रोहित-कोहली को टेस्ट से बाहर करने के पीछे बीसीसीआई की राजनीति : घावरी

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नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली ने इंग्लैंड दौरे से पहले अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को हैरान कर दिया था। यह फैसला क्रिकेट फैंस के लिए चौंकाने वाला इसलिए भी रहा क्योंकि दोनों ही दिग्गज अभी इस फॉर्मेट से हटना नहीं चाहते थे। एक रिपोर्ट्स के अनुसार, रोहित और कोहली इंग्लैंड दौरे की तैयारी में जुटे थे और इस श्रृंखला में अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर बेहद उत्साहित थे। लेकिन बीसीसीआई और चयन समिति के दबाव के चलते दोनों को संन्यास का ऐलान करना पड़ा।
रोहित शर्मा ने सबसे पहले इंस्टाग्राम स्टोरी के ज़रिए अपने टेस्ट करियर के अंत की घोषणा की। दो दिन बाद विराट कोहली ने बीसीसीआई को पत्र लिखकर संन्यास लेने की इच्छा जताई और जल्द ही सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से इसे सार्वजनिक भी कर दिया। इन घोषणाओं के बाद क्रिकेट गलियारों में सवाल उठने लगे कि क्या दोनों खिलाड़ी वास्तव में संन्यास लेना चाहते थे या उन्हें मजबूर किया गया। इस बीच यह भी खबर आई थी कि कोहली रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के लिए खेलना चाहते थे और उन्होंने अपने कोच से कहा था कि इंग्लैंड दौरे पर कम से कम चार-पांच शतक बनाने का लक्ष्य है। वहीं, रोहित ने भी आईपीएल ब्रेक के दौरान माइकल क्लार्क से बातचीत में इंग्लैंड सीरीज़ को लेकर अपनी तैयारी का जिक्र किया था।
इस पूरे प्रकरण पर पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज कर्सन घावरी ने बड़ा बयान दिया है। घावरी का दावा है कि कोहली और रोहित को बीसीसीआई की आंतरिक राजनीति और चयन समिति के फैसलों के कारण समय से पहले संन्यास लेना पड़ा। उनके मुताबिक, दोनों दिग्गज खिलाड़ी कम से कम कुछ और वर्षों तक टेस्ट क्रिकेट खेल सकते थे और टीम को योगदान दे सकते थे। लेकिन अजीत अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति की अलग योजनाओं के चलते उन्हें किनारे कर दिया गया।
घावरी ने कहा कि बीसीसीआई ने दोनों को सम्मानजनक विदाई भी नहीं दी, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनके मुताबिक, ऐसे महान खिलाड़ियों को शानदार विदाई दी जानी चाहिए थी क्योंकि उन्होंने भारतीय क्रिकेट और फैंस के लिए अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने इसे ‘छोटी राजनीति’ का नतीजा बताया और कहा कि यह समझना मुश्किल है कि आखिर बोर्ड ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। क्रिकेट जगत में अब भी इस फैसले पर बहस जारी है। एक ओर जहां फैंस और पूर्व क्रिकेटर मानते हैं कि रोहित और कोहली का करियर टेस्ट फॉर्मेट में और आगे बढ़ सकता था, वहीं दूसरी ओर बोर्ड के अंदरूनी फैसलों ने उनकी राह रोक दी। यह विवाद भारतीय क्रिकेट की राजनीति और चयन प्रणाली पर नए सवाल खड़े करता है।