वोटर लिस्ट से गायब नाम ,आयोग पर “चतुराई से नाम हटाने” का आरोप : तेजस्वी यादव

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पटना/नई दिल्ली।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने शनिवार (2 अगस्त, 2025) को दावा किया कि उनका नाम चुनाव आयोग की ओर से जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है। पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी ने कहा, “मैंने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान फॉर्म भरकर सबमिट किया था, लेकिन नई सूची में मेरा नाम नहीं है। ऐसे में मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?”

तेजस्वी ने मीडिया के सामने अपना EPIC नंबर डालकर वोटर लिस्ट चेक करने का प्रयास किया, जिसमें "No Record Found" का मैसेज आया। उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि जब उन्होंने सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी की, तो उनका नाम कैसे हट गया?

चुनाव आयोग का पलटवार:

तेजस्वी के इस दावे के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में क्रम संख्या 416 पर दर्ज है। आयोग ने उनके बयान को "तथ्यात्मक रूप से गलत" और "झूठा" करार दिया।

तेजस्वी के आरोप:

तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि पूरे बिहार में विशेष पुनरीक्षण के नाम पर 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। हर विधानसभा क्षेत्र से औसतन 20-30 हजार नाम हटा दिए गए। उन्होंने पूछा, “क्या इन लोगों को कोई नोटिस दिया गया? क्या ये पारदर्शी प्रक्रिया है?”

उन्होंने चुनाव आयोग पर पक्षपात करने और राजनीतिक उद्देश्य से टारगेटेड डिलीशन का आरोप लगाया। तेजस्वी ने यह भी कहा कि इस बार जो ड्राफ्ट सूची जारी की गई है, उसमें बूथ नंबर, पता और EPIC नंबर जैसी जरूरी जानकारियाँ नहीं दी गई हैं ताकि यह पता न चले कि किन लोगों के नाम काटे गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार:

तेजस्वी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह चुनाव आयोग को आदेश दे कि किन बूथों से किन-किन मतदाताओं के नाम हटाए गए, इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक करे।

राजनीतिक बयानबाजी तेज़:

तेजस्वी ने चुनाव आयोग को “गोदी आयोग” बताते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यप्रणाली लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह निष्पक्ष चुनाव संभव है?

पृष्ठभूमि:

बिहार में 1 सितंबर, 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। फिलहाल ड्राफ्ट सूची पर 1 अगस्त से आपत्तियां और दावे स्वीकार किए जा रहे हैं। आयोग के अनुसार, यदि किसी का नाम छूटा हो, तो सुधार और समावेशन के लिए अभी समय है।