Monday, July 28, 2025
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चंदिया में रेल रोको आंदोलन में 80 गांव के 15 हजार लोग शामिल, रेलवे स्टेशन छावनी में तब्दील

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उमरिया ।   चंदिया में ट्रेनों के स्टॉपेज को लेकर रेलवे ट्रैक पर संघर्ष समिति द्वारा रेल रोको आंदोलन की चेतावनी को देखते हुए रेलवे स्टेशन के हर हिस्से में पुलिस बल और आरपीएफ के बल तैनात कर दिया गया है। रेलवे स्टेशन पुलिस छावनी में बदल गई है। प्लेटफार्म नंबर 1, 2 और 3 के अलावा दोनों दिशाओं में लगभग डेढ़ किलोमीटर तक आरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए सीनियर डीएससी दिनेश सिंह तोमर और एसी विवेक शर्मा ने बताया कि वह आंदोलनकारियों के हर एक्शन के लिए तैयार हैं। आरपीएफ के जवानों को यह हिदायत दे दी गई है कि अगर लाठी चार्ज होता है तो किसी तरह की कोई कोताही न बरती जाए और खुलकर लाठीचार्ज किया जाए। वहीं दूसरी तरफ चंदिया में रेल रोको आंदोलन के लिए गढ़ीचौक से आंदोलनकारी रेलवे स्टेशन के लिए कूच कर गए हैं। रैली में लगभग 15000 लोग शामिल हुए हैं। यह 80 गांव के लोग हैं जो चंदिया रेलवे स्टेशन में उन ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग कर रहे हैं, जिनका स्टॉपेज पहले था, लेकिन कोरोना काल के बाद जिसे बंद कर दिया गया।

निर्णायक दिन

जिले के चंदिया में चल रहे रेलों के स्टॉपेज को लेकर आंदोलन का मंगलवार को निर्णायक दिन है। संघर्ष समिति ने 5 सितंबर से क्रमिक अनशन प्रारंभ किया था और 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन की चेतावनी दी थी। रेलवे के अधिकारियों ने अभी तक कोई मांग पूरी नहीं की जिसके कारण क्षेत्रीय संघर्ष समिति को रेल रोको आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। हालांकि क्षेत्रीय संघर्ष समिति ने अभी भी 12:00 बजे तक का समय रेलवे के अधिकारियों को दिया है कि वे आकर इस मामले में चर्चा करें और अपनी बातें रखें। क्षेत्रीय संघर्ष समिति ने खुला ऐलान किया है कि अगर 12:00 बजे तक रेलवे के अधिकारी नहीं आते हैं तो ट्रैक पर उतर कर रेल रोको आंदोलन किया जाएगा।

पूरा नगर बंद

चंदिया नगर का बाजार पूरी तरह से बंद है। नगर का चप्पा चप्पा सन्नाटे में डूबा हुआ है। नगर के लोग छोटे-छोटे समूह में दुकानों के सामने लोग बैठे हुए हैं। संभवत यह आंदोलनकारियों की रणनीति का हिस्सा है कि एक साथ आंदोलन स्थल पर न पहुंचा जाए। नगर के गढ़ी चौक में आंदोलनकारियों का एक जत्था नगर के लोगों का आह्वान कर रहा है कि वह इस आंदोलन में हिस्सा लें। नगर में सभी दुकाने बंद है और चाय पान तक के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।

घरों में बने 20 हजार भोजन के पैकेट

इस आंदोलन से नगर का हर घर जुड़ गया है। दूरदराज से आने वाले ग्रामीणों के लिए भोजन की व्यवस्था नगर के लोगों ने अपने अपने घरों में की है। हर घर से भोजन के पैकेट तैयार करके आंदोलनकारियों के लिए भेजे जा रहे हैं। आंदोलनकारियों नेतृत्व कर रहे मिथलेश पयासी ने बताया कि नगर के हर घर से भोजन के पैकेट आ रहे हैं। कहीं से 10 पैकेट तो कहीं से 50 पैकेट और कोई 100 पैकेट भी दे रहा है। इस तरह लगभग 20000 भोजन के पैकेट एकत्र होने का अनुमान है।

वर्ल्ड कप की तैयारी को अंतिम रूप देने उतरेगा भारत

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रोहित शर्मा की अगुआई में भारतीय टीम मंगलवार को आस्ट्रेलिया के विरुद्ध तीन मैचों की टी-20 सीरीज के पहले मुकाबले में जब उतरेगी तो उसकी कोशिश अगले महीने होने वाले टी-20 विश्व कप की तैयारी को अंतिम रूप देने की होगी। आस्ट्रेलियाई टीम टी-20 विश्व कप की गत विजेता है और इस बार इस वैश्विक टूर्नामेंट का आयोजन भी आस्ट्रेलिया में ही होना है। भारतीय टीम की नजरें इसके साथ ही अपनी कमियों पर सुधार करने पर भी होगी। भारत का हाल ही में हुए एशिया कप में जिस तरह का प्रदर्शन रहा था, उसे देखते हुए टीम को अपनी पिछली गलतियों से सीख लेना होगा।भारत इस सीरीज में अपनी मजबूत टीम के साथ उतर रहा है। कप्तान रोहित ने यह स्पष्ट किया था कि उनके साथ ओपनिंग के तौर पर केएल राहुल ही उतरेंगे, इसके बाद शीर्ष क्रम में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है।

 

राजगढ़ जेल में काटी मुस्लिम युवकों की दाढ़ी, कांग्रेस विधायक ने गृहमंत्री को दिया ज्ञापन

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राजगढ़   राजगढ़ जेल में मुस्लिम युवकों की दाढ़ी काटने का मामला सामने आया है। इस मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मंगलवार को जेल मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि ये दुखद घटना है। जेल प्रशासन द्वारा इस प्रकार की घटना को अंजाम देने से मुस्लिम समुदाय में काफी रोष है। बता दें, राजगढ़ पुलिस ने कुछ मुस्लिम युवकों के खिलाफ शांतिभंग की कार्रवाई कर तहसीलदार जीरापुर की कोर्ट में पेश किया था। यहां से युवकों को राजगढ़ जिला जेल भेज दिया गया था। जिले के जीरापुर नगर में रहने वाले कलीम खां ने बताया कि 13 सितंबर को उसे शांति भंग करने के आरोप में जेल भेजा गया था। कलीम के साथ वहीद, तालिब, आरिफ और सलमान भी थे। कलीम का आरोप है कि 14 सितंबर को सुबह 9 बजे जेलर एनएस राणा निरीक्षण करने आए थे। उसे देखते ही वे भड़क गए। उन्होंने कहा कि तू पाकिस्तान से आया है क्या? ये कहकर उन्होंने दाढ़ी कटवा दी। कलीम ने बताया कि वह 8 साल से दाढ़ी रखता था। जेल से बाहर आने के बाद जीरापुर में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोगों ने  शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में ज्ञापन दिया। उन्होंने जेलर पर कार्रवाई करने की मांग की है।

मप्र राज्य सेवा-2019 का परिणाम बदलेगा, मुख्य परीक्षा होगी दोबारा

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इंदौर ।   मप्र लोक सेवा आयोग ने घोषणा कर दी है कि एक महीने के भीतर राज्यसेवा परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम फिर से घोषित किया जाएगा। इस परिणाम के आधार पर राज्यसेवा 2019 की मुख्य परीक्षा भी फिर से आयोजित होगी।पीएससी ने सोमवार को मुख्यालय के बाहर विद्यार्थियों के प्रदर्शन के बाद उन्हें लिखित आश्वासन पत्र दिया तो उसमें इसकी भी घोषणा कर दी गई। पीएससी की ताजा घोषणा से लाखों अभ्यर्थी खुश हैं कि आयोग की अटकी परीक्षाओं का सिलसिला फिर गति पकड़ेगा। हालांकि राज्यसेवा 2019 में इंटरव्यू के लिए चयनित हुए 1918 अभ्यर्थियों को झटका लगा है। प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट बदलने और दोबारा होने वाली मुख्य परीक्षा के चलते ये इनका चयन भी प्रभावित होने के आसार हैं। सोमवार को पीएससी मुख्यालय के बाहर युवा कांग्रेस के पदाधिकारी अभ्यर्थियों के साथ विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे।दोपगहर करीब 1 बजे युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जावेद खान, मोनेश जायसवाल, पिंटू जोशी के साथ 200 युवा आयोग के बाहर जमा हुए।मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने उन्हें भीतर जाने से रोका तो इस दौरान जमकर बहस हुई। अभ्यर्थी आयोग अध्यक्ष को नीचे बुलाने की मांग पर अड़ गए। पीएससी अफसर सपना शिवाले उनसे चर्चा के लिए आई। अभ्यर्थी लिखित आश्वासन की मांग पर अड़े रहे। अध्यक्ष से चर्चा के बाद उन्हें लिखित में आश्वासन दिया जिसके बाद प्रदर्शन खत्म हुआ।चार बिंदुओं वाले आश्वासन पत्र में आयोग के ओएसडी के हस्ताक्षर से यह भी लिखा गया कि प्रारंभिक परीक्षा का नया रिजल्ट जारी करने के तीन माह के भीतर ही मुख्य परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी। इसके साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुसार अन्य सभी रुकी परीक्षाएं भी तेजी से संपन्न करवा ली जाएगी।

ये था मामला

राज्य सेवा परीक्षा 2019 का रिजल्ट पीएससी ने नए भर्ती नियम के हिसाब से जारी किया था। पुरानी परीक्षाओं से अलग इसमें पीएससी ने आरक्षित वर्ग के मेरिट होल्डर अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटों पर नहीं चुना था। इस संशोधन के खिलाफ लगाई याचिका पर हाई कोर्ट ने 7 अप्रैल को निर्णय सुना दिया था। कोर्ट ने पुराने भर्ती नियम यानी राज्यसेवा नियम 2015 के हिसाब से रिजल्ट को संशोधित कर जारी करने आदेश दिया है।अभ्यर्थी अब तक मान रहे थे कि पीएससी रिजल्ट में ही संशोधन कर इंटरव्यू का रास्ता निकाल लेगा। पीएससी की ओर से साफ कर दिया गया है कि क्योंकि पुराने नियम का पालन करते हुए नया रिजल्ट जारी करना होगा। ऐसे में पीएससी को राज्यसेवा मुख्य परीक्षा 2019 फिर से आयोजित करना ही होगी। क्योंकि ओबीसी आरक्षण का विवाद अभी तक कोर्ट में लंबित है इसलिए फिर से परीक्षा की घोषणा अटकी हुई थी।

उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है

उच्च स्तर पर चर्चा चल रही है। संकेत मिले हैं कि आरक्षण पर सामान्य प्रशासन विभाग से जल्द निर्देश मिल जाएंगे। एक महीने में सबसे पहले 2019 राज्यसेवा की प्रारंभिक परीक्षा का नया रिजल्ट जारी होगा। इसके बाद मुख्य परीक्षा व प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

– डॉ.रवींद्र पंचभाई, ओएसडी, एमपी पीएससी

टाइम लाइन

-नवंबर 2019 में पीएससी ने राज्यसेेवा-2019 घोषित की

-12 जनवरी 2020 को प्रारंभिक परीक्षा संपन्न हुई

-प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 21 दिसंबर 2020 को जारी हुआ

– प्रारंभिक परीक्षा से 10767 विद्यार्थी मुख्य परीक्षा के लिए चुने गए

-21 से 26 मार्च 2021 तक मुख्य परीक्षा आयोजित हुई

-31 दिसंबर 2021 को मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ

– मुख्य परीक्षा से 1918 अभ्यर्थी इंटरव्यू के अंतिम दौर के लिए चुने गए

– फरवरी में इनके इंटरव्यू करवाने की घोषणा करते हुए जनवरी 2022 में सभी से दस्तावेज भी पीएससी ने जमा करवा लिए थे

-7अप्रैल को हाई कोर्ट ने राज्यसेवा नियम में संशोधन को रद्द कर फिर से रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया

रीवा में सामूहिक दुष्कर्म के दो आरोपित मुंबई से गिरफ्तार, छह आरोपितों में से एक अब भी फरार

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रीवा ।  रीवा जिले के नईगढ़ी थाना क्षेत्र में हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में दो अन्य आरोपितों तक पहुंचने में पुलिस ने सफलता हासिल कर लिया है। वारदात में छह आरोपित शामिल थे, जिसमे तीन आरोपितों को पुलिस ने सोमवार को ही गिरफ्तार कर लिया था, जबकि तीन आरोपित फरार थे। फरार आरोपितों में से दो आरोपित मुंबई भागने की फिराक में थे, मैहर और जबलपुर के बीच आरोपितों का लोकेशन पुलिस को मिला जिसके बाद पुलिस ने अपना जाल बिछाया। आरोपितों से पहले रीवा पुलिस की टीम मुंबई के रेलवे स्टेशन पहुंच गई। स्टेशन के अंदर कदम रखते ही पुलिस ने आरोपितों को दबोच लिया।

क्या है मामला :

बीते दिन किशोरी अपने दोस्त के साथ नईगढ़ थाना क्षेत्र स्थित अष्टभुजी मंदिर माता के दर्शन करने गई थी। दर्शन करने के बाद वह मंदिर से कुछ ही दूरी पर बैठकर आपस में बातचीत कर रहे थे। तभी वहां पर छह की संख्या में युवक पहुंचे और किशोरी और उसके दोस्त को धमकाने लगे। बाद में आरोपित किशोरी को घसीटते हुए बहुती प्रपात स्थित जंगल की ओर ले गए। जहां किशोरी को तकरीबन एक घंटे तक बंधक बनाए रखा। सभी ने एक-एक कर उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया। इतना ही नहीं आरोपितों ने पीड़िता के साथ जमकर मारपीट की थी और उसका मोबाइल व पायल लेकर मौके से फरार हो गए थे।

आरोपितों को पकड़ने पुलिस ने बिछाया जाल :

बताया जा रहा है की वारदात के बाद जब पुलिस सक्रिय हुई तो मामले पर फरार दो आरोपित इलाहाबाद में थे जहां से वह मुंबई स्थित अपने रिश्तेदार के घर पर पनाह लेने लिए भाग निकले। पुलिस ने आरोपितों की लोकेशन ट्रेस की तो उनका लोकेशन मैहर और जबलपुर की आस पास होना पाया गया। पुलिस रीवा पुलिस ने आरोपितों की धरपकड़ के लिए अपना जाल बिछाया। रीवा पुलिस की एक टीम किसी अन्य मामले में पहले से ही किसी बच्ची की दस्तयाबी के लिए मुंबई में तैनात थी। रीवा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने तत्काल मुंबई में तैनात रीवा पुलिस की टीम को एक्टिव किया जिसके बाद आरोपित के मुंबई स्टेशन पहुंचे ही पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। आरोपित पुलिस की अभिरक्षा में है पुलिस की टीम आरोपित की लेकर मुंबई से रीवा लाने के लिए रवाना हो चुकी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसपी अनिल सोनकर ने बताया की मामले पर तीन आरोपितों की गिरफ्तारी बीते कल कर ली गई थी, जबकि तीन आरोपित फरार थे। दो आरोपितों को पुलिस ने मुंबई से गिरफ्तार किया है, जिन्हें लेकर पुलिस की टीम मुंबई से रवाना हो चुकी है, जबकि मामले में फरार एक अन्य आरोपित को पकड़ने को लिए पुलिस की टीम रवाना की गई है। आरोपितों के मकानों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया गया है। मामले पर सभी आरोपितों का प्रकरण फास्ट ट्रैक कोर्ट विचारण कराकर जल्द से जल्द सख्त सजा दिलाई जा सके।

नरसिंहपुर देश का ऐसा एकमात्र जिला, जिससे चार शंकराचार्यों का है नाता

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नरसिंहपुर  ।   मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर देशभर में एकमात्र ऐसा जिला है, जिससे चार शंकराचार्यों का नाता है। भगवान आदिशंकराचार्य ने नर्मदा के सांकल घाट हीरापुर में साधना की थी। यह स्थान गुरुगुफा के रूप में प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आदिशंकराचार्य का मंदिर बनवाया है। ब्रह्मलीन स्वरूपानंदजी की तप स्थली परमहंसी नरसिंहपुर जिले में है। जिनके उत्तराधिकारी शिष्य शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और सदानंदजी ने भी गुरु तपस्थली में उनके साथ रहते हुए तप, साधना, धर्मशिक्षा ली है। आदि शंकराचार्य ने नरसिंहपुर जिले में नर्मदा के सांकल-ढानाघाट के बीच धूमगढ़ स्थित एक गुफा में कठिन तपस्या की थी। यहीं पर अपने गुरु गोविंदपादाचार्य से दंड संन्यास की दीक्षा ली थी। बताया जाता है कि नर्मदा परिक्रमा दौरान ब्रह्मलीन शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज वर्ष 1949 के करीब की थी। जिसके बाद यहां भगवान आदि शंकराचार्य और उनके गुरु की प्रतिमा स्थापित कर भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नमामि देवी नर्मदे यात्रा दौरान गुरुगुफा में पूजन किया था। जबकि वर्ष 1989 में गोविंदवन में शंकराचार्य के सानिध्य में तात्कालीन उपराष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा, तात्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा ने पौधारोपण किया था। करीब पांच वर्ष पहले यहां मंदिर निर्माण कराया था।

ढाई हजार वर्ष से अधिक पुरानी गुफाः

बताया जाता है कि यह गुफा ढाई हजार वर्ष से अधिक प्राचीन हैं। जो ढाई सौ फीट लंबी व करीब 50 फीट गहरी है। गुफा के अंदर जाने का रास्ता करीब डेढ़ फीट चौड़ा संकीर्ण रास्ता है। दोनों शंकराचार्यों को दी वेद-वेदांत की शिक्षाः ब्रह्मचारी अचलानंद बताते हैं कि ब्रह्मलीन शंकराचार्यजी परमहंसी में वर्ष 1950 के करीब से स्थायी रूप से तप करते रहे और फिर यहीं पर आश्रम का निर्माण हुआ। नर्मदा परिक्रमा के दौरान गुरुगुफा की खोज उन्होंने ही की थी। जब भी गुरुजी का परमहंसी में चातुर्मास रहा और लंबे समय तक यहां रहे तो उस दौरान वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व सदानंदजी को भी वह वेद-वेदांत, न्याय मीमांसा की शिक्षा देते रहे। इस तरह परमहंसी को दोनों शंकराचार्यों की शिक्षा स्थली भी कहा जा सकता है।

नर्मदा घाट की ढलान पर खड़ी कार नदी में समाई, तर्पण करने गया था परिवार, बच्चों की जान बची

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जबलपुर ।  बेलखेड़ा थाना अंतर्गत छरउआ घाट किनारे खड़ी कार एकाएक नदी के अंदर चली गई। कार में दो बच्चे सवार थे। कार पानी में जाते ही चीख पुकार मच गई। आसपास खड़े लोगों ने तत्परता दिखाते हुए कार से दोनों बच्चों को बाहर निकाल लिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बड़ी मुश्किल से कार को पानी के बाहर निकाला। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सागर निवासी आशुतोष दुबे एवं कमलेश दुबे पूर्वजों की तर्पण पूजा के लिए बेलखेड़ा थाना क्षेत्र के छरउआ घाट सुबह-सुबह अपनी कार से पहुंचे थे। आशुतोष और कमलेश कार को घाट के उपर ढलान क्षेत्र में खड़ी कर नदी में तर्पण करने चले गए। पूजन के दौरान वह कार में अपने दो बच्चों को बैठा गए थे। जब नदी किनारे खड़ी कार अचानक चल दी और कार नदी के अंदर चली गई। बताया जा रहा है कि बच्चों ने कार में खेलते हुए गाड़ी का हैंडब्रैक खोल दिया और कार चलते हुए नदी में समा गई। गनीमत रही कि क्षेत्रीय लोगों की तत्परता की वजह से हादसा नहीं हुआ नहीं तो बच्चों की जान के साथ घाट के नीचे बैठे अन्य लोगों की जान जा सकती थी।

चाणक्य नीति: ये 3 दुख घर की सुंदरता को छीन लेते हैं

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कहा जाता है कि खुशियां और गम मानव जीवन का अहम हिस्सा है। इनमें से कोई भी चीज़ स्थायी नहीं है। समझगार व्यक्ति वही होता जो इन दोनों में एक समान रह सके।

कहने का अर्थ है जो व्यक्ति सुख में अधिक उत्तेजित न हो और दुख में हिम्मत न हारें। परंतु आचार्य चाणक्य के नीति सूत्र में किन्हीं ऐसे दुखों के बारे में बताया गया है जो जिस किसी के जीवन में अगर आ जाते हैं तो न केवल उस इंसान के जीवन की खुशियां चली जाती है बल्कि घर की रौनक भी हमेशा के लिए चली जाती है। इतना ही नहीं बल्कि कहते हैं ये तीन दुख इंसान को अंदर से पूरे तरह खोखला कर देते हैं। चाणक्य के अनुसार तीन घटनाएं दुर्भाग्य की निशानी है। तो आइए जानते हैं मनुष्य जीवन के सबसे बड़ा दुख क्या कहलाते हैं।

शक्की जीवनसाथी
कहा जाता है शक का कोई इलाज नही होता। जिस किसी व्यक्ति में अपने जीवनसाथी को लेकर शक पैदा हो जाता है, उसका जीवन बर्बाद होने से वह स्वयं भी नहीं रोक पाता। ये शादीशुदा जिंदगी में जहर घोलने का काम करता। कहा जाता शादीशुदा जिंदगी की गाड़ी के दो पहियों की तरह होती है, एक में भी खराबी आ जाए तो आगे चलना मुश्किल हो जाता है। उसी तरह जीवनसाथी फिर चाहे स्त्री हो या पुरुष एक दूसरे के प्रति अगर शक की भावना उत्पन्न हो जाए तो कई जीवन नर्क बन जाता है. कई बार तो तलाक की नौबत आ जाती है।

विधवा बेटी
हर माता पिता की ये कामना होती है कि उनकी बेटी को शादी के बाद एक अच्छा वर व घर मिले। इसके लिए माता-पिता अपनी ताउम्र इसके लिए कड़ी मेहनत करके एक-एक पाई जोड़कर धूम धाम से बेटी की शादी करते हैं। कहते हैं मां बाप के लिए अपनी बेटी को ब्याह देने के खुशी दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है हालांकि उसकी विदाई में उनकी तकलीफ का अंदाज़ा लगा पाना किसी के लिए भी आसाना नहीं होता। परंतु एक पिता के लिए सबसे बड़ा दुख होता है अपने जीते जी अपनी बेटी को विधवा देखना। चाणक्य नीति में वर्णन है कि ये ऐसा दुख है जो न सिर्फ बेटी की खुशियां छीनता है बल्कि ससुराल और मायके दोनों घर की रौनक छीन लेता है।

मतकमाऊ बेटा
प्रत्येक माता पिता चाहते हैं कि उनका बेटा आदर्शवादी बने और अपने जीवन में खूब तरक्की करें। कहा जाता है प्रत्येक माता-पिता के लिए उनकी औलाद ही बुढ़ापे का सहारा होता है। लेकिकन जब पुत्र निकम्मा निकल जाए तो माता-पिता के लिए इससे बड़ा दुख कोई नहीं होता। चाणक्य के अनुसार संतान भले ही एक हो लेकिन अगर योग्य और बुद्धिमान होगी तो माता पिता को कभी किसी अन्य का सहारा नहीं लेना पड़ता।

नदी-तालाब में तर्पण कर लोग पितरों को कर रहे याद, इस संकेत से समझे पितर आपसे नाराज है या खुश

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पितृपक्ष में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान व तर्पण के लिये आश्विन माह खास माना गया है.,पितृपक्ष भादो माह की पूर्णिमा तिथि को अगस्त्य मुनि के जल अर्पण से शुरू होकर आश्विन माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को तर्पण का समापन होगा. पूर्वजों को जल अर्पण करने को लेकर जिलेभर के छोटे-बड़े तालाब घाटों व नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही है. पितृपक्ष पितरों को याद करने व तर्पण करने का महापर्व माना जाता है. दस सितंबर से शुरू हुए पितृपक्ष का समापन 25 सितंबर को होगा.

इन 16 दिनों तक श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण कर जल अर्पण करेंगे. धार्मिक मान्यता है कि पितरों के निमित्त पिंडदान या तर्पण करने से उनकी आत्मा को मोक्ष मिलता है. जिस तरह देवी देवताओं की पूजा की जाती है, उसी तरह पितृपक्ष में पितरों की पूजा होती है. जिससे पितर प्रसन्न होकर अपने परिवार के लोगों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इन्हीं कामना से श्रद्धालु तालाब घाट पर पुरोहितों से विधि विधान पूर्वक पूजन कराकर पूर्वजों को याद कर तिल कुश आदि से जल अर्पण किया.

पितरों से मिलता है आशीर्वाद

बतादें कि भादव महीने की पूर्णिमा से शुरु हुई पितृपक्ष आश्विन मास के कृष्ण पत्रा की अमावस्या तिथि को समाप्त होगी. इन पक्ष में विधि विधान से पितरों से संबंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है. माना जाता है कि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है.

दक्षिण दिशा में पितरों को दिया जाता है जल

पितृपक्ष में पितरों का आगमन दक्षिण दिशा से होती है. शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा में चंद्रमा के उपरी कक्षा में पितृलोक स्थित है. इस दिशा को यम की दिशा भी माना गया है. इसलिये दक्षिण दिशा में पितरों का अनुष्ठान किया जाता है. रामायण में उल्लेख है कि जब दशरथ जी की मृत्यु हुई थी तो भगवान राम ने स्वप्न में उन्हें दक्षिण दिशा की ओर जाते हुये देखा था. रावण की मृत्यु से पहले त्रिजटा ने सवप्न में रावण को गधे पर बैठकर दक्षिण दिशा की ओर जाते देखा था. इन्हीं कारणों से पितरों को दक्षिण दिशा की ओर जल अर्पण करने का विधान है.

मृत्यु तिथि पर पितरों को भोजन कराने का है विधान

पुराण के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है. उसी तिथि अमें उनका श्राद्ध करना चाहिए. यदि जिनकी मृत्यु के दिन का सही पता न हो. उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को कराना चाहिए. श्राद्ध मृत्यु वाली तिथि को किया जाता है. मृतयु तिथि के दिन पितरों को अपने परिवार द्वारा दिये अन्न जल को ग्रहण करने की आज्ञा है. इसलिये उस दिन पितर कहीं भी किसी लोक में जिस रुप में होते हें. उसी अनुरुप आहार ग्रहण कर लेते हैं. विदित हो कि श्राद्ध पक्ष में तिल व कुश का विशेष महत्व है. गरुड़ पुराण के अनुसार तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु व महेश कुश के क्रमश: जड़, मध्य और अग्र भाग में रहते हैं. कुश का अग्र भाग देवताओं का, मध्य भाग मनुष्य का और जड़ भाग पितरों का माना गया है. वहीं तिल पितरों का प्रिय है और दुरात्माओं को दूर भगाने वाला माना गया है.
 

इंदिरा एकादशी पर बस एक बार ये उपाय आजमाएं, कर्ज और जीवन भर के कष्टों से मुक्ति पाएं

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हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022, दिन मंगलवार को रखा जाएगा.

इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है. पितृपक्ष के दौरान पड़ने के कारण इस एकादशी पर श्री हरी विष्णु की कृपा से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जो लोग हर तरह के कष्टों से छुटकारा पाकर सुख-समृद्धि मृत्यु के बाद मोक्ष चाहते हैं, उन्हें इस व्रत को जरूर रखना चाहिए. इस दिन कुछ विशेष उपाय कर पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है, साथ ही भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. ऐसे में चलिए जानते हैं इंदिरा एकादशी के उन उपायों के बारे में.

– इंदिरा एकादशी पर सूर्यास्त के समय तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाकर 'ॐ वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें. मान्यता है इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है. घर में सुख-शांति का माहौल बना रहता है.

– कर्ज में डूबे लोगों को इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग की वस्तु जैसे पीले फूल, पीला फल(केला), पीला अनाज(अरहर दाल) पूजा में अर्पित करना चाहिए. इसके बाद इन सामग्री को गरीब या जरूरतमंदों में बांट दें. ऐसा करने पर कर्ज का बोझ कम होता जाएगा.

– निर्धता दूर करने के लिए इंदिरा एकादशी के दिन पीपल के पेड़़ में सरसों के तेल का दीपक लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही दरिद्रता का नाश होता है.

– इंदिरा एकादशी के दिन घर में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भजन-कीर्तन करने से नकारात्मकता दूर होती है. परिवार में क्लेश नहीं होता. हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है.
 

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