चेन्नई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं को 2016 और 2021 के बीच पूरे देश में सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) से डिलीवरी के मामले बहुत बढ़ने का पता चला है। आईआईटी मद्रास में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया।इनमें वार्शिनी नीति मोहन और डॉ. पीशिरिषा, शोध विद्वान, डॉ. गिरिजा वैद्यनाथन और प्रोफेसर वीआरमुरलीधरन शामिल हैं। सिजेरियन सेक्शन डिलीवरीएकशल्य प्रक्रिया है जिसमें मां के पेट में चीरा लगाकर एक या अधिक बच्चों को जन्म दिया जाता है। यह मां-बच्चे के लिए जीवनदायी है यदि चिकित्सा विज्ञान के अनुसार ऐसा करना आवश्यक हो। हालाँकि यदि सी-सेक्शन आवश्यक नहीं हो तो इसके स्वास्थ्य संबंधी कई बुरे परिणाम हो सकते हैं। यह एक आर्थिक बोझ है और इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों पर भी बोझ पड़ता है। आईआईटी मद्रास के मानविकी और के प्रोफेसर वीआर मुरलीधरन ने इन निष्कर्षों की अहमियत विस्तार से बताया, बच्चों का जन्म सी-सेक्शन से होने का सबसे बड़ा कारण बच्चों का जन्मस्थान सरकारी या फिर निजी अस्पताल था। यह एक बड़ा खुलासा है जिसका अर्थ यह है कि सर्जरी करने का कारण ‘क्लिनिकल’ नहीं था।पूरे भारत और छत्तीसगढ़ के गैर- गरीब तबकों में सी-सेक्शन चुनने की अधिक संभावना थी, जबकि तमिलनाडु का मामला चौंकानेवाला था जहां गरीब तबकों की महिलाओं का निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन होने की अधिक संभावना सामने आई। पूरे भारत में 2021 तक के पिछले पांच वर्षों में सी-सेक्शन के मामले 17.2 प्रतिशत से बढ़कर 21.5 प्रतिशत हो गए। निजीक्षेत्र के अस्पतालों के लिए ये आंकड़े 43.1 प्रतिशत (2016) और 49.7 प्रतिशत (2021) हैं जिसका अर्थ यह है कि निजीक्षेत्र के अस्पतालों में दो में से एक बच्चे का जन्म सी-सेक्शन से हुआ।
सी-सेक्शन में बढोतरी के कारण
इस बढ़ोतरी के कई कारण हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने यह देखा कि शहरी क्षेत्रों की अधिक शिक्षित महिलाओं में सी-सेक्शन से बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक थी, जो यह संकेत देता है कि महिलाओं के अधिक आत्मनिर्भर होने और बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुलभ होने जैसे कारणों से सी- सेक्शन का चलन बढ़ा है।
महिलाओं का वजन अधिक और उम्र 35-49वर्ष होने पर सिजेरियन डिलीवरी की संभावना उन महिलाओं से दोगुनी देखी गई जिनका वजन कम और उम्र 15-24 वर्ष थी। अधिक वजन की महिलाओं के इस तरह बच्चों को जन्मदेने का अनुपात 3 प्रतिशत से बढ़कर 18.7 प्रतिशत हो गया, जबकि 35-49 वर्ष की महिलाओं के लिए यह अनुपात 11.1 प्रतिशत से थोड़ा कम 10.9 प्रतिशत देखा गया।
निजी अस्पतालों में चार गुना बढी सी-सेक्शन डिलेेेेवरी
2016-2021 के बीच अध्ययन की अवधि में पूरे भारत में निजी क्षेत्र के अस्पतालों में महिलाओं के सी-सेक्शन होने की संभावना चार गुनी अधिक थी। छत्तीसगढ़ में महिलाओं के निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन से डेलिवरी की संभावना दस गुनी अधिक थी, जबकित मिलनाडु में तीन गुनी अधिक संभावना थी। शोधकर्ताओं ने यह तथ्य सामने रखा कि सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण ऐसा हो सकता है। तमिलनाडु में निजी क्षेत्र के अस्पतालों में सी-सेक्शन करानेवाली गरीब महिलाओं का अनुपात काफी अधिक होना चिंताजनक है। मसला यह है कि क्या ऐसा करना क्लिनिकली आवश्यक है? इस पर अधिक विश्लेषण और सुधार करने की जरूरत है।