रिहाई के बाद आज़म खान का अगला कदम! बसपा-कांग्रेस में बढ़ी हलचल

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रामपुर।  समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और रामपुर के ‘शेर’ कहे जाने वाले आजम खान सीतापुर जेल से आजाद हो गए हैं। करीब 23 महीने तक जेल की सलाखों के पीछे रहने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें हाल ही में जमानत दी। आजम खान के बिना यूपी की राजनीति की कहानी अधूरी-सी लगती है। आइए जानते हैं कि उनकी रिहाई से क्या-क्या बदल सकता है और क्यों हर पार्टी उनकी ओर टकटकी लगाए बैठी है।

जेल से निकलते ही सियासी रंग

आजम खान के खिलाफ 70 से ज्यादा मुकदमे हैं, जिनमें फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, जमीन हड़पने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। लेकिन एक-एक करके सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद आखिरी रुकावट भी हट गई। आज आजम रिहा हो गए. उनके बेटे आदिब आजम सुबह से ही जेल के बाहर डटे थे, और समर्थकों की भीड़ का आलम ये है कि सीतापुर में धारा 144 लागू कर पुलिस तैनात करनी पड़ी। आजम खान सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि रामपुर और आसपास के इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लिए एक बड़ा चेहरा हैं। उनकी रिहाई ने सियासी गलियारों में नई चिंगारी सुलगा दी है। कांग्रेस हो, बहुजन समाज पार्टी हो या कोई और दल, हर कोई आजम को अपने पाले में लाने की जुगत में है. लेकिन सवाल ये है कि क्या आजम खान सपा के साथ रहेंगे या कोई नया सियासी खेल खेलेंगे?

क्यों है आजम की ‘डिमांड’?

सियासत में आजम खान का जलवा कोई नई बात नहीं रामपुर से 10 बार विधायक रहे आजम का इलाके में जबरदस्त प्रभाव है। लेकिन खबरें हैं कि सपा मुखिया अखिलेश यादव से उनकी कुछ नाराजगी है। सूत्र बताते हैं कि जेल में लंबा वक्त बिताने के दौरान अखिलेश ने उनकी ज्यादा सुध नहीं ली, जिससे आजम का दिल टूटा है। ऐसे में बसपा और कांग्रेस जैसे दल अपनी बाहें फैलाए खड़े हैं। बसपा विधायक उमा शंकर सिंह ने तो खुलकर कहा, “आजम खान आएं, हम उनका स्वागत करेंगे। एक-एक वोट की ताकत बढ़ाएगी.” खबर ये भी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने आजम की पत्नी ताजीन फातिमा से दिल्ली में मुलाकात की है। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने बीजेपी पर आजम को ‘प्रताड़ित’ करने का आरोप लगाया और उनके साथ खड़े होने की बात कही। चर्चा तो ये भी है कि प्रियंका गांधी ने आजम के परिवार से फोन पर बात की है। अब ये सियासी मेल-मिलाप क्या रंग लाएगा, ये देखना दिलचस्प होगा! मुस्लिम समुदाय का ‘हीरो’आजम खान के जेल में रहने से मुस्लिम समुदाय में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है। लोग उन्हें फिर से उसी रौब-दाब में देखना चाहते हैं, जो उनकी पहचान रही है। रामपुर और आसपास के इलाकों में उनकी पकड़ को देखते हुए 2027 के विधानसभा चुनाव में आजम किसी भी पार्टी के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकते हैं। लेकिन आजम का अगला कदम क्या होगा? क्या वे सपा के साथ वफादारी निभाएंगे, या नया सियासी ठिकाना तलाशेंगे? उनके परिवार की चुप्पी इस सस्पेंस को और बढ़ा रही है।

क्या होगा सपा का हाल?

अगर आजम खान सपा से किनारा करते हैं, तो ये अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा. आजम न सिर्फ सपा के कद्दावर नेता हैं, बल्कि मुस्लिम वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ सपा की ताकत रही है. उनकी नाराजगी और संभावित बगावत सपा के लिए 2027 के चुनावों में मुश्किल खड़ी कर सकती है. वहीं, अगर वे बसपा या कांग्रेस के साथ जाते हैं, तो यूपी की सियासत में नया समीकरण बन सकता है.

तो, क्या है आजम का प्लान?

फिलहाल, आजम खान और उनका परिवार इस सियासी ड्रामे पर चुप्पी साधे हुए है. लेकिन इतना तय है कि उनकी रिहाई यूपी की राजनीति में नया तड़का लगाने वाली है. क्या आजम सपा के ‘सिपाही’ बने रहेंगे, या कोई नया सियासी किला फतह करेंगे?