Lal Quila Blast Case: 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार धमाके की परतें अब तेजी से खुल रही हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तफ्तीश में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो बताते हैं कि यह धमाका एक बड़ी साजिश का छोटा सा हिस्सा था. जांच से जुड़े सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के कुल 8 खूंखार आतंकी देश के 4 बड़े शहरों में एक साथ सीरियल ब्लास्ट करने की फिराक में थे.
दो-दो की टीम, चार शहरों पर थी नजर
रिपोर्ट के अनुसार, इन 8 आतंकियों ने खुद को दो-दो के चार ग्रुप में बांट लिया था. इन सभी टीमों को देश के अलग-अलग 4 शहरों में जाने और वहां कई जगहों पर धमाके करने का जिम्मा सौंपा गया था. सूत्रों ने बताया कि इन आतंकियों का इरादा था कि वे अपने साथ एक से ज़्यादा IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) लेकर जाएं, ताकि एक जगह नहीं तो दूसरी जगह पर बड़े पैमाने पर तबाही मचाई जा सके.
सुसाइड बॉम्बर उमर को मिली थी मोटी रकम
सूत्रों के मुताबिक, लाल किले पर I20 कार से आत्मघाती हमला करने वाले मुख्य आतंकी डॉ. उमर नबी को इस खतरनाक मिशन को अंजाम देने के लिए मोटी रकम दी गई थी. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, उमर को जैश के साथियों – डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. अदील, और डॉ. शाहीन सईद ने मिलकर 20 लाख रुपए नकद दिए थे.
लेकिन, पैसों के इसी लेन-देन को लेकर उमर नबी और आतंकी मुजम्मिल के बीच तीखी बहस और झगड़ा भी हुआ था. इससे पता चलता है कि मिशन में शामिल आतंकियों के बीच तालमेल और पैसों को लेकर विवाद भी पनप रहे थे. उमर नबी सिग्नल ऐप पर 2-4 सदस्यों का एक खुफिया ग्रुप बनाकर भी मैसेज भेजता था.
20 क्विंटल फर्टिलाइजर से IED बनाने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने दिल्ली धमाके से पहले ही विस्फोटक सामग्री जुटाने का काम शुरू कर दिया था. सूत्रों के अनुसार, इन आतंकियों ने IED बनाने के इरादे से गुरुग्राम, नूंह और आस-पास के इलाकों से 20 क्विंटल से अधिक NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) फर्टिलाइजर खरीदा था. इतनी बड़ी मात्रा में उर्वरक का इस्तेमाल केवल बड़े पैमाने पर विस्फोटक बनाने के लिए ही किया जा सकता है. यह खरीद करीब 3 लाख करोड़ रुपये की रकम से की गई थी, जिससे साफ है कि यह आतंकी संगठन बेहद मजबूत आर्थिक ढांचे के साथ काम कर रहा था.
गाड़ियों में ब्लास्ट की थी साजिश
रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी सिर्फ आईईडी तक ही सीमित नहीं थे. उनकी योजना थी कि वे पुरानी गाड़ियों में विस्फोटक भरकर उन्हें निशाना बनाए गए इलाकों में इस्तेमाल करें. लाल किला धमाके में I20 कार का इस्तेमाल हुआ था, लेकिन अब एजेंसियों को पता चला है कि आतंकी दो और पुरानी गाड़ियां तैयार करने की योजना बना रहे थे. इनका मकसद था कि इनमें IED भरकर भीड़-भाड़ वाली या महत्वपूर्ण जगहों पर ले जाया जाए और बड़े धमाके को अंजाम दिया जाए.
लाल किला धमाके के बाद से मरने वालों की संख्या अब 13 हो चुकी है, जबकि कई जख्मी अब भी अस्पताल में गंभीर हालत में हैं. एनआईए के एसपी रैंक और उससे ऊपर के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं ताकि जैश के इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके.









