रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में सांसद- विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले के त्वरित निष्पादन को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान मामले में सीबीआइ की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई। जिसमें झारखंड में सांसद-विधायकों के खिलाफ 12 लंबित आपराधिक मामलों की अद्यतन जानकारी दी गई, जिसमें कहा गया कि अलकतरा घोटाला से संबंधित बिहार के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन के मामले में फैसला हो चुका है।
इलियास हुसैन को तीन साल की सजा हुई
इलियास हुसैन को तीन साल की सजा हुई है। एक मामले में ट्रायल अंतिम चरण में है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए नौ जुलाई की तिथि निर्धारित की है।
पिछली सुनवाई में न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया था कि झारखंड में सांसद-विधायकों के कई मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद आरोप गठन में छह साल लग जाते हैं। ऐसे में ट्रायल पूरा होने में कई वर्ष लग जाएंगे।
सीबीआइ की मंशा ही नहीं है कि ट्रायल जल्द पूरा हो। सीबीआइ की ओर से बताया गया था कि राज्य में सांसद-विधायकों के 12 आपराधिक मामले लंबित हैं।
इनमें रांची सिविल कोर्ट में नौ और धनबाद कोर्ट में तीन मामले शामिल हैं। पूर्व की सुनवाई में खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा था कि सीबीआइ जैसी संस्था गवाहों को जल्द लाने में असफल साबित हो रही है।
ट्रायल में देरी होने से गवाहों में डर का भी माहौल बना रहता है। एक मामले में सीबीआइ ने भी स्वीकार किया है कि ट्रायल में गवाहों को धमका की आशंका को देखते हुए उस गवाह की गवाही के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग का भी सहारा लेना पड़ा है। ट्रायल में देरी होने से गवाहों पर भी असर पड़ता है, उनकी गवाही प्रभावित होती है।