Thursday, February 6, 2025
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5 किलोमीटर चौड़ी और 1400 किलोमीटर लंबी ग्रीन वॉल के निर्माण की हुई शुरुआत

ग्रीन वॉल : विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल “ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया” के निर्माण की शुरुआत हो रही है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ते रेगिस्तान, घटती हरियाली का संकट और प्रदूषण मुक्त जमीन के लिए मोदी सरकार की एक बेहतरीन योजना है ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया। भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने का यह प्रयास बहुत ही कारगर साबित हो सकता है। पांच किलोमीटर चौड़ी और 1,400 किलोमीटर लंबी यह ग्रीन वॉल गुजरात के पोरबंदर से हरियाणा के पानीपत तक बनाई जाएगी। ग्रीन वॉल में पेड़-पौधों की दीवार बनाने का लक्ष्य है, ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके और धूलभरी आंधी को रोका जा सके।

Greenwall map

बीते दो दशक में तथाकथित विकास और अवैध खनन के कारण अरावली की पहाड़ियां समतल हो चुकी हैं। अब यह  भारत के पश्चिम और पाकिस्तान की ओर से आने वाली धूल भरी हवाओं को रोकने में अक्षम साबित हो रही है। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली हुई पर्वतमाला पर घटती हरियाली का संकट कम किया जा सकेगा। भारत ने 2030 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रोजेक्ट से करीब 2।6 करोड़ हेक्टयेर जमीन को प्रदूषण मुक्त किया जा सकेगा। पानीपत से पोरबंदर तक बनने वाली ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया में फरीदाबाद के 17 गांव आएंगे और हरियाणा में यह दीवार नूंह, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से होकर गुजरेगी।

फायदा : प्रदूषण मुक्त होगी करीब 216 करोड़ हेक्टयेर जमीन

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने पीपल का पौधा लगाकर गुरुग्राम के गांव टीकली से हरित दीवार निर्माण की शुरुआत कर दी है। इसके तहत थार के मरुस्थल के विस्तार को रोकने के लिए विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल विकसित किया जा रहा है। इसकी कुल लंबाई अरावली पर्वत शृंखला से दोगुनी होगी। इस ग्रीन वाल से लगभग 216 करोड़ हेक्टयेर जमीन प्रदूषण मुक्त होने की संभावना है। यह ग्रीन वॉल देश के तीन राज्यों से होकर गुजरेगी। इसके निर्माण से दक्षिण हरियाणा में स्थित अरावली पर्वत माला के पूर्व के स्वरूप में लौटने की उम्मीद की जा रही है। अफ्रीका में भी जलवायु परिवर्तन और बढ़ते रेगिस्तान से छुटकारा पाने के लिए इसे तैयार किया जा रहा है। इसे “ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ सहारा” भी कहा जाता है।

क्‍या कहते हैं मंत्री अधिकारी

विश्व वानिकी दिवस को लेकर जारी गतिविधियों के तहत अरावली पर्वत शृंखला में हरियाली व जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने लिए केंद्र ने हरियाणा सरकार के सहयोग से अरावली ग्रीन वॉल परियोजना की शुरुआत की है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस कड़ी में ग्रीन वॉल की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की भी शुरुआत हो गई है। भारत के पश्चिम में स्थित अरावली, मध्य में स्थित विंध्या व दक्षिण में स्थित सह्याद्री के पर्वतों से भी लंबी होगी मानव निर्मित पेड़ों की पट्टी। बता दें कि अरावली की लंबाई 692 किलोमीटर है।

Greenwall 2
योजना की शुरूआत करते केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव

शुरूआत : मई व जून में होगा काम

ग्रीन वॉल पांच किलोमीटर चौड़ी और 1400 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें पेड़-पौधे लगाकर हराभरा किया जाएगा। फरीदाबाद में भी 17 गांवों के अंदर पौधरोपण कर ग्रीन वॉल बनाने की तैयारी की जा रही है। काम मई व जून में किया जाएगा। स्थानीय पर्यावरणविद का कहना है कि ग्रीन वॉल तैयार करने से पहले अरावली के अंदर रोड़ी-बजरी बनाने वालों का जो कब्जा होता जा रहा है, उसे हटाना होगा। पर्यावरणविद विष्णु गोयल ने बताया कि अनंगपुर चौक से सूरजकुंड के लिए चलेंगे तो कुछ दूरी पर जाकर ही उल्टे साइड जंगलों में रोड़ी-बजरी तोड़ कर उन्हें बेचने वाले माफिया काम कर रहे हैं। ट्रक अंदर जाकर रोड़ी-बजरी उठाते हैं और उसे बेचने के लिए ले जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान भारी मात्रा में धूल उड़ती है जो जंगल के पेड़ों को नष्ट कर रही है आज भी सड़कों पर धूल जमी है।

रूकावट : अरावली में अवैध कब्जों से कैसे साकार होगा ग्रीन वॉल का सपना?

हरियाली वाली बात करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से हाल ही अरावली में ग्रीन वॉल बनाने के प्रॉजेक्ट की शुरुआत हुई है। कहा गया है कि पानीपत से लेकर गुजरात के पोरबंदर तक ग्रीन वॉल बनाई जाएगी। पेड़-पौधों की दीवार बनाने का लक्ष्य है, ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके और धूलभरी आंधी को रोका जा सके। हालांकि ग्रीन वॉल प्रॉजेक्ट की कामयाबी में पत्थर माफिया बाधा बने हैं। प्रॉजेक्ट तभी कामयाब होगा, जब अरावली के अंदर से रोड़ी-बजरी तोड़ने वाले पत्थर माफिया पर कार्रवाई हो। अनंगपुर स्थित अरावली फॉरेस्ट के अंदर लगभग पांच एकड़ ज़मीन पर लगातार कब्जा बढ़ रहा है। वन विभाग व ज़िला प्रशासन को पूरी जानकारी है, लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। हर रोज अनंगपुर से सूरजकुंड की तरफ चलते ही धूल उड़ने से पेड़-पौधों की पत्तियां धूल में लिपट गई हैं।

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