बिहार में बीजेपी के टिकट पर लड़ने को बेचैन कांग्रेस विधायक, बिक्रम विधानसभा में चुनावी मुकाबला होगा रोचक

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पटना । सोन नद के पूरबी तट पर बसे बिक्रम में खेती जितनी मुश्किल होती जा रही लोगों के लिए वहां की राजनीति को समझना भी उतनी ही टेढ़ी खीर साबित हो रही। वजह प्रत्यशियों (Candidates) का पाला बदलना। बिक्रम (Bikram) से तीन बार विधायक (MLA) रह चुके अनिल कुमार (Anil Kumar) आज कांग्रेस (Congress) में शामिल हो चुके हैं, तो वर्तमान विधायक सिद्धार्थ सौरव ने भी पाला बदल लिया है। भले ही वह कांग्रेस में रहते हुए दो चुनाव जीतने में कामयाब रहे, लेकिन तीसरी पारी वह भाजपा से खेलने को बेचैन हैं।

क्षेत्र में चार बार जीती भाकपा
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बहुल है। सिर्फ कांग्रेस, भाजपा और जनता पार्टी के उम्मीदवार ही यहां से चुनाव नहीं जीते, बल्कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामनाथ यादव ने लगातार चार बार यहां का प्रतिनिधत्व किया। भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र और स्थानीय नेता खदेरन सिंह भी बिक्रम से विधानसभा तक पहुंचे। जनता पार्टी की सरकार में कैलाशपति मिश्र वित्तमंत्री भी बने थे। सन 1952, 57 और 62 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनोरमा देवी ने बिक्रम सीट पर जीत दर्ज की। सन् 1967 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में महावीर गोप इस सीट से विधायक बने।

इस सीट पर कांग्रेस पार्टी को पहला झटका सन् 1969 के मध्यावधि चुनाव में लगा। तब भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी खदेरन सिंह जीते थे। दोबारा 1972 में भी उन्हें जीत मिली। सन् 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार कैलाशपति मिश्र इस सीट से विजयी हुए। 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई और प्रदेश में मध्यावधि चुनाव हुआ। इस चुनाव में पहली बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रामनाथ यादव की जीत हुई। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिवाकर शर्मा को पराजित किया। 1980 से लेकर 1995 तक इस सीट पर वह जीतते रहे।

पहली बार 2000 में भाजपा ने जमाया कब्जा
बिक्रम में पहली बार भाजपा प्रत्याशी रामजनम शर्मा ने सन् 2000 में विजय पताका फहरायी। वर्ष 2010 के चुनाव में अनिल कुमार भाजपा के ही टिकट पर विजयी हुए। सन् 2020 में वह दोबारा चुनाव जीते। तब अनिल कुमार निर्दलीय मैदान में थे। विधायक सिद्धार्थ सौरव ने कहा कि बिक्रम क्षेत्र के सभी गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ने का कार्य हुआ है। बिक्रम में जनता द्वारा 25 वर्षों से की जा रही ट्रामा सेंटर की मांग पूरी हुई। नौ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले ट्रामा सेंटर का शिलान्यास के साथ टेंडर हुआ और अब निर्माण कार्य जारी है। नौबतपुर में लोगों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए फ्लाईओवर का शिलान्यास हुआ। बिक्रम के दतियाना में सीएचसी का निर्माण हुआ।