नई दिल्ली । कोरोना के बाद भारत में डेंगू और चिकनगुनिया ने पैर पसार लिए हैं। इस साल न केवल डेंगू के मामले तेजी से बढ़े हैं, बल्कि चिकनगुनिया के संदिग्ध मामले भी पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को तोड़कर बढ़ रहे हैं। इसकारण इस बार अस्पताल दोनों ही बीमारियों के मरीजों से भरे हुए हैं। हालांकि चिकनगुनिया के मरीजों की तादाद का बढ़ना काफी परेशान करने वाला है क्योंकि नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल के आंकड़े बताते हैं कि साल 2006 में देश में चिकनगुनिया के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, उसके बाद अब 2022 में यह बीमारी ज्यादा परेशान कर रही है।
नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (एनवीबीडीसीपी) के विशेषज्ञों की मानें, तब पिछले कुछ सालों में हर साल डेंगू के मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है, वहीं साल 2017 से ही चिकनगुनिया के मरीजों का आंकड़ा काफी कम रहता है। इतना ही नहीं चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों की संख्या भी काफी कम रही है, लेकिन साल 2022 के आंकड़े बताते हैं कि इस बार देश में चिकनगुनिया के संदिग्ध मामले डेंगू मामलों के लगभग बराबर हो गए हैं।
एनवीबीडीसीपी के अनुसार इस बार 31 अक्टूबर 2022 तक चिकनगुनिया के कुल दर्ज केस 5320 हैं, जबकि संदिग्ध मामलों की संख्या 108957 पहुंच चुकी है। वहीं पिछले साल यानि 2021 में चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों की संख्या 119070 थी। वहीं कुल दर्ज केस 11890 थे। वहीं 2020 में चिकुनगुनिया का प्रकोप काफी कम था, लेकिन एक चीज जो आंकड़ों में देखी जा सकती है, वह यह है कि इस बार संदिग्ध केस 2017 के बाद दूसरे सबसे ज्यादा हैं और सिर्फ अक्टूबर तक के आंकड़ों में ही पिछले साल से सिर्फ कुछ हजार ही कम हैं।
इस साल दर्ज केस गुजरात में 852, कर्नाटक में सबसे ज्यादा 1789, महाराष्ट्र में 865 सामने आए हैं। वहीं राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना, बंगाल, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में भी चिकुनगुनिया फैल रहा है। स्वास्थ्य जानकार बताते हैं कि चिकनगुनिया मारक बीमारी नहीं है, लेकिन इस वजह से दुखदायी है कि इसका पोस्ट चिकनगुनिया इफैक्ट लोगों को काफी दिनों तक परेशान करता है। इसके मरीजों को जोड़ों के दर्द की समस्या रहती है जो कई बार अर्थराइटिस या गठिया का रूप भी ले लेती है।
कोरोना के बाद देश के कुछ राज्यों में लोगों पर चिकनगुनिया की पड़ी मार
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