वायुसेना का मिराज-200 फाइटर जेट मध्य प्रदेश के शिवपुरी में देखते ही देखते आग का गोला बन गया. रक्षा विभाग के मुताबिक फाइटर विमान ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी, जो कुछ ही दूर जाने के बाद दुर्घटना का शिकार हो गया. विभाग का कहना है कि अब जांच के बाद यह पता चल पाएगा कि आखिर फाइटर जेट आग का गोला क्यों बन गया?
भारत में हर साल औसतन 7 फाइटर जेट हवा में ही आग का गोला बन जा रहा है. ये आंकड़े 2017 से 2022 के बीच की है. सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो उड़ने के साथ ही विमान आग का गोला बन जा रहा है?
4 साल में 4 फाइटर सिर्फ एमपी में क्रैश
2021 में मध्य प्रदेश के भिंड में मिराज क्रैश कर गया. इस हादसे को लेकर संसद में भी सवाल उठा था. 2023 में मध्य प्रदेश के मुरैना में दो विमान क्रैश हो गया. एक सुखोई तो दूसरा मिराज का था. इस हादसे में पायलट को भी अपनी जान गंवानी पड़ गई.
अब 2025 में मध्य प्रदेश के शिवपुरी में फाइटर जेट हवा में ही आग का गोला बन गया. हालांकि, इस हादसे में पायलट और को-पायलट सुरक्षित बच गए. दोनों का इलाज ग्वालियर के अस्पताल में चल रहा है.
कहा जा रहा है कि अब पूरे हादसे की वायुसेना कोर्ट ऑफ इन्कॉयरी कराएगी. इसके बाद हादसे के असल कारणों का पता चल सकेगा.
आग का गोला क्यों बन रहे फाइटर प्लेन?
दिसंबर 2024 में रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में 2017 से लेकर 2022 तक के सभी हादसों की रिपोर्ट को संलग्न किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना ने कारणों का पता लगा लिया है और उचित कार्रवाई भी कर दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक हादसे की एक बड़ी वजह ह्यूमन एरर (मानवीय भूल) है. रक्षा विभाग ने इस भूल को भी दो भागों में विभाजित किया है. इसके तहत एक भूल सर्विस और एक एयर क्रू में बांटा गया है.
करीब 60 फीसद हादसे मानवीय भूल की वजह से हुई है. 2017-2022 तक 19 हादसे विमान में बैठे पायलट के मानवीय गलती की वजह से हुई. वहीं एक विमान सर्विस विभाग के ह्यूमन एरर की वजह से आग का गोला बन गया.
20 फीसद हादसे टेक्निकल कारणों से हुए. टेक्निकल कारण क्या थे, इसका उल्लेख संसदीय समिति की रिपोर्ट में नहीं है. एक हादसा पक्षी की वजह से हो गया. वहीं दो बार फाइटर जेट बाहरी डैमेज के कारण नीचे गिरा.
2019 में फाइटर जेट के हादसे की न्यायिक जांच को लेकर वकील अलख आलोक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हम 3 या 3.5 पीढ़ी के मिराज का उपयोग कर रहे हैं. इसका दुर्घटनाग्रस्त होना तय है.
यानी हादसे के लिए विमान का पुराना होना भी एक मु्ख्य वजह है. हालांकि, सरकार या रक्षा स्तर पर इसको लेकर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की जाती है.
इतना ही नहीं, कैग ने 2015 की अपनी रिपोर्ट में एयरक्रू और इंजीनियरों की कमी को भी रेखांकित किया था. कैग का कहना था कि वायुसेना को जितने एयरक्रू की जरूरत है, उतने एयरक्रू उनके पास नहीं है.