भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इन दिनों एक्शन मोड पर हैं। पंजीकृत संस्थाओं के साथ भेदभाव के आरोप के बाद रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी को तलब करते हुए मुख्यमंत्री के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है। प्रदेश में पहली बार 12 लाख कर्मचारी-पेंशनर्स के हितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों का पंजीयन निरस्त कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के पंजीयन निरस्तीकरण के आदेश के बाद संगठनों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। क्योंकि रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी संस्था उद्योग विभाग के अंतर्गत आती है और यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में निरस्त किए गए संगठन अपनी आवाज को न तो किसी अधिकारी तक पहुंचा सकते और न ही किसी मंत्री तक ले जा सकते हैं। ऐसे में संगठनों के पास हाईकोर्ट जाने के अलावा दूसरा चारा नहीं है। मामला बाहर आने का बाद खुद सीएम मोहन यादव ( ने इसपर संज्ञान लिया औ तुरंत उन्होंने रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी को तलब किया है। तीन लाख कर्मचारियों की अगुवाई करने वाले तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ का पंजीयन रद्द होने के बाद यह मामला हाई कोर्ट में ले जाया गया है। बता दें कि इसमें मंत्रालय कर्मचारी संघ, विधानसभा कर्मचारी संघ व पेंशनर्स एसो. का पंजीयन रद्द किया गया है। मुख्य सचिव को कर्मचारी संगठनों की ओर से लिखे पत्र में सहायक पंजीयक और फर्म संस्थान भोपाल की तरफ से पंजीकृत संस्थाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इस पत्र में आगे लिखा था कि इसपर जल्द से जल्द रोक लगाई जाए। रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटी ने कुछ पंजीकृत संस्थाओं का पंजीयन 3 माह में एक नोटिस देकर समाप्त कर दिया था, इसपर जल्दी से जल्दी लेखन संघ को 2021 से 2024 तक 15 दिन का नोटिस दिया गया है। नोटिस मिलने के बाद अब हाल ही में संस्था ने मंत्रालय में लगी आग का हवाले देते हुए सारे रिकॉर्ड जलने की बात कही थी।
इन संगठनों का पंजीयन किया निरस्त
मध्यप्रदेश सचिवालयीन मंत्रालय कर्मचारी संघ जो कि 55 साल पुराना संगठन है। इस संगठन को शासीय निकाय का निर्वाचन न कराने पर धारा-34 के तहत कार्रवाई करते हुए मात्र तीन माह का नोटिस देते हुए पंजीयन निरस्त कर दिया गया था। वहीं 52 वर्ष पुराना संगठन मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय कर्मचारी संघ का पंजीकरण धारा 27-28 का उल्लघंन के तहत निरस्त करीब 33 वर्ष पुराना संगठन पेंशनर्स एसोसिएशन है। इसका भी पंजीकरण निरस्त किया गया है।