पूरे देश में आज करवाचौथ का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता हैं। भारत में इसे अलग- अलग अंदाज में मनाते हैं. करवा चौथ व्रत, महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व सुख-सौभाग्य के लिए ही करती हैं। इस व्रत में सास सूर्योदय से पूर्व अपनी बहू को सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। फिर शृंगार की वस्तुएं- साड़ी, जेवर आदि करवा चौथ पर देती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। फिर सोलह श्रृंगार कर रात को चांद को देखकर पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
आमतौर पर करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं ही रखती हैं लेकिन राजस्थान में एक ऐसा जिला है, जहां विधवा महिलाएं भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
राजस्थान में करवाचौथ मनाने की एक अलग परंपरा है। यहां देश के लिए अपनी जान दे देने वाले सैनिकों की वीरांगनाएं भी धूमधाम से करवाचौथ का त्योहार मनाती हैं। उनका कहना है कि भले ही हम समाज की नजर में विधवा हैं लेकिन हमारे पति ने देश के लिए शहादत दी है। उनकी शहादत की वजह से ही देश की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।
राजस्थान के झुंझुनू जिले को सैनिकों का जिला कहा जाता है। यहां हर घर में सैनिक हैं और हर घर के बेटे, पति और भाई ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए हैं। शहीदों की इन वीरांगनाओं ने देश के लिए अपने पति को खो दिया हो लेकिन ये वीरांगनाएं आज भी अपने आप को सुहागिन मानती हैं। शहीद की इन विधवाओं का कहना है कि उनके पति ने देश के लिए कुर्बानी दी है और शहीद अमर होते है। यही वजह है कि शहीद हो चुके सैनिक की पत्नियां अपने अजर अमर सुहाग के लिए हर साल करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
ऐसे करती है पति के लिए पूजा
ये महिलाएं पूरा दिन अपने पति की याद में निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ की कहानी सुनती हैं। रात को वीरांगनाएं हाथों में पूजा की थाली और सामने पति की फोटो लगाकर दिए से आरती करती हैं। फिर अपने पति की तस्वीर को निहारती हैं और कहती हैं कि मेरे पति अमर हैं। वहीं, इन वीरांगनाओं के द्वारा किया गया ये व्रत उनके पवित्र पति प्रेम को चार चांद लगाता है