भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के 1279 कॉलेजों की 8,87,177 सीटों पर प्रवेश के लिए ई-प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए ई-प्रवेश पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीयन किए जा रहे हैं। इस पोर्टल पर कॉलेजों की सूची, पाठ्यक्रम सहित अन्य जानकारी भी उपलब्ध कराई है, लेकिन इन कॉलेजों की फीस देखने का विकल्प नहीं है। ऐसे में कॉलेजों के चयन के दौरान विद्यार्थी और अभिभावक परेशान हो रहे हैं।
अभिभावकों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति कॉलेज के चयन के पहले यह देखना चाहता है कि उक्त कॉलेज उसकी आर्थिक स्थिति के अनुरूप है कि नहीं, इसके बाद ही वह उसका चयन करता है, लेकिन यहां व्यवस्था इसके विपरीत है। चयन के बाद कॉलेजों का आवंटन कर दिया जाएगा, जिसके बाद ही विद्यार्थी को कॉलेज पहुंचकर फीस की जानकारी लगेगी। पोर्टल पर जानकारी नहीं होने से कॉलेज मनमानी फीस जमा कराएंगे। ऐसे में विद्यार्थी पास सीट छोडऩे अथवा कॉलेज द्वारा बताई जा रही मनमानी फीस जमा करने का विकल्प ही बचता है। जबकि यह जानकारी ई-प्रवेश पोर्टल पर आसानी से उपलब्ध कराई जा सकती है।
बिना रसीद चलने वाले खेल का पूरा गणित ऐसे समझें :
हाल ही में बीयू द्वारा विभिन्न परीक्षाओं के लिए परीक्षा आवेदन के आदेश जारी किए गए थे। उदाहरण के लिए एक सेमेस्टर में एक विषय में एटीकेटी के लिए परीक्षा शुल्क कुल 760 रूपए तय किया गया, लेकिन कॉलेज द्वारा विद्यार्थी से 1100 रूपए तक वसूला जा रहा है। ऐसे में जो 340 रूपए अतिरिक्त वसूला गया है, वह सीधे कॉलेज की जेब में पहुंचता है। इसी प्रकार अगर पूरे एक सेमेस्टर की परीक्षा शुल्क की बात करें तो इसके लिए 1300 शुल्क तय किया गया, लेकिन किसी कॉलेज में 1500 रूपए तो कहीं 2000 रूपए तक वसूला जाता है। ऐसे में नुकसान विद्यार्थी का होता है। खास बात यह भी है कि इस पूरे खेल में न तो ऑनलाइन शुल्क लिया जाता है और न ही इसकी रसीद दी जाती है। वहीं कर्मवीर शर्मा, आयुक्त, उच्च शिक्षा विभाग इनका कहना हम मामलों की जांच कराएंगे और विद्यार्थियों के हित में नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।