Saturday, August 2, 2025
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निक जोनस ने शेयर की प्यारी फोटो डायम्प, प्रियंका ने दी दिल छू लेने वाली प्रतिक्रिया

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मुंबई : अमेरिकी गायक, गीतकार और अभिनेता निक जोनस और एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। आज निक ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर बेटी मालती मैरी और पत्नी प्रियंका के साथ कुछ शानदार तस्वीरें शेयर की हैं। निक की इन तस्वीरों पर प्रियंका ने प्यारा कमेंट कर फैंस का दिल जीत लिया है।

प्रियंका और निक की तस्वीरें

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस ने जुलाई में अपनी बेटी मालती मैरी के साथ समुद्र तट पर और ब्रॉडवे शो में मजेदार समय बिताया। निक ने इंस्टाग्राम पर परिवार के खूबसूरत पलों की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं। इन तस्वीरों और वीडियो में मालती फिश पोंड देखती, गेम खेलती और धूप में मजा करती नजर आईं। आखिरी तस्वीर ने प्रशंसकों को पुरानी यादों में ले जाकर भावुक कर दिया। आखिरी तस्वीर निक और उनके ब्रदर्स की हैं।
 
निक का पोस्ट

निक ने आज इंस्टाग्राम पर प्रियंका, मालती और अपनी कई शानदार तस्वीरें शेयर की हैं। ये तस्वीरें जुलाई के वेकेशन के दौरान की हैं। इन तस्वीरों के साथ निक ने कैप्शन में लिखा, 'जुलाई'। वहीं निक की इस पोस्ट पर प्रियंका ने जवाब देते हुए लिखा, 'एक जैसे (हेयर) कलर्स'।

निक को मालती के साथ समय बिताना लगता है अच्छा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रियंका ने अपनी नई फिल्म 'हेड्स ऑफ स्टेट' के प्रमोशन के दौरान कहा था कि परिवार के साथ समय बिताना उनकी सबसे बड़ी खुशी है। उन्होंने बताया कि रविवार की सुबह घर पर आराम करना और परिवार के साथ रहना उनके लिए बहुत खास होता है। वहीं निक ने भी एक इंटरव्यू के दौरान पिता बनने के अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि मालती के साथ समय बिताना और उसे "डैड" कहते सुनना उनके लिए सबसे कीमती है। वह मालती के साथ "मोआना" और "माउई" जैसे खेल खेलना पसंद करते हैं।
 
प्रियंका और निक की शादी

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस बॉलीवुड और हॉलीवुड के सबसे हॉट कपल्स में से एक हैं। प्रियंका और निक ने 2018 में राजस्थान में हिंदू और ईसाई रीति-रिवाजों से शादी की थी। 2022 में सरोगेसी से जन्मी उनकी बेटी मालती मैरी चोपड़ा जोनस उनकी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा हैं। 
 
प्रियंका का वर्कफ्रंट

प्रियंका चोपड़ा ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी, जिसके बाद उन्होंने 'मिस वर्ल्ड' का टाइटल जीता था। हाल ही में प्रियंका "हेड्स ऑफ स्टेट" में नजर आईं। इस फिल्म में प्रियंका के अलावा इदरीस एल्बा और जॉन सीना ने अहम भूमिका निभाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब वह जल्द ही "द ब्लफ" में 19वीं सदी की एक समुद्री डाकू के रूप में नजर आएंगी। इसके अलावा प्रियंका वेब सीरीज "सिटाडेल" के दूसरे सीजन में नजर आएंगी। प्रियंका निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म "एसएसएमबी29" में भी नजर आएंगी। इस फिल्म में प्रियंका के साथ महेश बाबू और पृथ्वीराज सुकुमारन भी होंगे।

टीआरएफ लश्कर का मुखौटा, पाकिस्तान से संचालित होता है: जयशंकर

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नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिद्ध किया है कि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के इस पक्ष को मान्यता दी है, और अमेरिका ने टीआरएफ को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टीआरएफ द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया, “भारत किसी भी मध्यस्थता या परमाणु धमकी को स्वीकार नहीं करेगा। हमने दुनिया को बता दिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
विदेश मंत्री ने सिंधु जल संधि को लेकर कहा कि यह समझौता तुष्टीकरण के उद्देश्य से किया गया था, न कि शांति के लिए। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने धारा 370 हटाकर और अब सिंधु जल संधि को स्थगित करके यह साबित किया है कि ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा सकता है। डॉ. जयशंकर ने कहा, “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, यह संधि स्थगित रहेगी।”
डॉ. एस. जयशंकर ने बताया कि मोदी सरकार ने आतंकवाद को वैश्विक एजेंडा बनाया है। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया गया है। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि 2006-08 के आतंकी हमलों, जैसे मुंबई ट्रेन बम विस्फोट, हैदराबाद और जयपुर हमलों के बाद भारत की प्रतिक्रिया कमजोर थी। उन्होंने उदाहरण दिया कि 2006 के मुंबई हमले के तीन महीने बाद ही भारत हवाना में पाकिस्तान के साथ संवाद में था, जो आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की कमी को दर्शाता है।
विदेश मंत्री ने सिंधु जल संधि को एक अनूठा समझौता बताया, जिसमें भारत ने अपनी प्रमुख नदियों को बिना अधिकार के पाकिस्तान में बहने दिया। उन्होंने कहा, “ऐसा समझौता दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता। अब इसे स्थगित करना ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की दिशा में एक कदम है।” उन्होंने आगे कहा ”कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे लोग चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता; वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।”

‘अलिया’ से ‘कियारा’ बनीं कियारा एडवानी: धोनी फिल्म ने शुरू की चमक, अब बॉलीवुड-साउथ पर राज

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मुंबई : कियारा आडवाडी सिनेमाई दुनिया का एक ऐसा नाम हैं, जो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' और 'कबीर सिंह' जैसी फिल्मों में अपने किरदार से दर्शकों के दिलों में राज करने वाली एक्ट्रेस आज 31 जुलाई को अपना 34वां जन्मदिन मना रही हैं। इस खुशी के अवसर पर हम जानेंगे कियारा आडवाणी के परिवार, करियर, फिल्में और लव लाइफ के बारे में। आइए जानते हैं।

कियारा ने क्यों बदला अपना नाम?

कियारा आडवाणी का जन्म 31 जुलाई 1991 को मुंबई में हुआ था। अभिनेत्री का असली नाम आलिया आडवाणी था, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले उन्होंने अपना नाम बदलकर 'कियारा' रख लिया। यह नाम एक्ट्रेस ने प्रियंका चोपड़ा की फिल्म 'अंजाना अंजानी' से प्रेरित होकर रखा था। कहा जाता है कि कियारा को अपना नाम बदलने का सुझाव सलमान खान ने दिया था, क्योंकि आलिया भट्ट नाम की पहले से ही एक अभिनेत्री इंडस्ट्री में मौजूद थीं।

कियारा का परिवार

कियारा आडवाणी एक सिंधी परिवार से आती हैं। उनके पिता जगदीप आडवाणी एक व्यवासायी हैं, जो लखनऊ से हैं। जबकि एक्ट्रेस की मां का नाम जेनेवीव जाफरी है, जो स्कॉटिश, आयरिस, पुर्तगाली और स्पेनिश मूल से आती हैं। इसके अलावा कियारा का एक भाई मिशाल भी है, जो संगीतकार है। साथ ही एक्ट्रेस की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने मॉस कम्युनिकेशन में बैचलर किया है।

बॉलीवुड और साउथ फिल्मों में किया काम

कियारा आडवाणी ने अपने सिनेमाई करियर की शुरुआत साल 2014 में 'फगली' फिल्म से किया था यह एक कॉमेडी-सोशल थ्रिलर फिल्म थी, जिसे कबीर सदानंद द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फिल्म को अच्छे रिस्पॉन्स मिले थे, जिसके लिए कियारा को स्क्रीन अवॉर्ड्स में बेस्ट फीमेल डेब्यू के लिए नॉमिनेट किया गया था। इसके बाद एक्ट्रेस को करीब दो साल बाद 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म मिली, जिससे उनकी किस्मत बदल गई फिर उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड फिल्मों के अलावा अभिनेत्री ने साउथ फिल्मों में भी अभिनय किया। साल 2018 में एक्ट्रेस ने महेश बाबू की तेलुगु फिल्म 'भारत अने नेनु' में काम किया था, जिसने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद अभिनेत्री 2019 में राम चरण अभिनीत ‘विनय विधेया रामा’ फिल्म में भी नजर आईं। हालांकि यह फिल्म उतनी नहीं चल पाई।

इन फिल्मों से पहचानी जाती हैं कियारा

साल 2016 में कियारा आडवाणी ने 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म में अभिनय किया। यह फिल्म पूर्व भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की लाइफ स्टोरी पर आधारित थी, जिसमें एक्ट्रेस ने धोनी की पत्नी साक्षी रावत का किरदार निभाया था। फिर 2019 में 'कबीर सिंह' फिल्म बनी, जो रोमांटिक ड्रामा फिल्म थी। इसमें कियारा ने प्रीति सिक्का की भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया था। 2019 में ही एक्ट्रेस ने 'गुड न्यूज' फिल्म की, जिसमें उन्होंने मोनिका बत्रा का किरदार किया। साल 2021 में अभिनेत्री ने वीर शहीद विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित फिल्म 'शेरशाह' में काम किया, जिसमें उन्होंने शहीद की पत्नी डिंपल चीमा की भूमिका अदा की थी। 2022 में एक्ट्रेस ने 'भूल भुलैया 2' फिल्म की, जिसमें उन्होंने रीत ठाकुर का किरदार किया और 'जुगजुग जियो' में अभिनेत्री ने नैना शर्मा की भूमिका निभाई। फिर 2023 में कियारा आडवाणी ने रोमांटिक-ड्रामा फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' की, जिसमें एक्ट्रेस कथा कपाड़िया के किरदार में दिखीं।

इन फिल्मों का हिस्सा होंगी कियारा आडवाणी

शानदार फिल्मी करियर के बाद अब कियारा आडवाणी की दो फिल्मों का इंतजार फैंस को बड़ी बेसब्री से है। इस कड़ी में पहली फिल्म है 'वॉर 2', जो 14 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म में कियारा के साथ ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर भी नजर आएंगे। इसके अलावा अभिनेत्री की दूसरी फिल्म का नाम है ‘टॉक्सिक’, जिसमें चर्चा चल रही है कि एक्ट्रेस नजर आ सकती हैं। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

कियारा आडवाणी की लव लाइफ

अभिनेत्री कियारा आडवाणी अब शादीशुदा जीवन व्यतीत कर रही हैं। हालांकी शादी से पहले एक्ट्रेस का नाम कई सेलेब्स के साथ जुड़ा था। करियर के शुरुआती दौरा में एक्ट्रेस का नाम उनकी पहली फिल्म 'फगली' के हीरो मोहित मारवाह के साथ जोड़ा गया था। कहा जा रहा था कि दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। इसके अलावा इसी कड़ी में वरुण धवन का नाम भी सामने आया था। फिर अंत में कियारा का नाम अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ जुड़ा और दोनों आज पति-पत्नी हैं। बताया जाता है कि 'शेरशाह' फिल्म के दौरान दोनों की मुलाकात हुई, फिर चार साल तक दोनों ने एक-दूसरे को डेटिंग की।

शादी और प्रेग्नेंसी

कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा की ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब पसंद किया गया। लंबे समय तक डेट करने के बाद दोनों 7 फरवरी 2023 में शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। ये शादी समारोह राजस्थान के जैसलेमर में हुआ था। इसके दो साल बाद एक्ट्रेस प्रेग्नेंट हुईं, प्रेंग्नेंसी के बावजूद अभिनेत्री ने दुनिया के सबसे बड़े फैशन इवेंट मेट गाला में भाग लिया और बेबी बंप फ्लॉन्ट किया। उनके लुक ने पूरी दुनिया को आकर्षित कर लिया था। फिर 15 जुलाई 2025 को वो दिन आया, जब कियारा आडवाणी ने बेटी को जन्म दिया। इस खुशी को एक्टर्स ने अपने सोशल मीडिया पर साझा किया था।
 

मोहन यादव सरकार का ऐलान, कोविड में मृत कर्मचारियों के परिजनों को मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति

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भोपाल: कोरोना काल के दौरान जान गंवाने वाले संविदा कर्मचारियों के आश्रितों को सरकार अनुकंपा नियुक्ति देने पर विचार कर रही है. इसकी जानकारी विधानसभा में एक सवाल के जवाब में उप मुख्यमंत्री डॉ. राजेन्द्र शुक्ला ने दी है. उधर विधानसभा में परिवहन विभाग की बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संभागों में दौड़ रहे यात्री वाहन और माल वाहनों पर मासिक और त्रैमासिक मोटरयान कर का 2474 करोड़ रुपए बकाया है.

मृतकों के परिजनों को मिलेगा फायदा

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक चौधरी सुजीत सिंह ने कोरोना काल में मृत कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का मुद्दा उठाया था. उधर सवाल के जवाब में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि "इस मामले में विचार किया जाएगा, लेकिन जिन्हें 50 लाख रुपए इंश्योरेंस के रूप में मिल चुके हैं. उन्हें अनुकंपा नियुक्ति देना है या नहीं देना है, इस पर विचार किया जाएगा."

करोड़ों का बकाया, 34 हजार केस अटके

उधर विधानसभा में एक सवाल के जवाब में परिवहन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही समाने आई है. कांग्रेस विधायक बाला बच्चन के सवाल के जवाब में सरकार ने विधानसभा में जो जबाव दिया. उससे करोड़ों की लेनदारी सामने आई है. सरकार ने बताया कि मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संभागों में चल रहे वाहनों पर टैक्स के रूप में 2474 करोड़ रुपए की लेनदारी बाकी है.

इसके अलावा इनमें से 34 हजार 523 ऐसे भी प्रकरण हैं. जिनमे 6 माह से ज्यादा समय से टैक्स की वसूली की जानी है. मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि "यात्री वाहनों से मासिक मोटरयान की 425 करोड़ 16 लाख 43 हजार रुपए की राशि की वसूली इन चारों संभागों में की जानी है. मंत्री ने बताया कि वसूली के लिए वाहन संचालकों को नोटिस दिए जाते हैं और वाहनों से बकाया राशि की वसूली की जाती है.

भारत की बड़ी तैयारी, द रेजिस्टेंस फ्रंट को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कराएगा 

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न्यूयार्क। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत अब द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कराने की तैयारी में है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) की 1267 प्रतिबंध समिति की मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में टीआरएफ का आधिकारिक रूप से ज़िक्र किया है, जो इस पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत पहलगाम हमले का बदला सीधे सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव के ज़रिए ले रहा है। टीआरएफ को यूएनएससी द्वारा वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कराना इसी रणनीति का हिस्सा है। अमेरिका पहले ही टीआरएफ पर प्रतिबंध लगा चुका है, जिससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है। भारत यूएनएससी में टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित कराने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहा है। 
यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध कमेटी की मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में टीआरएफ का ज़िक्र किया है और यह भी माना है कि टीआरएफ ने पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी दो बार ली थी। इस रिपोर्ट में टीआरएफ और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के बीच संबंधों का भी उल्लेख है। यदि टीआरएफ को यूएनएससी द्वारा प्रतिबंधित किया जाता है, तब यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी राजनयिक हार होगी, क्योंकि यह संगठन पाकिस्तान से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर और अलग-थलग कर देगा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसकी दोहरी नीति को उजागर करेगा। 
यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध कमेटी की मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में टीआरफए का ज़िक्र होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में टीआरएफ द्वारा पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी लेने की बात को स्वीकार किया गया है, भले ही बाद में टीआरएफ ने अपनी ज़िम्मेदारी वापस ले ली हो। इतना ही नहीं रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि एक सदस्य देश का मानना है कि पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के समर्थन के बिना संभव नहीं था और टीआरएफ और एलईटी के बीच संबंध हैं। 
मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्टें सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय होते हैं। इसका मतलब है कि सभी सदस्य देश टीआरएफ की गतिविधियों और उसकी संलिप्तता को लेकर एकमत हैं। यह पाकिस्तान के उन दावों को खारिज करता है जिसमें उसने यूएनएससी के प्रेस बयान से टीआरएफ का ज़िक्र हटाने की बात कही थी। 
इस रिपोर्ट के बाद टीआरएफ को यूएनएससी द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित कराना आसान हो जाएगा। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का कारण बनेगा और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाएगा। 
 

मथुरा-कोटा रेलखंड पर लगा कवच 4.0, ट्रेन सुरक्षा को मिला नया कवच

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अहमदाबाद| भारतीय रेल द्वारा स्वदेशी रेल सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0  को उच्च घनत्व( हाई डेंसिटी) वाले दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा रेलखंड पर स्थापित कर दिया गया है। यह देश में रेलवे सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण से प्रेरित होकर कवच ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया है। कवच 4.0 एक अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली है। इसे जुलाई 2024 में RDSO (रिसर्च डिज़ाइंस एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन) द्वारा स्वीकृति दी गई थी। कई विकसित देशों को ऐसी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली को विकसित और स्थापित करने में 20 से 30 वर्ष लग गए। कोटा-मथुरा रेलखंड पर कवच 4.0 बहुत कम समय में स्थापित किया गया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है।
स्वतंत्रता के बाद 60 वर्षों तक देश में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उन्नत ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों को स्थापित नहीं किया गया। अब कवच प्रणाली को हाल ही में चालू किया गया है, ताकि ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। भारतीय रेल अगले 6 वर्षों के भीतर देशभर के विभिन्न रेल मार्गों पर कवच 4.0 को स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। अब तक 30,000 से अधिक लोगों को कवच प्रणाली पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। IRISET (भारतीय रेल सिग्नल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान) ने AICTE से मान्यता प्राप्त 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है, ताकि बी. टेक पाठ्यक्रम में कवच को शामिल किया जा सके। कवच से लोको पायलटों को मदद मिलेगीः  ब्रेक प्रभावी रूप से लगाने में  और कोहरे जैसी कम दृश्यता की स्थिति में सिग्नल देखने के लिए बाहर देखने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें सारी जानकारी केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर दिखाई देगी।
क्या है कवच?
•    कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे ट्रेनों की गति की निगरानी और नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है।
•    इसे सेफ्टी इंटिग्रिटी लेवल 4 (SIL-4)  पर डिजाइन किया गया है, जो सुरक्षा का सर्वोच्च स्तर है।
•    कवच का विकास 2015  में शुरू हुआ। इसे 3 वर्षों तक परीक्षण किया गया।
•    तकनीकी सुधारों के बाद इसे पहले दक्षिण मध्य रेलवे (SCR)  में स्थापित किया गया और 2018  में पहला संचालन प्रमाणपत्र मिला।
•    SCR में अनुभवों के आधार पर एक उन्नत संस्करण ‘कवच 4.0’ विकसित किया गया, जिसे मई 2025 में 160 किमी/घंटा तक की गति के लिए मंजूरी दी गई।
•    कवच के सभी उपकरण स्वदेशी रूप से निर्मित किए जा रहे हैं।
कवच की जटिलताः
कवच एक अत्यंत जटिल प्रणाली है। इसे कमीशन करना किसी टेलीकॉम कंपनी को खड़ा करने के समान है। इसमें निम्नलिखित उप-प्रणालियां शामिल हैं:
1. RFID टैग्सः प्रत्येक 1 किमी पर और प्रत्येक सिग्नल पर लगाए जाते हैं। ये ट्रेन की सटीक स्थिति बताते हैं।
2. टेलीकॉम टावर्सः हर कुछ किलोमीटर पर ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और पावर सप्लाई सहित टावर्स लगाए जाते हैं। लोको कवच और स्टेशन कवच लगातार इन टावर्स के जरिए संचार करते हैं।
3. लोको कवचः ट्रैक पर लगे RFID टैग्स से जानकारी प्राप्त करता है, उसे टेलीकॉम टावरों तक पहुंचाता है और स्टेशन कवच से रेडियो सूचना प्राप्त करता है। इसे लोको के ब्रेकिंग सिस्टम से भी जोड़ा गया है, ताकि आपात स्थिति में स्वतः ब्रेक लगे।
4. स्टेशन कवचः प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर लगाया जाता है। यह लोको कवच और सिग्नल प्रणाली से जानकारी लेकर सुरक्षित गति के लिए निर्देश देता है।
5. ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC):  पूरी प्रणाली को जोड़ने के लिए ट्रैक के साथ-साथ OFC बिछाई जाती है, जिससे हाई-स्पीड डेटा कम्युनिकेशन संभव होता है।
6. सिग्नलिंग सिस्टम:  इसे लोको कवच, स्टेशन कवच, टेलीकॉम टावर आदि से जोड़ा गया है।
इन सभी प्रणालियों को बिना किसी रेल संचालन में व्यवधान के  भारी पैसेंजर और माल गाड़ियों की आवाजाही के दौरान स्थापित, जांच और प्रमाणित किया जाता है।
कवच की प्रगतिः
1.     ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया-    5,856 km
2.     दूरसंचार टावर स्थापित    – 619
3.     स्टेशनों पर कवच स्थापित-    708
4    .लोको पर कवच स्थापित-    1,107
5    . ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित-    4,001 रूट किलोमीटर
भारतीय रेलवे हर साल सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश करता है। कवच ऐसी कई पहलों में से एक है जो ट्रेनों और यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं। कवच की त्वरित प्रगति और तैनाती का स्तर रेलवे की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

शिवपुरी में बाढ़ में फंसे 27 बच्चों का आर्मी ने किया रेस्क्यू, 30 घंटे से रुके थे सरपंच के घर

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शिवपुरी: मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से कई जिलों में नदियां उफान पर हैं वहीं कई जगह बाढ़ के हालात हैं. इसी के चलते सिंध नदी में उफान ने शिवपुरी जिले के कई क्षेत्रों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. शिवपुरी में भी सिंध नदी में उफान के चलते 27 बच्चे अपने घर नहीं पहुंच सके. 30 घंटे तक बच्चे गांव के सरपंच के यहां रुके रहे. इसके बाद आर्मी की मदद से बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया.

आर्मी ने बोट से बच्चों को पार कराई नदी

मंगलवार को शिवपुरी के बदरवास के राइजिंग सोल्स स्कूल के 27 बच्चे स्कूल से छुट्टी के बाद बस से अपने घर लौट रहे थे, लेकिन सिंध नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने के कारण ये बच्चे रास्ते में पड़ने वाले पचावली गांव में फंस गए. इसके आगे बस नहीं जा सकी. नदी का जलस्तर कम नहीं होने पर आर्मी पहुंची और फिर सभी बच्चों को बोट से सिंध नदी पार कराई गई.

30 घंटे बाद बच्चे पहुंचे अपने घर

सिंध नदी में पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा था ऐसी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को सेना की मदद ली गई. रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी की टीम ने बोट की सहायता से सभी बच्चों को सकुशल दूसरे छोर पर पहुंचाया. करीब 30 घंटे तक बच्चे नदी में बाढ़ के चलते गांव में ही फंसे रहे. आर्मी, प्रशासन और स्थानीय सहयोग से बच्चों को घर पहुंचाया गया

सरपंच ने बच्चों को रुकवाया अपने घर

बदरवास के राइजिंग सोल्स स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कुंडयाई, बिजरौनी सहित आस-पास के गांवों के रहने वाले हैं. सिंध नदी के पुल पर तेज बहाव होने के चलते बस को आगे नहीं ले जाया जा सका. इस स्थिति में पचावली गांव के सरपंच ने मानवीयता दिखाते हुए सभी बच्चों को अपने घर पर रातभर के लिए रुकवाया और उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की

परिजनों ने ली राहत की सांस

इस दौरान कोलारस विधायक महेन्द्र यादव भी मौके पर मौजूद रहे. उन्होंने पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की. सुरक्षित निकाले जाने के बाद परिजन और मौके पर मौजूद लोग भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते हुए बेहद खुश नजर आए. स्थानीय ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली और सेना और प्रशासन की तत्परता की सराहना की.

 

 

गडकरी का बयान: हाईवे और एक्सप्रेसवे पर लगे 4,557 EV चार्जिंग स्टेशन

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नई दिल्ली । देश में राज्य, राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 1,46,342 किलोमीटर की लंबाई में कुल 4,557 इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं। यह जानकारी बुधवार को संसद को दी गई।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि उत्तर प्रदेश में 507 पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं, जिसके बाद कर्नाटक में 489, महाराष्ट्र में 459, तमिलनाडु में 456 और राजस्थान में 424 पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं।
उन्होंने कहा, “ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, देश में राज्य/राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेसवे पर कुल 4,557 ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं।” केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि चार्जिंग पॉइंट ऑपरेटरों (सीपीओ) को प्रोत्साहन देने की कोई योजना नहीं है।
इस बीच, देश के टियर 2 शहरों में वर्तमान में 1 अप्रैल, 2025 तक 4,625 ईवी चार्जिंग स्टेशन चालू हैं। सरकार ने हाल ही में कहा था कि 2,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ, पीएम ई-ड्राइव योजना देश भर में लगभग 72,000 ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना में सहायता करेगी।
भारी उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि ये स्टेशन 50 राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों, मेट्रो शहरों, टोल प्लाजा, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों, ईंधन आउटलेट और राज्य राजमार्गों जैसे उच्च-यातायात स्थलों पर रणनीतिक रूप से स्थापित किए जाएंगे।
पीएम ई-ड्राइव योजना मांग प्रोत्साहनों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने और देश भर में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के लिए अक्टूबर 2024 में शुरू की गई थी। केंद्र ने इस योजना के तहत ईवी को सब्सिडी के लिए 10,900 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
केंद्र ने एफएएमई -II योजना के तहत तीन ऑयल मार्केटिंग कंपनियों आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल द्वारा 8,932 इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (ईवीपीसीएस) स्थापित करने के लिए 873.50 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने प्रधानमंत्री ई-ड्राइव पहल के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक अभूतपूर्व योजना शुरू की, जिसमें प्रति वाहन अधिकतम प्रोत्साहन राशि 9.6 लाख रुपए निर्धारित की गई है।

रूस में भूकंप के 30 झटकों से दहशत, धरती ने बार-बार मचाई हलचल

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मास्को। रूस के पूर्वी तट पर कामचटका प्रायद्वीप के पास आए भूकंप ने तबाही मचा दी है। रिक्टर स्केल पर 8.7 तीव्रता वाले भूकंप से धरती कांपी तो लोग भी दहशत में आ गए। रूसी एजेंसी का कहना है कि भूकंप के बाद कामचटका में 30 से अधिक बार झटके महसूस किए गए। पलभर में तबाही के मंजर की आशंका को भांपते हुए लोग घरों से बाहर भागने लगे। वहीं भूकंप के बाद रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय इलाकों में सुनामी आ गई। तमाम इलाकों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। भूकंप के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
रूस के कामचटका में आए भूकंप के झटकों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसमें दिखा गया कि एक घर में बुरी तरह से सामान हिल रहा। यूजर ने लोगों को सचेत रहने की चेतावनी दी है। एक अन्य वीडियो में एक कैंप में रखा सामान हिलता दिख रहा है। लोगों का कहना है कि झटकों से ऐसा महसूस हुआ कि कोई तेजी से हमें झकझोर रहा हो। झटके महसूस होने पर लोग घर से बाहर की ओर भागे। वहीं रूसी एजेंसी ने कहा कि भूकंप के बाद कई बार 2 से 5 की तीव्रता वाले 30 अतिरिक्त झटके महसूस किए गए। रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार कि भूकंप के दौरान एक हवाई अड्डे सहित कई स्थानों पर कई लोगों को मामूली चोटें आईं।
घरों के अंदर गिरी अलमारियां
भूकंप के बाद रूस के सबसे बड़े शहर पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की में लोग सडक़ों पर आ गए। घरों के अंदर अलमारियां गिर गईं, शीशे टूट गए, कारें सडक़ पर क्षतिग्रस्त हो गईं और इमारतों में कांपती नजर आईं। इससे पहले जुलाई में कामचटका के पास समुद्र में पांच शक्तिशाली भूकंप आए थे- जिनमें से सबसे बड़ा भूकंप 7.4 तीव्रता का था। सबसे बड़ा भूकंप 20 किलोमीटर की गहराई पर और 180,000 की आबादी वाले पेट्रोपावलोव्स्क-कामचत्स्की शहर से 144 किलोमीटर पूर्व में था। 4 नवंबर, 1952 को कामचटका में 9.0 तीव्रता के भूकंप से भारी नुकसान हुआ था

सुनामी के अलर्ट सायरन बजे
रूस के कामचटका में आए भूकंप के बाद रूस के कुरील द्वीप समूह और जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो के तटीय इलाकों में सुनामी आ गई। होनोलूलू में मंगलवार को सुनामी चेतावनी सायरन बजने लगे और लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा गया। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंची पहली सुनामी लहर होक्काइडो के पूर्वी तट पर नेमुरो पहुंची। स्थानीय गवर्नर वालेरी लिमारेंको के मुताबिक, पहली सुनामी लहर प्रशांत महासागर में रूस के कुरील द्वीप समूह की मुख्य बस्ती सेवेरो-कुरीलस्क के तटीय क्षेत्र में आई। आसपास रहने वाले लोग सुरक्षित हैं। दोबारा लहर आने का खतरा टलने तक वे ऊंचे स्थानों पर ही रहेंगे।

इसरो ने लॉन्च किया पावरफुल सैटेलाइट निसार

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श्रीहरिकोटा। अब तक के सबसे महंगे और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार को बुधवार को लॉन्च किया गया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-एफ 16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। इस सैटेलाइट को नासा और इसरो दोनों ने मिलकर बनाया है।
निसार 747 किमी की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है। निसार एक हाई-टेक सैटेलाइट है। इसका पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार है। ये सैटेलाइट 97 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेगा। 12 दिनों में 1,173 चक्कर लगाकर यह पृथ्वी की लगभग हर इंच जमीन को मैप कर लेगा। इसके पास बादलों, घने जंगल, धुएं और यहां तक कि अंधेरे में भी देखने की क्षमता देता है। यह धरती की सतह पर बहुत छोटे बदलावों को भी देख सकता है।

निसार मिशन के मुख्य उद्देश्य
 निसार मिशन का मुख्य मकसद है धरती और उसके पर्यावरण को करीब से समझना। ये सैटेलाइट खास तौर पर धरती की सतह या ग्लेशियर्स में कितना बदलाव हो रहा है। जैसे जमीन का धंसना या बर्फ का पिघलना। जंगलों, खेतों और दूसरी प्राकृतिक जगहों की स्थिति को मॉनिटर करेगा, ताकि ये समझा जा सके कि पर्यावरण कैसा है। समुद्र की लहरों, उनके बदलावों और समुद्री पर्यावरण को ट्रैक करेगा। इन जानकारियों से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। मिशन का ओपन-सोर्स डेटा सभी के लिए मुफ्त में उपलब्ध होगा।

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