मुंबई: हीरो बनकर तो हर कोई लोगों के दिलों में राज करता है, लेकिन एक विलेन होकर भी लोकप्रिय होना अपने आप में बड़ी बात है। यह कारनामा प्रेम चोपड़ा ने बखूबी कर दिखाया। उन्होंने हिंदी सिनेमा में खलनायकों के किरदार को एक अलग ही मुकाम पर पहुंचाया। 70 और 80 के दशक में उनकी खलनायकी ने उन्हें भारतीय सिनेमा का एक आइकॉनिक चेहरा बना दिया। प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितंबर 1935 को लाहौर में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार शिमला (हिमाचल प्रदेश) में शिफ्ट हो गया। यहीं उनकी परवरिश हुई। आज प्रेम चोपड़ा के जन्मदिन पर जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से…
अभिनेता बनने के खिलाफ थे पिता
प्रेम चोपड़ा की परवरिश शिमला में हुई और स्कूली पढ़ाई भी यहीं से पूरी हुई। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। इस दौरान वे नाटकों में भी खूब हिस्सा लिया करते। प्रेम चोपड़ा का दिल अभिनय के लिए धड़कता था, मगर परिवार में इसका विरोध था। प्रेम चोपड़ा के पिता उन्हें डॉक्टर या आईएएस बनाना चाहते थे। हालांकि, पारिवारिक विरोध के बावजूद प्रेम चोपड़ा स्नातक के बाद ही मुंबई आ गए अपना सपना पूरा करने। प्रेम चोपड़ा ने अभिनय की दुनिया में कदम रख दिया। इसी बीच कैंसर के चलते उनकी मां का निधन हो गया। इस दौरान उनकी बहन अंजू की उम्र महज 9 साल थी। अंजू की जिम्मेदारी अब प्रेम चोपड़ा, उनके अन्य चार भाई और पिता पर थी। प्रेम ने अंजू को अपनी पहली बेटी मान लिया और उनके पालन-पोषण में लग गए।
पंजाबी फिल्मों से किया डेब्यू
प्रेम चोपड़ा की फिल्मों में एंट्री एक संयोग थी। एक रोज वे मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर कर रहे थे तब उनकी मुलाकात किसी अनजान आदमी (कृष्ण कुमार के प्रोडक्शन कंट्रोलर) से हुई, उन्होंने ल्मों में काम करने का रास्ता सुझाया। उन दिनों प्रेम चोपड़ा मुम्बई में एक मीडिया हाउस के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में नौकरी करते थे। प्रेम चोपड़ा ने 1960 में पंजाबी फिल्म 'चौधरी करनैल सिंह' से शुरुआत की, जो उसी अनजान शख्स की वजह से मिली। 'चौधरी करनैल सिंह' बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इस फिल्म ने 1961 में सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। यह कहानी एक मुस्लिम लड़के और एक हिंदू लड़की के प्यार की थी। बता दें कि इस पंजाबी फिल्म के लिए प्रेम चोपड़ा को 2500 रुपये मिले थे। इस फिल्म को बनने में लगभग तीन साल लगे थे।
कैसे मिला विलेन का रोल
प्रेम चोपड़ा के फिल्मों में विलेन बनने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। दरअसल, बात उन दिनों की है जब अभिनेता इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात मशहूर और दिग्गज फिल्मकार महबूब खान से हुई। महबूब खान ने प्रेम चोपड़ा को देखते ही उनसे वादा किया वह उन्हें फिल्मों में उन्हें मुख्य भूमिका रोल देंगे, लेकिन प्रेम को इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। इसी बीच अभिनेता को फिल्म 'वो कौन थी' में विलेन का रोल ऑफर हुआ, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। साल 1964 में आई यह फिल्म उस दौर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक रही। इतना ही नहीं फिल्म में पहली बार बतौर विलेन नजर आए प्रेम को लोगों ने भी काफी पसंद किया। महबूब खान ने उन्हें इसी दिशा में आगे बढ़ने को कहा। प्रेम चोपड़ा ने बात मानी और सिनेमा के खलनायक बन गए।
'वो कौन थी' ने पलटी किस्मत
फिल्म 'वो कौन थी' (1964) प्रेम चोपड़ा के करियर में टर्निंग पॉइंट साबित हुई। 'वो कौन थी' के बाद उन्होंने पृथ्वीराज कपूर अभिनीत सिकंदर ए आजम (1965), मनोज कुमार की शहीद (1965) और तीसरी मंजिल (1966) में भी बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों को दीवाना बना लिया। प्रेम चोपड़ा ने अपने करियर में बॉबी', 'बेताब', 'गुप्त' और 'कोई मिल गया' समेत करीब 400 फिल्मों में काम किया। साल 2023 में उन्होंने रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' में अहम किरदार निभाकर खूब तारीफ बटोरीं।
पूरा नहीं हुआ हीरो बनने का सपना, लेकिन विलेन बनकर छाए
प्रेम चोपड़ा हीरो बनने इंडस्ट्री में आए थे। प्रेम चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'बाकी कलाकारों की तरह मैं भी शुरुआत में हीरो बनना चाहता था। कुछ पंजाबी फिल्मों में मैंने बतौर हीरो काम भी किया और वे दर्शकों ने पसंद भी कीं। लेकिन, हिंदी सिनेमा में मैंने जिन फिल्मों में हीरो या केंद्रीय किरदार निभाए, वे फ्लॉप रहीं। अगर आपकी फिल्में फ्लॉप हो रही हैं तो इंडस्ट्री में ज्यादा मौके नहीं मिलते। मुझे निगेटिव रोल ऑफर हुए और मैंने उन्हें स्वीकार किया। दिलचस्प बात यह है कि इन किरदारों का जादू दर्शकों कि सिर चढ़कर बोला।
परदे पर पिता को देख प्रेम चोपड़ा की बेटी भी घबरा गई
प्रेम चोपड़ा के पर्दे पर नेगेटिव किरदारों का असर उनकी निजी जिंदगी पर भी पड़ा। असल जिंदगी में उन्हें देख महिलाएं छिप जाया करती थीं। अपनी बेटी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा खुद प्रेम चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया था। उन्होंने बताया कि एक फिल्म के प्रीमियर के दौरान वह अपनी बेटी को साथ लेकर गए थे। इस दौरान पूरी फिल्म देखने के बाद वह सिर्फ उन्हें घूरती रही। इतना ही नहीं वह उनके विलेन वाले रूप को देख इतना घबरा गई थी कि उनसे बात तक नहीं कर पा रही थी। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी बेटी को समझाया कि वह फिल्मों में जो करते हैं, वह केवल उनका काम है।
इंडस्ट्री में तोड़ा स्टीरियोटाइप
प्रेम चोपड़ा ने इंडस्ट्री में कई स्टीरियोटाइप तोड़े। प्रेम चोपड़ा अच्छे दिखने वाले खलनायकों के कॉन्सेप्ट को पेश करने वाले लोगों में से थे। उन्होंने यह साबित किया कि विलेन गुड लुकिंग भी हो सकता है।
राजेश खन्ना के साथ कीं 19 फिल्में
बलराज साहनी, प्राण, अशोक कुमार, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना और शशि कपूर प्रेम चोपड़ा के करीबी दोस्त रहे। 60 के दशक के आसपास उनके सबसे करीबी दोस्त मनोज कुमार, रंजीत, सुजीत कुमार, असरानी थे। प्रेम चोपड़ा ने राजेश खन्ना के साथ कई चर्चित फिल्मों में काम किया है। प्रेम चोपड़ा साल 1969 से 1991 तक सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ डोली (1969) से लेकर घर परिवार (1991) तक फिल्मों में खलनायक की भूमिका में लगातार नजर आए। प्रेम चोपड़ा और राजेश खन्ना की जोड़ी ने साथ में करीब 19 फिल्मों में काम किया और उनमें से 15 बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं। दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती रही।
राज कपूर के साथ प्रेम चोपड़ा का रिश्ता
हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर का प्रेम चोपड़ा के साथ पारिवारिक रिश्ता रहा। दरअसल, राज कपूर अभिनेता के साढ़ू थे। प्रेम चोपड़ा की शादी राज कपूर की पत्नी कृष्णा की बहन उमा से हुई है। उमा और कृष्णा बॉलीवुड एक्टर राजेंद्र नाथ और प्रेम नाथ की बहने हैं। उमा और प्रेम चोपड़ा की तीन बेटियां हैं। रकिता, पुनीता और प्रेरणा। बड़ी बेटी रकिता ने स्क्रीन राइटर और पब्लिसिटी डिजाइनर राहुल नंदा से शादी की। इसी तरह दूसरे नंबर की बेटी पुनीता की शादी सिंगर और टीवी एक्टर विकास भल्ला से हुई। छोटी बेटी प्रेरणा का विवाह अभिनेता शरमन जोशी से हुई।