भारतीय क्रिकेटर ने बताया, क्यों ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू करना बना वरदान

0
6

नई दिल्ली: पंजाब की ओर से अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-22 टीम में खेल चुके 29 साल के स्पिनर को ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू करने मौका मिला है. साल 1996 में दिल्ली में जन्में इस गेंदबाज को पंजाब की रणजी टीम जगह मिली, लेकिन उन्हें फर्स्ट क्लास में डेब्यू करने का मौका नहीं मिल पाया. अब ये गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया में अपने सपनों को सच करने में लगा हुआ है. इस दौरान स्पिनर निखिल चौधरी का कहना है कि अगर वो भारत में रहता तो उसका करियर खराब हो जाता.

निखिल चौधरी ने क्या कहा?
TOI को दिए इंटरव्यू में तस्मानिया के स्पिनर निखिल चौधरी ने बताया कि उनके लाइफ का सबसे अच्छा फैसला ये था कि कोरानो हटने के बाद भी वो ऑस्ट्रेलिया में ही रुक गए, ये सब भगवान की योजना थी. उन्होंने कहा, “मुझे यह कहने में कोई पछतावा नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया में रुकने से मेरी ज़िंदगी और मेरा क्रिकेट बदल गया. अगर मैं भारत में होता तो मेरा क्रिकेट करियर बर्बाद हो जाता. आप जानते ही हैं कि ये कैसे होता है? प्रतिभा और प्रदर्शन मायने नहीं रखते-क्रिकेट खेलने के लिए आपको मजबूत सिफारिशों की जरूरत होती है”. निखिल चौधरी अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत पंजाब की टीम से की थी.

पंजाब की ओर से खेल चुके हैं निखिल
29 साल के निखिल चौधरी अब भारत के घरेलू क्रिकेट में पंजाब के लिए खेलते हुए मिले दुखों से उबर चुके हैं. निखिल ने अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-22 में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया है. इसके अलावा सीमित ओवरों के फॉर्मेट में भी उनको पंजाब के लिए कुछ मौके मिले. वो रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे, लेकिन उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला. उन्हें फर्स्ट क्लास क्रिकेट का पहला अनुभव ऑस्ट्रेलिया में मिला.

इस महीने की शुरुआत में बाएं हाथ के स्पिनर मैथ्यू कुहनेमन को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया की टीम में चुना गया था. इसके बाद निखिल के लिए भी दरवाजे खुल गए, जिन्होंने दो साल से लाल गेंद से क्रिकेट नहीं खेला था. उन्होंने बताया कि क्वींसलैंड के खिलाफ हमारे मैच से दो दिन पहले, मुझे तस्मानिया के सेलेक्टर्स ने फोन किया और बताया कि मुझे शेफील्ड शील्ड के लिए चुना गया है. मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी क्योंकि मैंने लगभग दो साल से लाल गेंद से क्रिकेट नहीं खेला था. क्लब मैचों में मैं केवल व्हाइट बॉल वाले खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहा था.

पहले मैच में चटकाए 5 विकेट
निखिल चौधरी ने आगे बबताया कि मेरे सेलेक्शन पर कुछ लोगों की भौहें तन गईं. कुछ खुश थे, कुछ नहीं. मैथ्यू वेड मेरी मदद के लिए आए और जब मुझे डेब्यू कैप दी गई, तो उन्होंने मुझसे कहा कि जैसे तुम सीमित ओवरों में खेलते हो, वैसे ही खेलो. आश्वासन के इन शब्दों ने चौधरी को थोड़ा राहत दी, लेकिन यह काफी नहीं था. इस दौरान तस्मानिया के गेंदबाजी कोच जेम्स होप्स ने मुझसे तेज गेंदबाजी करने के लिए कहा.

चौधरी कहते हैं, “ये काम कर गया और मैंने अपने पहले मैच में ही पांच विकेट हासिल कर लिए”. उन्होंने कहा कि अभी एक और मोड़ बाकी था. आखिरी दिन मुझे तेज बुखार था और तस्मानिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था, जबकि क्वींसलैंड पारी की जीत की तलाश में था.

निखिल ने ऐसे बचाया मैच
चौथे दिन चाय के ब्रेक के समय कोच ने मुझे को आराम करने को कहा और 9वें, 10वें और 11वें नंबर के बल्लेबाजों को पैड पहनने को कहा. इस दौरान निखिल कई तरह की भावनाओं से गुजर रहे थे. वो उस समय के बारे में सोचने लगे जब वो कोविड के दौरान ऑस्ट्रेलिया में फंसे थे, उन्होंने गुजारा करने के लिए जो छोटे-मोटे काम किए. अब उनके सामने तस्मानिया क्रिकेट द्वारा उन पर दिखाए गए विश्वास का और ज्यादा बढ़ाने का मौका था.

निखिल ने कहा “मैंने दवाई खाई और सबको बताया कि मैं अभी भी ये मैच बचा सकता हूं. मैं मैदान पर गया और अपना स्वाभाविक खेल खेला. मैंने 80 गेंदों पर 76 रन बनाकर नाबाद लौटा और हमने मैच ड्रॉ करा लिया”. इस दौरान सबसे अच्छी बात ये थी कि हेड सेलेक्टर जॉर्ज बेली भी मैच देख रहे थे.

डेब्यू मैच खेलने से खुश था
निखिल ने आगा बताया कि अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद, उन्हें यकीन नहीं था कि उन्हें अगले मैच के लिए चुना जाएगा या नहीं, क्योंकि मैथ्यू कुहनेमन वापस आ रहे थे. उन्होंने कहा “वो एक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर हैं, और आपको इंटरनेशनल खिलाड़ियों के लिए जगह बनानी ही होगी. इसमें कोई बुराई नहीं है. मैं बस अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू करने से खुश था”.

उन्होंने बताया कि लेकिन कुहनेमन, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया का ‘जड्डू’ (रवींद्र जडेजा) भी कहा जाता है, भारत के खिलाफ तीन मैचों की सीमित ओवरों की सीरीज के लिए चुने गए और मुझे एक और मौका मिल गया. हालांकि वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेरा प्रदर्शन निराशाजनक रहा.

इस तरह सुर्खियों में आए निखिल चौधरी
निखिल चौधरी उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने पाकिस्तानी तेज गेंदबाज हारिस रऊफ की गेंद पर बैकवर्ड पॉइंट पर छक्का जड़ा और BBL में होबार्ट हरिकेंस के लिए विकेट लेने के बाद थाई-फाइव लगाकर जश्न मनाया. इसके बाद उन्होंने डीन जोन्स कप (लिस्ट ए) में अच्छा प्रदर्शन किया और फिर फर्स्ट क्लास में डेब्यू किया. निखिल ने बताया कि जब मैंने ऑस्ट्रेलिया रहने का फैसला किया, तो मुझे कहीं न कहीं काम करना ही पड़ा. मुझे एक मैक्सिकन रेस्टोरेंट में सब्जियां काटने का काम मिला. मैंने मदद के लिए अपनी मां को फोन किया.

उन्होंने बताया कि मैंने लाइफ में कभी नींबू का एक टुकड़ा भी नहीं काटा था और जैसा कि मेरी मां ने भविष्यवाणी की थी, मेरी उंगलियाँ कट गई. रेस्टोरेंट वालों ने मेरी परेशानी को समझा, और फिर मुझे एक बड़ा चाकू दिया गया और मांस काटने को कहा गया. उन्होंने बताया कि एक नौकरी काफी नहीं थी. मैंने ऑस्ट्रेलियन पोस्ट के लिए काम किया, जहां मैं घर-घर जाकर पार्सल पहुंचाता था. फिर साल 2023 में BBL कॉन्ट्रैक्ट मिलने से पहले कुछ समय के लिए उबर भी चलाया. हालांकि निखिल का अभी भी एक अधूरा सपना है. वो ऑस्ट्रेलिया की टीम में खेलना चाहते हैं. उन्हें विश्वास है कि 18 महीनों में, वो उस पीले और सुनहरे रंग की जर्सी पहनेंगे.