एनसीएमसी ने जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की
केंद्रीय मंत्री ने कहा- भूकंप निगरानी प्रणाली करेंगे स्थापित
नई दिल्ली । राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की और कहा गया कि जहां इमारतों और अन्य ढांचों में दरारें आ गई हैं वहां से लोगों को तत्काल प्राथमिकता से पूरी तरह से एवं सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करनी चाहिए। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनसीएमसी की एक बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इस बात पर जोर दिया कि संवेदनशील ढांचे को सुरक्षित तरीके से गिराने को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। एनसीएमसी ने कहा कि भू-तकनीकी भूभौतिकीय और हाइड्रोलॉजिकल सहित सभी अध्ययनों तथा जांचों को एक समन्वित एवं समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए। उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने एनसीएमसी को वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। मुख्य सचिव ने बताया कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत आश्रयों की पहचान की गई है। राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा एवं राहत उपाय प्रदान किए जा रहे हैं।
रोप-वे का संचालन बंद निर्माण कार्यों पर रोक
मुख्य सचिव ने समिति को अवगत कराया कि जोशीमठ-औली रोप-वे का संचालन बंद कर दिया गया है। जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र तथा उसके आसपास के निर्माण कार्यों को अगले आदेश तक रोक दिया गया है। जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा मोचन बलों को तैनात किया गया है। कैबिनेट सचिव ने मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि सभी केंद्रीय एजेंसियां आवश्यक सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य सचिव ने समिति को सूचित किया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ने स्थिति का आकलन करने के लिए 6 से 7 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। टीम ने जिला प्रशासन से भी उनकी जरूरतों को समझने के लिए बातचीत की।
गृह मंत्रालय के अफसरों की एक उच्च स्तरीय टीम जोशीमठ में मौजूद
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने समिति को बताया कि सीमा प्रबंधन सचिव के नेतृत्व में गृह मंत्रालय के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम वर्तमान में स्थिति के आकलन के लिए जोशीमठ में है। बैठक में गृह बिजली सूचना और प्रसारण जल संसाधन और खान मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों एनडीएमए के सदस्यों चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के वैज्ञानिक सचिव ने भी भाग लिया।
केंद्र ने मंगलवार को उत्तराखंड में हिमालय की पहाड़ियों में बसे और धीरे-धीरे धंस रहे जोशीमठ शहर में सूक्ष्म भूकंपीय निगरानी प्रणाली स्थापित करने की घोषणा की। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह घोषणा यहां आयोजित भूविज्ञान पर भारत-ब्रिटेन कार्यशाला में की। उन्होंने कहा कि यह निगरानी प्रणाली बुधवार को स्थापित कर दी जाएगी। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि पृथ्वी की कमजोर ऊपरी परत और उप परत के धंसने की भौतिक प्रक्रिया को समझने के लिए मूलभूत अनुसंधान की बहुत जरूरत है। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत में मानव पर प्राकृतिक आपदाओं का असर तेजी से बढ़ रहा है और इसका सामना करने के लिए उचित रणनीति बनाने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने गत दो साल में 37 नए भूकंप केंद्र बनाए हैं जिससे गहन निगरानी व्यवस्था स्थापित की जा सके और वृहद डाटा एकत्र किया जा सके ताकि परिणाम उन्मुख विश्लेषण संभव हो।