Saturday, July 27, 2024
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Eyes caring tips: कम उम्र में ही लोगों को हो रही हैं आंखों की ये खतरनाक बीमारियां, ऐसे करें बचाव

Eyes caring tips: आंख शरीर का सबसे नाजुक हिस्सा माना जाता है। एक छोटी सी चोट भी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकती है। आंखों की सेहत सबसे जरूरी है। ये अगर स्वस्थ नहीं रहेंगे तो आपकी दुनिया काली हो सकती है और आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा सकता है। विश्व स्तर पर, कम से कम 2.2 बिलियन लोगों को निकट या दूर दृष्टि दोष है। इनमें से कम से कम 1 बिलियन या लगभग आधे मामलों में, दृष्टि हानि यानी कि अंधेपन को रोका जा सकता था। इसके लिए जरूरी ये है कि आप सही समय पर डॉक्टर के पास जाएं और अपनी आंखों का इलाज करवाएं। यही वजह है कि आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों को लेकर आपको सतर्क रहना चाहिए।

आंखों की बीमारियों का कारण-

ग्लूकोमाः ग्लूकोमा एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आंख से ब्रेन तक मैसेज पहुंचाने वाले रेटिनल न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचने लगता है। यह स्थिति इतनी गंभीर है कि अंधेपन का कारण भी बन सकती है। अगर किसी को आंखों में धूंधलापन, नजर में लगातार कमजोरी, आंख का सूखा रहना, पानी आना और सिर दर्द की परेशानी है तो ये ग्लूकोमा के लक्षण हो सकते हैं। ग्लूकोमा अगर एक बार हो गया तो इसका ठीक होना मुश्किल है। हालांकि अगर इस बीमारी का जल्दी पता चल जाए तो समय पर इलाज लेकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

ट्रेकोमा: ट्रेकोमा आंख का एक रोग है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह 44 देशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और लगभग 1.9 मिलियन लोगों में अंधापन या दृश्य हानि का कारण बनता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथीः डायबिटिक रेटिनोपैथी एक रेटिनल कंडीशन है, जो ब्लड शुगर लेवल के ज्यादा होने पर आंखों को प्रभावित करती है। ज्यादा ब्लड शुगर होने पर रेटिना को नुकसान पहुंचने लगता है। डायबिटीज के मरीज इस स्थिति में रेटिना डिटेचमेंट, एडिमा या ब्लीडिंग जैसी दिक्कतें महसूस करते है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो अंधेपन की समस्या पैदा हो सकती है

मोतियाबिंदः आंखों की एक बीमारी मोतियाबिंद भी है। मोतियाबिंद में आंख का लेंस धुंधला या धूमिल हो जाता है। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये गंभीर रूप भी ले सकती है। वैसे तो मोतियाबिंद किसी भी उम्र में लोगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि इसके ज्यादातर मामले बुढ़ापे में देखे जाते है।

मैक्यूलर डिजनरेशनः मैक्यूलर डीजनरेशन बढ़ती उम्र से जुड़ी एक बीमारी है, जो केंद्रीय दृष्टि में दिक्कत का कारण बनती है। यह बीमारी आमतौर पर ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है। इसमें दृष्टि काफी धुंधली हो जाती है और रेटिना कमजोर पड़ने लगता है, जिससे देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।

रेटिनाइटिस पिगमेंटोसाः रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा आंखों की एक आनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी आंखों को कमजोर बनाने का काम करती है और समय के साथ इसे खराब करती चली जाती है। वैसे तो यह लोग कम देखा जाता है। हालांकि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने की इसकी संभावना अधिक होती है। इस बीमारी को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • रोजाना सुबह आंखों की सफाई करें।
  • आंखों में जलन या दर्द होने पर कई आई ड्रोप डाल लें।
  • जिस जगह काम करते हैं वहां पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था रखें।
  • काम के बीच में ब्रेक लेते रहें।
  • आंखों से संबंधित किसी भी परेशानी के महसूस होने पर डॉक्टरों से सलाह जरूर लें।

जिन लोगों को आंख से जुड़ी बीमारियां होती हैं, उनमें सबसे बड़ा डर ‘अंधेपन‘ का होता है। कुछ लोगों को आंखों की वक्ती बीमारी होती है, जो एक वक्त बाद अपने आप ठीक हो जाती है, जैसे- आई फ्लू या कंजक्टिविटीज। जब कि कुछ लोगों की आंखों में लंबे समय तक चलने वाली बीमारी होती है।

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