Jaya Kishori: फेमस मोटिवेशनल और कथावाचक और जया किशोरी हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। जया किशोरी ने कहा कि उन्हें कोई साधु-संत कहे यह पसंद नहीं है। साधु-संत को अपने सुख-दुख से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मेरे अंदर ऐसा गुण नहीं है जिस कारण से मैं हमेशा कहती हूं कि मुझे साधु-संत की उपाधि नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे अध्यात्म पसंद है। आप भगवान को उसी तरह पा सकते हैं जैसे हैं। भगवान को पाने के लिए आपको कुछ अलग करने की जरूरत नहीं है। आइए जानें जया किशोरी की जिंदगी से जुड़े कुछ खास रहस्य के बारे में।
मुझे गुफा-कुटिया में रहना बिल्कुल पसंद नहीं
उन्होंने बताया कि वैराग लेने के अपने नियम है। जया किशोरी ने बताया कि मुझे किसी कुटिया में रहने की जगह शहर में रहना पसंद है। उन्होंने बताया कि शुरू से मेरे घर का माहौल धार्मिक रहा है।
जया किशोरी ने कहा कि भगवान ने नहीं कहा कि अब सबकुछ छोड़कर कुटिया में रहो। मेरे घर का माहौल शुरू से धार्मिक था। जिस कारण मेरे अंदर धर्म को लेकर जिज्ञासा बढ़ती गई।
उन्होंने कहा कि मैं अभी भी एक स्टूडेंट्स हूं। मैं आगे भी पढ़ना चाहती हूं। संभवतः मैं 60 से 70 साल की उम्र तक में पढ़ती रहना चाहूंगा। जया किशोरी ने कहा कि मुझे शहर में रहना पसंद है ना कि कुटिया में। उन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से वैरागी बनने के लिए कुछ नियम होते हैं। उनको किसी से कोई लेना-देना नहीं होता है। अगर आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आप गृहस्थ में हैं। ऐसे में मैं बीच का रास्ता चुनना पसंद करूंगा। उन्होंने साफतौर पर कहा कि मुझे गुफा-कुटिया में रहना बिल्कुल पसंद नहीं है। मैं कभी इन बातों को कभी भी नहीं छिपाती हैं।
ट्रोलर्स के कारण कभी-कभी तनाव भी होता
उन्होंने कहा कि ट्रोलर्स के कारण कभी-कभी तनाव भी होता है। जया किशोरी ने कहा कि मेरा कोई टारगेट ऑडिएंश नहीं है। जिन्हें भगवान पसंद हैं वो मेरी कथाओं में आते हैं। जो नकारात्मक के बीच सकारात्मकता खोज रहे हैं। वो 3 से 4 घंटे की हमारी कथा में शामिल होते हैं। मेरा एक मात्र मकसद है। कथा से लोगों के बीच सकारात्मकता मिले। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी लोकप्रियता पर भी खुल के बात कही।
कथा तो एक ही है
कथा के लिए तैयारी को लेकर जया किशोरी ने बताया कि उन्हें अब कथा सुनाने के लिए ज्यादा तैयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि कथा तो एक ही है। हर जगह नया नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि बीच-बीच में पढ़ते रहने की आवश्यकता है। कहानियों के लिए आप नई-नई किताबें पढ़ते रहिए। नए-नए लोगों को सुनते रहिए।