ISRO: इसरो के चंद्रयान-3 उपग्रह ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर चंद्रयान-3 इतिहास रचा है। इसके साथ ही यह कारनामा करने वाला भारत पहला देश बना है। हालांकि, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के मामले में भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथे नंबर पर है। चांद की सतह पर उतरने के बाद विक्रम लैंडर से रोवर ‘प्रज्ञान’ को बाहर निकाला गया। चांद के गर्भ में छिपे और रहस्यों को दुनिया के सामने लाने के लिए प्रज्ञान ने चांद पर घूमना शुरू कर दिया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने शनिवार को एक और नया वीडियो साझा किया है, जिसमें प्रज्ञान दक्षिण ध्रुव पर रहस्यों की खोज में शिव शक्ति बिंदु के चारों और घूमता हुआ नजर आ रहा है।
चांद की रोशनी में 14 दिन तक शोध करेगा रोवर प्रज्ञान
शुक्रवार को इसरो को कहा था कि चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं. स्पेस एजेंसी ने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं. उपकरण अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) का मकसद चांद की सतह की कैमिकल कंपोजिशन और मिनरल्स कंपोजिशन की स्टडी करना है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर दोनों ही सौर उर्जा से संचालित हैं। इन्हें चांद की रोशनी वाली जगह पर ठीक से पहुंचाया गया है। 14 दिन तक रोशनी रहेगी तो प्रज्ञान और विक्रम काम कर सकेंगे। लैंडर विक्रम का नाम भारत के अंतरिक्ष तकनीक के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।
विक्रम लैंडर की रफ्तार को कम करना था चुनौती
चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले वैज्ञानिकों के लिए विक्रम लैंडर की रफ्तार को कम करना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसके लिए विक्रम लैंडर को 125×5 किलोमीटर के ऑर्बिट में रखा गया था। इसके बाद इसे डिऑर्बिट किया गया था। जब इसे चांद की सतह की ओर भेजा गया था तब उसकी गति छह हजार किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की थी। इसके कुछ ही मिनटों के बाद रफ्तार को बेहद कम कर दी गई। इसे लैंड कराने के लिए चार इंजनों का सहारा लिया गया था लेकिन दो इंजनों की मदद से विक्रम को लैंड कराया गया।
चंद्रमा की सतह से विक्रम को तस्वीरें भेज रहा प्रज्ञान
विक्रम लैंडर से एक रैंप खुलने के बाद से प्रज्ञान चांद की जमीन पर चल रहा है। यह लगातार विक्रम लैंडर को चांद की सतह से तस्वीरें भेज रहा है। प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर एक दूसरे बातचीत कर सकते हैं। लेकिन प्रज्ञान सीधे इसरो के बेंगलुरु स्थित कमांड सेंटर से सीधे बातचीत नहीं कर सकता है। लेकिन विक्रम लैंडर, कमांड सेंटर और प्रज्ञान दोनों से बातचीत कर सकता है। प्रज्ञान और विक्रम के बीच बातचीत रेडियो वेब्स के जरिए हो रही है, जो एक इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव होती हैं।