अब एक साथ तीन दुश्मनों से भारत की लड़ाई.. आर-पार की जंग, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से है कनेक्शन

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नई दिल्ली, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को जिस तरह से मुंह की खानी पड़ी शायद ही वह कभी इसे भूल पाएगा। इस जंग के बाद भारत कूटनीतिक मोर्चे भी बेहद एक्टिव नजर आ रहा। यही वजह है कि भारत ने एससीओ समिट यानी शंघाई सहयोग संगठन की आगामी बैठक में तुर्की और अजरबैजान की उपस्थिति पर आपत्ति जता दी है। यह बैठक चीन के तियानजिन शहर में होने वाली है। भारत ने बैठक से पहले ही एससीओ में डायलॉग पार्टनर्स तुर्की और अजरबैजान की मौजूदगी पर सवाल उठाए हैं। इस मुद्दे को चीन के सामने भी उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले भारत ने मेजबान चीन को अपनी आपत्तियों से अवगत करा दिया है। चूंकि एससीओ आम सहमति से काम करता है, इसलिए किसी एक सदस्य की ओर से किसी मुद्दे पर आपत्ति निर्णायक कारक हो सकती है। भारत को तुर्की और अजरबैजान के पाकिस्तान के साथ संबंधों पर आपत्ति है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। भारत ने इस बारे में चीन से बात की है। एससीओ में कोई भी फैसला सभी सदस्यों की सहमति से होता है। इसलिए, भारत की आपत्ति महत्त्वपूर्ण है। भारत और चीन इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं।

तुर्की ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को ड्रोन जैसे रक्षा उपकरणों से सहायता प्रदान की थी। वहीं, अजरबैजान ने पाकिस्तान को राजनीतिक सपोर्ट किया था। पाकिस्तान ने भी अजरबैजान को आर्मेनिया के खिलाफ उसके क्षेत्रीय विवादों में मदद की थी। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन को मार गिराया था। जांच में पता चला कि इन ड्रोन को तुर्की ने बनाया था। इसके बाद भारत में, पाकिस्तान को समर्थन देने के कारण तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार करने की मांग बढ़ गई। भारत में तुर्की और अजरबैजान के सामानों का बहिष्कार शुरू हो गया। लोग चाहते थे कि इन देशों से व्यापार बंद किया जाए।