नई दिल्ली । एनसीपी (एसपी) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने खुलासा किया कि जब 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार लोकसभा में सिर्फ एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी, तब वे (पवार) ही थे जिन्होंने 8-10 मिनट तक चली चर्चा के बाद विपक्ष के पक्ष में “एक सत्तारूढ़ गठबंधन (एनडीए) का वोट” हासिल किया था। पवार ने दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में नीलेश कुमार कुलकर्णी द्वारा लिखित मराठी पुस्तक ‘संसद भवन ते सेंट्रल विस्टा’ के विमोचन के मौके पर यह खुलासा किया।
पुराने संसद भवन की अपनी यादों के बारे में याद कर पवार ने 1999 का वह किस्सा सुनाया, जब वे वाजपेयी सरकार के दौरान विपक्ष के नेता थे। पवार ने कहा, “बहुत कम लोगों को याद होगा कि 1999 में मैं विपक्ष का नेता था। हमने वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और संसद में इस पर काफी बहस हुई थी। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले, हमारे पास आठ से दस मिनट का समय था जब मैं ‘चर्चा’ के लिए सदन से बाहर चला गया था। उसके बाद, जब मतदान हुआ, तब सरकार की तरफ से एक सदस्य ने विपक्ष के पक्ष में मतदान कर दिया। वाजपेयी सरकार को सिर्फ एक वोट से बाहर किया गया। मैंने विपक्ष के पक्ष में वह एक वोट हासिल किया, लेकिन मैं यह नहीं बताऊंगा कि मैंने यह कैसे किया। पवार ने कहा कि नए संसद भवन के प्रति लगाव अभी तक नहीं हुआ है। मैं अभी भी पुराने संसद भवन के प्रति लगाव महसूस करता हूं जिसने देश के प्रतिष्ठित राजनेताओं को देखा है। पवार ने 1962-63 में कांग्रेस की बैठक के लिए दिल्ली की अपनी पहली यात्रा को याद करते हुए बताया कि कैसे वह और पार्टी में उनके कुछ साथी पहली बार जवाहरलाल नेहरू को देखकर अचंभित रह गए थे।
शरद पवार ने बताया उन्होंने कैसे 8-10 मिनट के अंदर गिरा दी थी 1999 में अटल सरकार
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