Uttarakhand: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए सभी श्रमिकों को धामी सरकार एक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए सभी श्रमिकों को प्रदेश सरकार एक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। इसके अलावा अस्पताल में इलाज और घर जाने तक की पूरी व्यवस्था की जाएगी। सिलक्यारा में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सुरंग से निकाले गए सभी श्रमिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में इलाज पर होने वाला खर्चा सरकार उठाएगी। इनके अलावा परिजनों और श्रमिकों के खाने, रहने की भी व्यवस्था सरकार कर रही है।
सिलक्यारा में भव्य मंदिर बनाया जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिकों के स्वस्थ होने पर सरकार की तरफ से एक एक लाख रुपये के चेक बतौर आर्थिक सहायता के रूप में दिए जाएंगे। इसके अलावा घर जाने तक का पूरा खर्चा भी सरकार वहन करेगी। मजदूरों की हर संभव मदद की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आये हैं। कहा कि ग्रामीणों ने बाबा बौखनाग के मंदिर बनाने की मांग उठाई है। इस मांग को सरकार पूरा करेगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए ताकि जल्द मंदिर निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी जाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बाबा बौखनाग और देवभूमि के देवी-देवताओं की कृपा से ऑपरेशन सफल हुआ है। सभी मजदूर सुरक्षित बाहर आ गये। यह बहुत ही खुशी की बात है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बौखनाग देवता का सिलक्यारा में भव्य मंदिर बनाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
12 नवंबर की सुबह से 41 मजदूर टनल में फंसे हुए थे
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूर मंगलवार की रात जैसे ही बाहर निकले देशवासियों ने राहत की सांस ली. सुरंग से निकले कुछ श्रमिकों के चेहरों पर मुस्कान थी तो कुछ के चेहरे 17 दिन की परेशानियों के बाद थके हुए दिख रहे थे। सुरंग के बाहर मौजूद लोगों ने जोरदार जयकारा लगाया और नारे गूंजने लगे और लोगों ने उन एम्बुलेंस का स्वागत किया जो श्रमिकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ले गईं, जबकि स्थानीय लोगों ने मिठाई बांटी। 12 नवंबर की सुबह से ये 41 मजदूर इस टनल में फंसे हुए थे। ये मजदूर देश के अलग-अलग राज्यों से हैं। जिनमें सबसे ज्यादा झारखंड और उत्तर प्रदेश के निवासी हैं।