हैदराबाद। तेलंगाना राज्य में विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव का 30 नवंबर को मतदान होने जा रहा है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने राज्य में रायथु बंधु योजना लागू की है, जिसके तहत प्रति किसान पांच हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाली सब्सिडी देने के लिए राज्य सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी थी, राज्य सरकार के प्रस्ताव पर चुनाव आयोग ने पहले इस योजना को जारी रखने के लिए अनुमति प्रदान कर दी थी, लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस योजना को चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने का सत्ताधारी दल पर आरोप लगाते हुए बंद करने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने कांग्रेस व अन्य दलों से मिली शिकायत के बाद रायथु बंधु योजना को ज जारी रखने के लिए दी गई इजाजत को वापस ले लिया है। चुनाव आयोग के इस निर्णय को तेलंगाना की बीआरएस सरकार को बड़ा झटका लगा है।
इस योजना में क्या मिलता है
तेलंगाना सरकार की रायथु बंधु योजना के तहत सरकार राज्य के हर किसान के बैंक खाते में 5000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे स्थानांतरित करती है। ये रकम साल में दो बार यानी खरीफ और रबी की फसल के समय स्थानांतरित किए जाते हैं। इस योजना के तहत अब तक तेलंगाना सरकार 70 हजार करोड़ रुपये राज्य के किसानों के खातों में जमा कर चुकी है और इससे 60 लाख किसानों को फायदा हुआ है। बीआरएस ने रायथु बंधु योजना के तहत सहायता राशि बढ़ाकर 16 हजार रुपये प्रति वर्ष करने का एलान किया है। इस तरह हर किसान के खाते में प्रति एकड़ 10 हजार रुपये जमा होते हैं।
आखिर क्यों लेनी पड़ी मंजूरी वापस
तेलंगाना विधानसभा के लिए 30 नवंबर को मतदान होने जा रहा है। राज्य में आचार संहिता लागू है। राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि रायथु बंधु योजना के तहत राज्य के किसानों के बैंक खातों में 24 नवंबर से सब्सिडी का पैसा वितरित करने की मंजूरी मांगी थी। चुनाव आयोग ने इसकी मंजूरी दे भी दी थी, लेकिन विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में तर्क दिया कि इससे मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने बीआरएस सरकार को दी मंजूरी वापस ले ली है।