ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन को पहाड़ के विकास के लिए मील का पत्थर कहा जा रहा है लेकिन यह रेल लाइन अगस्त्यमुनि ब्लॉक के रानीगढ़ पट्टी का मरोड़ा गांव के लिए अभिशाप साबित हो रही है। गांव के नीचे रेल लाइन के लिए सुरंग का निर्माण होना है जिसका कार्य जोरों पर चल रहा है। लेकिन इससे पहले ही गांव भू-धंसाव की चपेट में आ गया है।
यहां सभी आवासीय भवन, रास्ते, खेत दरारों से पट चुके हैं। भारी दरारों से तीन आवासीय घर और प्राथमिक विद्यालय का एक भवन टूट चुका है। गांव के 45 परिवार अपना पुश्तैनी घर छोड़कर अन्यत्र शरण ले चुके हैं। जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी की दूरी पर ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे से लगा मरोड़ा गांव रेल लाइन परियोजना से सबसे ज्यादा प्रभावित हो गया है।
ग्रामीणों के खून-पसीने की मेहनत से बने आशियाने कभी भी धंस सकते हैं। गांव में शुरू से आखिर तक ऐसा एक भी मकान नहीं है जिसमें दरारें न हों। भू-धंसाव के कारण गांव रहने लायक नहीं है। प्रभावित विनोद नेगी, सतेश्वरी देवी, वचन सिंह लक्ष्मण सिंह, जितेंद्र सिंह, देवी प्रसाद थपलियाल का कहना है कि रेल परियोजना के तहत गांव के नीचे सुरंग व पुल निर्माण होना है लेकिन उससे पहले ही गांव की जमीन धंस गई है। जितेंद्र सिंह बताते हैं कि उनका नौ सदस्यों का परिवार एक ही कमरे में निवास कर रहा है।
वहीं, पशुपालन विभाग के भवन पर शरण लेने वाली सुमन देवी ने बताया कि ससुर ने एक वर्ष पूर्व दो मंजिला मकान बनाया था लेकिन भूमि धंसने से मकान दरारों से जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया है। आरवीएनएल ने मरोड़ा गांव में प्रभावित नौ परिवारों के पुनर्वास के लिए टिन शेड बनाए हैं लेकिन इन टिन शेड तक पहुंचने के लिए न तो रास्ता बनाया गया है और न यहां बिजली, पानी, शौचालय की कोई व्यवस्था है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना से प्रभावित मरोड़ा गांव के प्रभावित ग्रामीणों को आरवीएनएल द्वारा मुआवजा दिया जाना है जिसके तहत धनराशि प्राप्त हो चुकी है। जल्द ही मुआवजा भुगतान की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। प्रभावितों के लिए बनाए गए टिन शेड की गुणवत्ता घटिया होने की शिकायत मिली है उसकी जांच कराई जाएगी