नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम पर अंतिम निर्णय के करीब पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेताओं और संभावित उम्मीदवारों के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद और बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले इसका ऐलान कर सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कई कारणों से विलंबित चयन अब करीब पूरा होने वाला है।
रिपोर्ट में बताया गया हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और उसके वैचारिक मूल संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने नामों के लिए सुझाव मांगने के लिए करीब 100 प्रमुख हस्तियों से संपर्क हुआ है। परामर्श में पूर्व भाजपा अध्यक्ष, वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और भाजपा या आरएसएस से जुड़े इसतरह के नेता शामिल हैं, जो पहले प्रमुख संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी अपने वरिष्ठ मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर रही है ताकि पार्टी के अगले अध्यक्ष के बारे में उनकी राय ली जा सके।
जातिगत समीकरणों, लोकप्रियता और राजनीतिक विचारों को ध्यान में रखा जा रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया प्रक्रिया अपनाई गई है। इस प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने 86 प्रमुख नेताओं से संपर्क किया है ताकि उनसे प्रतिक्रिया ली जा सके जिससे उन्हें अगला कदम उठाने में मदद मिल सके। जिन नेताओं से बात की गई, उनमें से कुछ कैबिनेट के प्रमुख मंत्री भी हैं।
तकनीकी रूप से, प्रक्रिया में देरी कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में अध्यक्षों के नामों की घोषणा में देरी के कारण हुई है। अभी तक, दिल्ली, मुंबई, पंजाब और मणिपुर में भी नए अध्यक्षों की घोषणा होनी बाकी है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में आगे बढ़ने के लिए पार्टी को 36 में से कम से कम 19 राज्यों में अध्यक्षों की घोषणा करनी होगी।