भारत के पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाफ 2013 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल के दौरान एमएस धोनी की ऑन-फील्ड रणनीतिक प्रतिभा को याद किया और कहा कि वह जोनाथन ट्रॉट को आउट करने की एमएस धोनी की सलाह से हैरान रह गए थे। बर्मिंघम के एजबेस्टन में खेले गए 2013 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारत का सामना मेजबान देश इंग्लैंड से हुआ था। बारिश के खलल ने मुकाबले को 20-20 ओवर का बना दिया था। धोनी की कप्तानी में भारत ने 129 रनों का बचाव किया था। पूर्व कप्तान की खेल जागरूकता और रणनीतिक सोच को याद करते हुए अश्विन ने जियोहॉटस्टार के 'अनबीटन: धोनी डायनामाइट्स' के एक विशेष एपिसोड के दौरान ट्रॉट को आउट करने के पीछे की कहानी सुनाई।अश्विन ने कहा, 'मुझे अभी भी याद है कि माही भाई मेरे पास आए और कहा- ट्रॉट को ओवर द स्टंप गेंदबाजी मत करो। अराउंड द विकेट गेंदबाजी करो| ट्रॉट लेग साइड पर खेलने की कोशिश करेगा और अगर गेंद स्पिन करती है, तो वह स्टंप हो जाएंगे। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्होंने यह भविष्यवाणी इतनी आसानी से कैसे कर दी थी।' धोनी के नेतृत्व में इस जीत से भारतीय टीम की काफी तारीफ हुई थी। धोनी तीन-तीन आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले पहले कप्तान बने थे।
पूर्व भारतीय विकेटकीपर दिनेश कार्तिक ने भी टीम के लचीलेपन और दबाव में अहम फैसले लेने की धोनी की क्षमता पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा- यह हमारे लिए यह दिखाने का मौका था कि टीम इंडिया के लिए क्रिकेट क्या मायने रखता है। हम लचीले थे, हमने वापसी के लिए लड़ाई लड़ी और हमारे पास कभी हार न मानने की मानसिकता थी। इंग्लैंड लगभग जीत के करीब था और वह आसानी से जीत सकते थे, लेकिन धोनी ने कुछ शानदार रणनीतिक फैसले लिए और गेंदबाजों ने उनका साथ दिया।'भारत के पूर्व बल्लेबाज और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने कहा कि 2013 चैंपियंस ट्रॉफी धोनी के नेतृत्व का एक वसीयतनामा था। उन्होंने कहा, 'यह उनका टूर्नामेंट था। ट्रॉफी पर धोनी लिखा हुआ था। उन्होंने इस टीम को लगभग अपनी छवि में ढाल लिया था और एक के बाद एक जीत हासिल की थी। यह आसमान द्वारा लिखी गई कहानी थी।'
धोनी ने उस मैच में जो फैसले लिए, वह इंग्लैंड के लिए घातक साबित हुए थे। ईशांत शर्मा को पहले स्पेल में खूब धुनाई पड़ी थी। इसके बावजूद धोनी ईशांत को वापस गेंदबाजी में लाए। धीमी गेंद फेंकने की धोनी की सलाह के बाद, ईशांत ने 17वें ओवर में इयोन मॉर्गन और रवि बोपारा को बैक-टू-बैक गेंद पर पवेलियन भेजा। दोनों कैच अश्विन ने ही लिए थे। इसने मैच पलट दिया था और भारत ने जबरदस्त वापसी की थी।आकाश ने इसे ईशांत की सबसे शानदार उपलब्धियों में से एक करार दिया और अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराने के लिए धोनी की सहजता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, 'यह ईशांत की जिंदगी का सबसे जादुई स्पेल था। उन्होंने गति में बदलाव किया और लगातार दो महत्वपूर्ण विकेट लिए। तभी आपको पता चलता है कि धोनी के पास मिडास टच है। वह जो भी छूते हैं वह सोने में बदल जाता है।'
धोनी ने आखिरी छह गेंदें फेंकने के लिए स्पिनर अश्विन पर भरोसा किया था। अश्विन ने इस फैसले को सही साबित किया और भारत ने पांच रन से जीत हासिल की थी। आकाश ने बताया कि यह निर्णय क्यों काम किया। उन्होंने कहा, 'अश्विन की क्षमताओं में धोनी के अटूट विश्वास को देखते हुए यह कदम उठाया गया था। 20वें ओवर में स्पिनर को गेंद देना बहुत बड़ा जुआ है, लेकिन धोनी को अश्विन पर पूरा भरोसा था। धोनी को न केवल अश्विन के कौशल पर, बल्कि उनकी मानसिकता और दबाव को झेलने की क्षमता पर भी विश्वास था।'पूर्व भारतीय आलराउंडर और टीम के एक अन्य अभिन्न सदस्य सुरेश रैना ने भी भारतीय टीम के विजयी अभियान पर बात की। रैना ने इस जीत की तुलना 2011 विश्व कप में भारत की जीत से की। उन्होंने कहा, 'हम 2011 विश्व कप में चार मैच हार गए थे और यह एक कठिन अनुभव था, लेकिन इस तरह की जीत आपके करियर को परिभाषित करती है। हमने बहुत मेहनत की और पूरी भारतीय टीम ने यह सम्मान हासिल किया।' रोहित शर्मा की अगुआई वाली भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी में अपने अभियान की शुरुआत 20 फरवरी को दुबई में बांग्लादेश के खिलाफ करेगी। 23 फरवरी को भारत और पाकिस्तान के बीच दुबई में महामुकाबला खेला जाएगा।