Sunday, September 8, 2024
Homeदेशदुनियाभर में दबदबा है स्वामी नारायण संप्रदाय का

दुनियाभर में दबदबा है स्वामी नारायण संप्रदाय का

संयुक्त अरब अमीरात में जिस मंदिर का उद्घाटन पीएम मोदी ने 14 फरवरी को किया वह स्वामी नारायण संप्रदाय संस्था द्वारा निर्मित कराया गया है। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण का यह मंदिर लगभग 27 एकड़ में फैला हुआ है और इस मंदिर को बनने में लगभग 6 वर्ष का समय लगा था जिसमें लगभग 700 करोड़ रुपये का लागत लगाना बताया जा रहा है। जिस नागर शैली में अयोध्या का राम मंदिर बनाया गया है उसी शैली में इस का भी निर्माण किया गया है। स्वामीनारायण के दुनिया भर में जितने भी मंदिर हैैं वह सभी नागर शैली में निर्मित किये गये हैैं। स्वामीनारायण मंदिर में भगवान स्वामीनारायण की पूजी की जाती है स्वामीनारायण का अयोध्या से गहरा नाता है।स्वामी नारायण संप्रदाय पूरी दुनिया में फैला हुआ है और इस संस्था की धमक पूरे वल्र्ड में फैली हुई है। कहा जाता है कि स्वामीनारायण संप्रदाय भारत का सबसे धनवान संप्रदाय माना जाता है। इस संप्रदाय की स्थापना भगवान स्वामीनारायण ने 18वी शताब्दी में की थी और 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने विधिवत इस संप्रदाय की स्थापना की है। यह संप्रदाय भी वेदों पर आधारित है। इसके अलावा इस संप्रदाय में पवित्रता को सबसे बड़ा स्थान दिया गया है। इस संप्रदाय में भेदभाव को एकदम जगह नहीं दी गई है। किसी भी धर्म या नस्ल, जाति का व्यक्ति संप्रदाय से जुड़ सकता है? इस संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से भी पुरस्कार मिल चुका है। इसी संप्रदाय के राजधानी दिल्ली में जब अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था।

क्या है अयोध्या से स्वामी नारायण का रिश्ता

भगवान स्वामीनारायण के सिद्धांतों पर ही इस संप्रदाय के लोग चलते हैं। उन्हीं को इस संप्रदाय का मूल माना जाता है। उनका जन्म 1781 में अयोध्या के ही छपिया गांव में हुआ था। उनका नाम घनश्याम पांडे था। उन्हें प्यार से नीलकंठ भी बुलाया जाता था। घनश्याम पांडेय काफी छोटे थे तभी उनका परिवार अयोध्या में रहने लगा। 11 साल की उम्र में उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया और फिर घर भी त्याग दिया। 18 साल की उम्र तक उन्होंने चारों धाम की यात्रा कर ली। 18 साल की उम्र में ही नीलकंठ सौराष्ट्र पहुंच गए। वहां लोजपुर गांव में उनकी मुलाकात उद्ध संप्रदाय के संस्थापक रामानंद स्वामी से हुई। रामानंद स्वामी ने वहीं फैसला कर लिया कि वह नीलकंठ को ही अपना उत्तऱाधिकारी बनाएंगे। उन्होंने नीलकंठ को शिष्य बना लिया। उनका एक नाम नारायण मुनी रखा और दूसरा सहजानंद स्वामी। 21 साल की उम्र में ही रामानंद स्वामी ने उन्हें अपनी गद्दी सौंप दी। इसके बाद नीलकंठ की पहचान अनुयायियों के बीच भगवान स्वामीनारायण के रूप में हुई। 49 साल की उम्र में ही उनका परलोक गमन हो गया। हालांकि इतने समय मेंही उन्होंने अपने संप्रदाय का खूब प्रचार किया। इस संप्रदाय का संबंध विशिष्टताद्वैत से है। भगवान स्वामीनाराण के ही जीवनकाल में 6 मंदिरों की स्थापना हो गई थी। ये मंदिर अहमदाबाद, भुज, जूनागढ़, गजड़ा गडपुर और वड़ताल में हैं। इन मंदिर में हिंदू देवी देवताओं की भी पूजा होती है। इस संप्रदाय से जुड़े लोगों को 5 प्रतिज्ञाएं करनी होती हैं और उनका जीवनभर पालन करना होता है। इसमे शराब, व्यवसन, व्यभिचार, मांसाहार और शारीरिक मानसिक अशुद्धता को दूर रखने का संकल्प किया जाता है।

स्वामीनारायण संप्रदाय का दबदबा है दुनियाभर में

स्वामीनारायण संप्रदाय की धमक पूरी दुनिया में है बताया जाता है कि इस पूरी दुनिया में स्वामीनारायण के 10 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं। इसके अलावा संस्था के 1200 से ज्यादा मंदिर हैं। अमेरिका में 100 से ऊपर मंदिर हैं। भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, अफ्रीका और मध्य पूर्व में संस्था के 3300 केंद्र हैं। दुनियाभर में संस्था के 55 हजार वॉलंटियर हैं जो कि हर साल 1 करोड़ 20 घंटे की सेवा देते हैं। हर साल यह संस्था 6 लाख से ज्याद सत्संग करवाती है। संस्था के कई अस्पताल भी चलते हैं। हर साल संस्था करीब 4 हजार बच्चों को छात्रवृत्ति देती है। इसके अलावा आपदा प्रभावित इलाकों में संस्था के स्कूल चलते हैं।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group