रहस्य और रोमांच से भरी दुनिया में कई चीजें ऐसी हैं जो हमेशा से रोमांचित और आश्चर्यचकित करती रही है। मध्य प्रदेश की धरती में एक ऐसा ही आश्चर्य हुआ था। मुगलकाल में संभावित खतरे से बचाने के लिए ऐक ऐसे ग्लास का आविष्कार किया गया था, जो यह बता देती थी कि पानी या पेय पदार्थ में जहर है या नहीं। मुगलों के जमाने की यह ग्लास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में पुरात्वविदों के पास आज भी सुरक्षित और संरक्षित है। यह खास गिलास पूरी तरह से कांच का बना होता था और इसकी एक खासियत थी. अगर इसमें रखे किसी भी पेय में जहर मिला दिया जाता था, तो ये गिलास उस खतरे को बता देता था। यह ग्लास मुगलकालीन सभ्यता का शानदार नमूना था, जो जीवन को सुरक्षित रखने के लिए इजात किया गया था। लगभग 400 साल पुराना यह ग्लास कासा धातु से बनाया गया था। इस धातु के ढांचे के अंदर एक कांच का हिस्सा होता है जो जहर का पता लगा सकता है। अगर कोई राजा को जहर देने की कोशिश करता, तो इस कांच के गिलास में पानी में कीटनाशक या कोई और जहर मिलाने पर नीचे का कांच अपना रंग बदल देता था। यह रंग बदलना राजाओं को उनके खिलाफ रची जा रही साजिश के बारे में सतर्क कर देता था।
ग्लास में उकेरी गई हैं शाहजहां-मुमताज की तस्वीरें
जीवन के प्रति संभावित खतरे को लेकर आगाह करने वाली इस ग्लास पर शाहजहां और मुमताज की तस्वीरों को पुदीने के साथ बारीकी से उकेरा गया है, जो उस समय की शानदार कारीगरी को दर्शाता है। यह गिलास लगभग आधा फुट ऊंचा है और इसमें आधा लीटर पानी आ सकता है।