांगी।राजा की अनुमति मिलने पर वह राजा के समक्ष उपस्थित हो कर उसने राजा को हाथ जोड़ कर और सिर झुका कर नमस्कार किया।राजा ने उसके अभिवादन का उत्तर देते हुए कहा कहिए क्या परेशानी है?
बनिया ने निवेदन किया अन्नदाता में ढाबा चलाता हूं।अन्नदाता की कृपा से अच्छा चल रहा था। परंतु वस्तुओं के महंगे हो जाने से अब एक भोजन की थाली जो में 30 रु में देता था ,वह अब संभव नहीं हो पा रहा।इस लिए भोजन की थाली में अब 40 रु0 की करना चाहता हूं। इसी लिए अन्नदाता के दरबार में उपस्थित हुआ हूं।
राजा ने बनिए से कहा की तुम एक थाली 40 रु0 की नही बल्कि 60 रु0 की करो।बनिया चकित होकर राजा की और देख कर बोला पर महाराज ये तो लोगों के साथ अन्याय होगा सब तरफ हाहाकार मच जाएगा। राजा ने कहा ये काम तुम्हारा नही हमारा है ।हम राजा है।अगर हम हाहाकार रोक नहीं पाए तो हमारा राजा होना बेकार है।तुम वही करो जो हम कह रहे है।बाकी हम पर छोड़ दो।बनिया सिर झुका कर नमन कर के वहां से वापस ढाबे पर आगया। अगले दिन से उसने एक थाली 60 रु0 की कर दी।लोग आश्चर्य में हो कर उससे पूछने लगे अरे एक दम दुगनी कीमत कैसे कर दी? बनिया बोला महंगाई बढ़ गई है अब पहले वाली कीमत में नही पोसाता।नगर में उस ढाबे की चर्चा होने लगी थोड़े ही दिनों में थाली की कीमत को ले कर हाहाकार मच गया।लोग बनिए को गालियां देने लगे।उसे मुनाफाखोर और ना जाने क्या क्या कहने लगे।बनिया राजा की आज्ञा मान सब कुछ सुनता रहा।कुछ दिनों बाद लोग राजा के पास जा कर बनिए की शिकायत करने लगे की कैसे बनिए ने एक थाली की कीमत को दुगना कर दिया।राजा ने क्रोध दिखाते हुए सैनिकों को बनिए को पकड़ कर लाने को कहा।सैनिक बनिए को पकड़ कर राजा के सामने लाए ।राजा ने क्रोध दिखाते हुए बनिए को इतनी कीमत बढ़ने पर फटकारा।और फिर आज्ञा दी की कल से थाली 60रु0की नही 45रु0 की बेचोगे। जनता खुश हो गई।उसने राजा की जय जय कार शुरू कर दी।और सब लोग खुशी खुशी अपने घर चले गए।दरबार में केवल बनिया और राजा ही रह गए।राजा ने कुटिलता पूर्वक मुस्कुराते हुए कहा 2 रूपये प्रतिथली राजकोष में जमा करा के 40 के स्थान मार 43 रु0 प्रति थाली लोगो को दो।
Shyamsundar Samaria Ke Facebook Wall Se