बिहार चुनाव 2025 : भाजपा ने कराया इंटरनल सर्वे एनडीए और महागठबंधन के बीच जबर्दस्त टक्कर, एनडीए की बन सकती सरकार

0
9

पटना,6 अगस्त। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्तापक्ष एनडीए और विपक्ष महागठबंधन के पार्टियों की तरफ से जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश तेज कर दी गई है। एनडीए और महागठबंधन की ओर से सर्वे के माध्यम से मतदाताओं के मन को टटोला जा रहा है। वहीं सर्वे रिपोर्ट के आधार पर एनडीए आगे की रणनीति बनाने में जुटा है। जमीनी स्तर से जो रिपोर्ट आ रही है, उसमें एनडीए और महागठबंधन के बीच जबर्दस्त टक्कर होता दिख रही है। जबकि प्रशांत किशोर भी राज्य में तीसरा ध्रुव बनाते दिखाई दे रहे हैं। इस बीच भाजपा सर्वे कराकर अपने संभावित उम्मीदवार, सीटिंग विधायकों का परफॉर्मेंस, विधानसभा वाइज जातीय समीकरण से लेकर विभिन्न मुद्दों, सरकार का कामकाज को लेकर मतदाताओं की राय जाना है। इस आधार पर पार्टी आगे की रणनीति बनाने में जुटी है। 

जानकारों की मानें तो भाजपा का जो इंटरनल सर्वे आया है, उसमें एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होते हुए दिखाई पड़ रहा है। हालांकि सर्वे में एनडीए को बढ़त मिलते हुए बताया गया है। लेकिन जीत का अंतर कम बताया जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो भाजपा के आंतरिक सर्वे में बिहार में एनडीए फिर से सरकार बनाते हुए दिखाई पड़ रहा है। आज की स्थिति में एनडीए को जहां 42.2 फीसदी वोट शेयर मिलते दिख रहा है। जबकि महागठबंधन को 39.1 फीसदी वोट मिलने की संभावना बताई गई है। वहीं, प्रशांत किशोर जो पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में उतर रहे हैं, उनकी पार्टी जनसुराज को तीसरे नंबर पर बताया गया है। जनसुराज पार्टी को 5.2 फीसदी वोट मिल सकता है। जबकि अन्य के खाते में 13.5 फीसदी वोट जाते हुए दिखाई पड़ रहा है। हालांकि विशेष मतदाता पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाये गए हैं। ऐसे में इसमें थोड़ा बदलाव संभव है। जानकार बताते हैं कि भाजपा ने जातीय वोटों का भी सर्वे कराया है। इसमें किस जाति के वोटर किस गठबंधन-पार्टी के पक्ष में वोट कर सकते हैं, इसकी भी एक रिपोर्ट तैयार की गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के इंटरनल सर्वे में यह बात सामने आई है कि सवर्ण वोटों का रुझान प्रशांत किशोर की तरफ बढ़ा है। जिस सवर्ण वोट पर भाजपा अपना एकाधिकार समझती थी, उसमें झटका लग सकता है। रिपोर्ट में 10 फीसदी सवर्ण वोट प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज की तरफ जाते हुए बताया गया है। सवर्णों का 13 फीसदी वोट महागठबंधन की तरफ जा सकता है। वहीं एनडीए के खाते में सवर्णों का 66 फीसदी वोट आने की संभावना जताई गई है। वहीं अन्य के खाते में 11 फीसदी वोट शेयर दिया गया है। जबकि अति पिछड़ा वर्ग का सबसे ज्यादा वोट एनडीए के पक्ष में जाने की बात कही गई है। अति पिछड़ा वर्ग में 60 फीसदी एनडीए, 19 फीसदी-महागठबंधन, जनसुराज और अन्य के खाते में 18 फीसदी वोट जा सकता है। इसी तरह महादलित वोटों में दोनों गठबंधन लगभग बराबर की स्थिति में है। एनडीए-40, महागठबंधन-38, जनसुराज-4 और अन्य के खाते में 18 फीसदी वोट जा सकता है। गैर यादव पिछड़ा वर्ग में भी सबसे ज्यादा वोट एनडीए में जाने की संभावना बताई गई है, इस वर्ग से एनडीए को 80, महागठबंधन को 15, प्रशांत किशोर को 3 और अन्य के खाते में 2 फीसदी वोट जा सकता है। भाजपा के इंटरनल सर्वे रिपोर्ट में पासवान वोट में टूट की संभावना जताई गई है। कुछ फीसदी वोट महागठबंधन में जा सकता है। रिपोर्ट में पासवानों का 22 फीसदी वोट महागठबंधन की तरफ जाते हुए दिखाई पड़ रहा है। प्रशांत किशोर की पार्टी के खाते में भी 3 फीसदी वोट दिया गया है। वहीं यादवों का अधिकांश वोट महागठबंधन में जाते हुए दिखाई पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, यादव समाज का 84 फीसदी वोट राजद-कांग्रेस व गठबंधन के अन्य दलों के खाते में जाने की संभावना बताई गई है। जबकि एनडीए के खाते में 12 फीसदी, जनसुराज में 2 और अन्य के खाते में 2 फीसदी वोट दिया गया है। 

बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर थी। दोनों गठबंधन में वोट शेयर का अंतर काफी कम था। एनडीए को जहां 37.3 फीसदी वोट मिले थे, वहीं महागठबंधन के खाते में 37.2 फीसदी वोट गया था। जबकि लोजपा 05.66 फीसदी वोट मिला था। इस दौरान भाजपा को 19.46 फीसदी, जदयू को 15.39 फीसदी, राजद को 23.11 फीसदी, एआईएमआईएम को 01.24 फीसदी, कांग्रेस को 09.48 फीसदी, बसपा को 01.49 फीसदी, भाकपा को 0.83 फीसदी, माकपा को 0.65 फीसदी, लोजपा को 05.66 फीसदी, राकांपा को 0.23 फीसदी, रालोसपा को 01.77 फीसदी, नोटा 01.68 फीसदी और भाकपा माले को लगभग 4 फीसदी वोट मिले थे।