ओडिशा ट्रेन हादसा : ओडिशा बालासोर जिले में शुक्रवार 2 जून शाम करीब शाढ़े 7 बजे हावड़ा जा रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस दूसरी शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस में इतनी जोरदार टक्कर हुई कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां भी ट्रैक से उतर कर दूसरी पटरी में आ रही मालगाड़ी से टकरा गई. हादसा इतना भयंकर था कि अब तक 233 लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से ज्यादा लोग घायल है. जिसकी वजह से अस्पतालों में घायलों का अंबार लग गया है. बालासोर में हुई इस घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया है. घटनास्थल में हर तरफ लाशें बिछी है चीख पुकार मची है. कोई ट्रेन में फंसा है तो कोई पटरियों पर पड़ा है. राहत बचाव कार्य तेजी से चल रहा है ऐसे में घायलों और मारे गए लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जानकारी के मुताबिक पिछले 12 घंटे से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद अब भी बड़ी संख्या में लोग दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन में फंसे हैं.
रात भर से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन
बालासोर जिले में हुई इस ट्रेन घटना में स्थानीय लोग और रेस्क्यू टीमें बोगियों के अंदर फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं. रेलवे, दमकल और स्थानीय पुलिस प्रशासन के 600 जवान रात भर अंधेरे में बोगियों में फंसे लोगों को निकालकर अस्पताल तक पहुंचाते रहे. ये हादसा बालासोर से करीब चालीस किलोमीटर दूर बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ. बहानगा, बालासोर से लेकर भुवनेश्वर तक के अस्पताल घायलों से भरे पड़े हैं.
तीन ट्रेनें कैसे पटरी से उतरीं और दुर्घटनाग्रस्त हो गईं
- रेलवे अधिकारियों के मुताबिक बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा जा रही थी, तभी कई डिब्बे पटरी से उतरकर बगल की पटरियों पर गिर गए.
-शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस, चेन्नई जाते वक्त, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गई।
-इसके बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बे एक मालगाड़ी के डिब्बों से टकरा गए.
राजकीय शोक का आदेश
ओडिशा में हुए हादसे की वजह से सरकार ने 3 जून शनिवार को सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही राजकीय शोक का आदेश भी दिया गया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतकों और घायलों के लिए मुआवजा राशि की घोषणा की है.
क्या हो सकती है हादसे की वजह
इस तरह की हादसे की वजह मानवीय और तकनीकी भी हो सकती है. ओडिशा ट्रेन हादसे के पीछे तकनीकी खराबी को एक वजह माना जा रहा है. मीडिया रिपोट्स् के मुताबिक सिग्नल की खराबी की वजह से ट्रो ट्रेनें एक ही ट्रेक पर आ गईं. समझते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है. दरअसल ट्रेन ड्राइवर को लगतार कंट्रोल रूम से निर्देश मिलते हैं जिसके आधार पर वह गाड़ी को चलाता है. रेलवे कंट्रोल रूम में एक बड़ी स्क्रीन लगी होती है. स्क्रीन पर हरे और लाल रंग के माध्यमों से यह दिख रहा होता है कि पटरी पर ट्रेन है और किस पर नहीं है. अगर पटरी पर ट्रेन चल रही है तो लाल रंग दिखता है और अगर ट्रैक खाली है तो हरी लाइट दिखती है. इस स्क्रीन को देखकर ट्रेन ड्राइव को निर्देश दिए जाते हैं. ओडिशा हादसे को लेकर अनुमान जताया जा रहा है कि स्क्रीन पर ट्रेन का सही सिग्नल नहीं दिखाई दिया जिसकी वजह से यह हादसा हुआ.